एक और शक्तिशाली राजनेता ने चुनाव जीत लिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के प्राचीनतम लोकतंत्रों में से एक के लोकतांत्रिक चुनाव में निष्पक्ष और स्पष्ट रूप से जीत हासिल की है। संयुक्त राज्य अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया की वैधता पर कोई भी सवाल नहीं उठा सकता। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप ने चुनावी मतदान में बहुमत हासिल कर लिया है। उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को 226 के मुकाबले 295 मतों से पराजित कर दिया। उन्हें 6.815 करोड़ से 7.25 करोड़ लोकप्रिय वोट मिले। 2024 के चुनाव नतीजों में रिपब्लिकन के वर्चस्व से पार्टी को सीनेट पर नियंत्रण हासिल हुआ है और इससे प्रतिनिधि सभा पर उसके नियंत्रण बनाए रखने की संभावना और मजबूत हुई है।
हर मानदंड से यह ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी की एक व्यापक और जबर्दस्त जीत हुई है। चुनाव पूर्व सर्वेक्षण बहुत बुरी तरह गलत साबित हुए हैं।तथाकथित ‘करीबी टक्कर’ का अनुमान कहीं से भी करीबी साबित नहीं हुआ। तथाकथित सात ‘स्विंग’ राज्य ट्रंप के पक्ष में झुके नजर आए: चुनाव में मुकाबला कड़ा था और अंतर काफी महत्त्वपूर्ण और अधिक था।
बदले मुद्दे
अधिकतर स्वतंत्र पर्यवेक्षक और ज्यादातर निष्पक्ष मीडिया इस बात पर सहमत थे कि ट्रंप का चुनाव अभियान और उनके भाषण महिला विरोधी, नस्लवादी, अपमानजनक और विभाजनकारी थे। मगर अधिकांश अमेरिकी लोगों ने इसकी परवाह नहीं की। उन्हें परवाह थी- और जाहिर तौर पर वे बहुत चिंतित थे, तो आप्रवासन, मुद्रास्फीति और अपराध को लेकर। मुद्रास्फीति को छोड़कर, अन्य दो मुद्दे ऐसे नहीं हैं, जिन्हें हम ‘दाल-रोटी’ का मुद्दा कहते हैं; उन्हें मोटे तौर पर ‘जान बचाने या डूब मरने’ के मुद्दे के रूप में वर्णित किया जा सकता है। आप्रवासन को अमेरिका के श्वेत अमेरिकी ईसाई नागरिकों पर ‘हमसे अलग लोगों’ के अतिक्रमण का द्वार खोलने के रूप में देखा जाता है। बाद के दिनों में आप्रवासियों (मुख्य रूप से लातिनी मतदाता) ने भी महसूस किया कि नए आप्रवासी, पुराने आप्रवासियों के लिए खतरा हैं।
महंगाई हर देश में सभी को नुकसान पहुंचाती है। हालांकि अमेरिका में महंगाई 2.4 फीसद तक सीमित थी और अमेरिकी फेड नीतिगत ब्याज दर (कम महंगाई का संकेत) को कम करने के लिए तैयार है, फिर भी मुद्रास्फीति रिपब्लिकन पार्टी के हाथों में एक शक्तिशाली हथियार थी। अमेरिका में, अधिकांश देशों की तरह, बढ़ती आबादी, शहरीकरण और नशीले पदार्थों के कारण अपराध काफी बढ़ा है। अपराध एक सदाबहार हथियार है और सत्ता में रहते हुए हर पार्टी कमजोर होती है।
ट्रंप ने इन मुद्दों का पूरा फायदा उठाया। और उन्होंने अपने तरीके से अभद्र और अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया। मुझे हैरानी है कि मतदाताओं ने इस अभद्रता और अश्लील भाषा पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
संयम और शालीनता का लोप
दूसरी ओर, कमला हैरिस ने अपने अभियान में गर्भपात और महिलाओं के अधिकार, संविधान की पवित्रता, निष्पक्षता, नस्लीय समानता और करुणा जैसे जिन मुख्य मुद्दों को उठाया, उनमें से अधिकतर, मतदाताओं पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए। यह एक त्रासदी है कि ये मूल्य ट्रंप के खिलाफ लड़ाई हार गए, जिनके मन में इनके लिए बहुत कम इज्जत है।
अन्य मुद्दों में से, जो अमेरिकी चुनावों में ‘खोए’ हुए प्रतीत होते हैं, उनमें लगभग चौवालीस हजार फिलिस्तीनियों (जिनमें हजारों महिलाएं और बच्चे और संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी शामिल हैं) की क्रूर हत्या शामिल है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने शायद ही कोई हलचल पैदा की हो। अधिकतर अमेरिकियों ने चीन द्वारा ताइवान को धमकी देने, उत्तर कोरिया द्वारा लंबी दूरी की अंतर-महाद्वीपीय मिसाइलें दागने, जो अमेरिकी धरती पर गिर सकती हैं, कई देशों में गृहयुद्ध और तथाकथित लोकतंत्रों में स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के बारे में नहीं सोचा। न ही अधिकांश मतदाताओं को इस बात की परवाह थी कि वे एक दोषी व्यक्ति को वोट दे रहे हैं- और अंतत: उसे चुन रहे हैं- जो सजा का इंतजार कर रहा है।
अर्थव्यवस्था के मामले में, अधिकतर अमेरिकी मतदाता उन नीतियों (मुक्त और खुला व्यापार, कम शुल्क, एकाधिकार विरोधी) से पीछे हटने की परवाह नहीं करते हैं, जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका को दुनिया का सबसे अमीर देश बना दिया है। ट्रंप की जीत पर खुशी मनाने वाले आर्थिक खिलाड़ी ‘बिग आयल’, ‘बिग फार्मा’ और ‘बिग टेक’ हैं।
लिंग और रंग
अंतत:, अमेरिकी मतदाताओं ने अपनी पसंद और पूर्वाग्रहों के अनुसार मतदान किया। पुरुष मतदाताओं ने ट्रंप को पसंद किया। युवा मतदाताओं (18-29 वर्ष) को ट्रंप पसंद आए। कामकाजी वर्ग के मतदाताओं ने ट्रंप को पसंद किया। गैर-स्नातक मतदाताओं को ट्रंप पसंद आए। लातिनो मतदाताओं (मैक्सिकन, प्यूर्टो रिकान और क्यूबा) ने ट्रंप को पसंद किया। सच कहा जाए, तो उन्होंने मुख्य रूप से उनके लिंग और रंग के कारण हैरिस के खिलाफ मतदान किया।
यह अनुमान का विषय है कि क्या अमेरिकी चुनावों के परिणाम अन्य देशों के चुनावों को प्रभावित करेंगे। हो सकता है। ट्रंप की जीत अन्य देशों के नेताओं को भी अमेरिकी चुनावों में उनके द्वारा सफलतापूर्वक इस्तेमाल की गई असभ्य भाषा और विभाजनकारी बयानबाजी का अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। अगर ट्रंप का माडल अन्य देशों में फैलता है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर झटका होगा।
(सभी आंकड़े स्तंभ लिखे जाने तक के हैं)