बीते सप्ताह की सबसे बड़ी खबर किसानों ने बनानी चाही। एक दिन सुबह एक जत्था दिल्ली के चिल्ला बार्डर पर दस्तक देता दिखा, लेकिन पुलिस ने उसे पहले ही रोक दिया। इस बार भी वही ‘किसान नेता चेहरे’ कुछ नई मांगों के साथ पुरानी मांगों का दुहराव। अगली सुबह विपक्ष की मोहब्बत की दुकान का संभल जाने की कोशिश और पुलिस का रोका। फिर देर तक पुलिस से जिरह… फिर विपक्ष के नेता विशेष होने के दावे और गाजीपुर बार्डर पर लगता लंबा जाम। इस तरह विपक्ष के नेता का देर तक खबर बनना और फिर लौट जाना। यानी कि पुष्पा झुकेगा नहीं! फिर एक सुबह विपक्ष के कुछ सांसदों का ‘स्पेशल टीशर्ट और जैकेट का फैशन शो’। नई टीशर्ट और जैकेट पर छपा नारा: ‘मोदी अडाणी एक हैं, अडाणी सेफ है!’ सांसदों ने ‘मोदी अडाणी’ को लेकर नारे भी लगाए, फिर अगले दिन वही। लेकिन अफसोस कि दो सहयोगी दल इससे अलग से दिखे! संसद भी क्या करे? वह लगती है तो सभी संसद दर्शन को मचलने लगते हैं, किसान कूच करने लगते हैं। शायद इसी कारण फिर एक दिन शंभू बार्डर पर किसानों का एक जत्था एकत्र हुआ और कहने लगा कि उसे संसद जाना ही है! जब पुलिस ने रोका तो कह दिए कि हम पैदल ही जाएंगे… यानी कि पुष्पा झुकेगा नहीं!
बहरहाल, संभल को लेकर एक सप्ताह पुरानी खबरें संभली भी न थीं कि फिर जुमे की नमाज का दिन आ गया। तिस पर ‘छह दिसंबर’ का दिन! नतीजा कि छह दिसंबर को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के कड़े सुरक्षा इंतजाम। अलीगढ़, मथुरा, मेरठ, अयोध्या, संभल आदि शहरों में पुलिस का भारी बंदोबस्त। इस बीच आए दिन नए नए वीडियो ने चैनलों को व्यस्त किए रखा। हर वीडियो के सीधे दो पक्ष दिखते। एक कहता कि पत्थर किसके हाथ है, तो दूसरा कहता कि ये इनके भी हो सकते हैं… कि पत्थर आए कैसे, तो सवाल कि प्रशासन क्या सो रहा था, या वही पत्थर लाया होगा…। यानी कि पुष्पा झुकेगा नहीं!
अपने यहां हर वीडियो इसी तरह से ‘फाइट की बाइट’ बनता है इस मामले में हमें किसी डिजिटल विशेषज्ञ की जरूरत नहीं दिखती। हर वीडियो राजनीतिक विभक्ति के दो पाटों के बीच पिसकर चूर चूर हो जाता है। अब करते रहिए व्याख्या… कुव्याख्या… दुर्व्याख्या..! अब सच कोई नहीं जानना चाहता। सब अपने-अपने सच के लिए एक दूसरे को सिर्फ काटने दौड़ते हैं। ऐसे में आप चैनल न बदलें तो क्या करें। लेकिन कहां बदलें! सब जगह तो एक ही बात है।
मसलन, जैसे ही सत्ता पक्ष के एक नेता ने कहा कि अयोध्या, जो पांच सौ साल पहले हुआ या संभल में जो अब हुआ या बांग्लादेश में हुआ, सबमें बाबर का ‘डीएनए’ है, वैसे ही विपक्ष ‘डीएनए विशेषज्ञ’ हो गया। विपक्ष के एक इस्लामी नेता कहिन कि ये सब संभल का मामला प्रभावित करने के लिए हो रहा है। दूजे विपक्षी कहिन कि वे पहले अपना ‘डीएनए’ करा लें। इस तरह दो दिन तक डीएनए-डीएनए ही होता रहा! यानी कि पुष्पा झुकेगा नहीं!
और महाराष्ट्र! यहां वही हुआ जो होना था। विजयी गठबंधन के तीनों घटक दलों को इतनी इतनी सीटें मिली कि सबके दिमाग फूल गए। इसलिए ‘तीन-तीन मुख्यमंत्री’ हाजिर। फिर हुआ मुंबई-दिल्ली… मुंबई दिल्ली। फिर एक की तबीयत खराब या कि ‘कोप भवन गच्छामि’। फिर मान-मनौवल, फिर हां-ना, हां-ना और आखिर में चलो मुख्यमंत्री न सही, उपमुख्यमंत्री ही सही और फिर एक बड़े मैदान में एक मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री। इस तरह तीन देवों का शपथ समारोह। विजयी राष्ट्रीय गठबंधन के सारे मुख्यमंत्री, सारे नेता, हीरो-जीरो, उद्योगपति… सबकी उपस्थिति और यानी विजयी गठबंधन का ‘सुपर पावर शो’। फिर अंत में ‘सभा विसर्जित होत है सुनहु वीर हनुमान’। लेकिन अगली ही सुबह एक दल के नेता की गृह मंत्रालय की जिद कि जवाब में उसी दल के दूसरे नेता का कटाक्ष कि वे ‘जुलाब राव’ न बनें! क्या गजब की तुकबंदी की राजनीति। यानी कि पुष्पा झुकेगा नहीं!
और फिर आया छह दिसंबर और एक मुसलिम नेता का भाषण गुस्से से भरा हुआ कि हम कोई भिखारी या किराएदार नहीं, ये हमारा हक है और ताकयामत हम बाबरी की शहादत को लेकर लड़ते रहेंगे। अपने बच्चों को भी सिखाकर जाएंगे। मस्जिदों को मंदिरों में बदलने के मामले इनके ही हैं। यानी कि पुष्पा झुकेगा नहीं!
इसी बीच हैदराबाद में दाक्षिणात्य फिल्मी हीरो अल्लू अर्जुन की फिल्म ‘पुष्पा 2’ के चौतरफा प्रदर्शन ने बड़ी खबर दी। उसने अब तक के सारे ‘बाक्स आफिस रेकार्ड’ तोड़ दिए। हैदराबाद के एक शो के दौरान मची भगदड़ में एक महिला की मौत हो गई। इसके लिए अल्लू अर्जुन और उनकी टीम को पुलिस द्वारा ‘बुक’ किया गया। एंकर बताते रहे कि पहले दिन ही इसने ढाई सौ करोड़ का कारोबार किया है। दुनिया भर के सवा लाख सिनेमा हालों में रिलीज हुई। हजार की टिकट दो-ढाई हजार में बिकी। पहले दिन ही तीस लाख टिकट की बुकिंग हो गई। विशेषज्ञ कहिन कि यह ‘बाहुबली’, ‘जवान’ और ‘आरआरआर’ के रेकार्ड को तोड़ने वाली है। पुष्पा राष्ट्रीय खिलाड़ी नहीं, अंतरराष्ट्रीय है। जब कोई झुकता नहीं, तो पुष्पा भी क्यों झुके?