कुछ सीन कई दिनों तक टिके रह जाते हैं। पालघर में हुई ‘साधुओं की लिंचिंग’ का सीन ऐसा ही रहा! जरा सोचें कि एक पुलिसवाला सत्तर साल के एक साधु को अपने हाथ से भीड़ को ऐसे सौंप देता है, जैसे भेंट दे रहा हो और वह पुलिस के होते हुए साधु को ढेर कर देती है!

दूसरी कहानी उस बारह वर्षीय लड़की की रही, जो अपने घर के लिए दो सौ किलोमीटर पैदल चलती आई और गांव से पहले ही सड़क पर मर गई! यह एक गरीब और बेचारी कहानी थी, जिसे किसी एंकर ने न बहस के लायक समझा, न सत्ता और विपक्ष से युद्ध किया!

तीसरी कहानी ‘दबंगई’ की कहानी रही! तबलीगी जमात मरकज के मुखिया मौलाना साद के ‘सेल्फ क्वारेंटाइन’ में होने-न-होने और पुलिस द्वारा उसको पकड़ने-न-पकड़ने की खबरें चैनल रोज देते रहे, बहसें कराते रहे और सरकार से सविनय सर सर करके पूछते रहे कि साद को अब तक क्यों नहीं पकड़ा? प्रवक्ता अपने ‘किंतु परंतुओं’ से जवाब देते, तो एंकरों की पूंछ निकल आती और ‘थैंक्यू’ कह देते! ‘कठिन सवाल’ का मतलब होता है ‘थंैक्यू’!

चौथी कहानी कोरोना के ‘कर्व’ के ‘फ्लैट’ होने, न होने की रही! जब कुछ एंकर और विशेषज्ञ ग्राफ दिखाकर ‘कर्व’ को ‘फ्लैट’ (सपाट) होता दिखाते तो कुछ तसल्ली मिलती, लेकिन जब कुछ एंकर डब्ल्यूएचओ के ‘टेड रॉस’ के बहाने बताते कि असली चुनौती अभी बाकी है, तो फिर आशा निराशा में बदल जाती है।
इस बीच सामाजिक दूरी पर विशेषज्ञों का विचार बदलता नजर आया। पहले कहते रहे कि तीन फीट या एक मीटर की दूरी ठीक, अब कहते हैं कि छह फीट की दूरी जरूरी! लेकिन यह कोई नहीं बताता कि जहां दस गुणे दस के कमरे में आठ-आठ लोग रहते हों, वे आप वाली दूरी कैसे रखें!

इन दिनों देशी-विदेशी विषाणु विशेषज्ञों की बन आई है। कोरोना ने उनके लिए भारत को एक बड़े बाजार में जो बदल दिया है, सो वे आए दिन किसी न किसी अंग्रेजी चैनल में आकर हमारा चिकित्सीय ज्ञान बढ़ाते रहते हैं जैसे स्टीव बेन्नोन, लिपकिन, ‘लांसेट’ के संपादक रिचर्ड होर्टन और बिल गेट्स जी आदि! हमारे धन्यभाग कि जो बंदे अपने देशों में कोरोना को नहीं संभाल पाए, वे हमारी चिंता में दुबले हुए जाते हैं!

ऐसे ही, एक अंग्रेजी चैनल ने वायरस को बनाने और फैलाने में चीन की भूमिका पर एक लंबी व्याख्या दिखाई, जिसमें वीडियो का प्रवक्ता बार-बार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को इस विषाणु को फैलाने के लिए सप्रमाण जिम्मेदार ठहराता रहा और एंकर उसकी हां में हां मिलाता रहा।

इस सप्ताह कोरोना योद्धाओं पर हुए बर्बर हमलों की कहानियां भी ध्यान खींचने वाली दिखीं। सूरत, इंदौर, महाराष्ट्र, यूपी और कहां कहां… ऐसे में इलाज कैसे करें? लेकिन उस निर्दयता को क्या कहें, जो तमिलनाडु के कुछ लोगों में दिखी, जिन्होंने कोरोना का इलाज करने वाले संक्रमित डॉक्टर की लाश को दफनाने तक नहीं दिया!
तो भी, हमारे चैनलों का कोरोना कवरेज काबिले-तारीफ है। वे लव अग्रवाल के मेडिकल बुलेटिन से लेकर केजरीवाल तक की ब्रीफिंग को लाइव दिखाते हैं। वे हर रोज के हिसाब से कुल संक्रमितों, ठीक होने वालों और मरने वालों के आंकड़े दते हैं और फिर अमेरिका, इंगलैंड, फ्रांस, इटली से तुलना करते हुए बताते हैं कि हम उनसे बेहतर स्थिति में हैं!

इन दिनों चैनल हमारे मानसिक स्वास्थ्य का भी खासा खयाल रखते हैं और तरह-तरह के मनोचिकित्सकों से समझवाते रहते हैं कि आप अपने को कैसे ठीक रखें।
कोरोना ने आयुष मंत्रालय और आयुर्वेद का महत्त्व बढ़ा दिया है। एक से एक बड़े वैद्य लोग बताते रहते हैं कि ‘इम्यूनिटी’ बढ़ाने के लिए हल्दी, अदरक, आंवला, गिलोय का प्रयोग करें और ऐसे ऐसे करें!

‘लॉकडाउन’ के इन दिनों में कुछ गायकों और ‘सेलीब्रिटी’ के भी दिन फिर गए हैं। कुछ न्यूज एंकर उनको बुला कर हमारा मनोरंजन कराने के लिए मरे जाते हैं। इस चक्कर में एक गायिका तो गाते-गाते इस कदर इतरा गई कि पीछे ही पड़ गई कि और गाऊंगी! एंकर ने टाइम का वास्ता देकर पीछा छुड़ाया!
अंत में पालघर की लिंचिंग की खबरनवीसी फिर से बड़ी खबर बनी! एक जोशीले एंकर ने जैसे ही पालघर में एक ड्राइवर और दो साधुओं की लिंचिग की बहस का इंट्रो करते-करते अपनी कुछ खुंदकी किस्म की कमेंट्री करते-करते, एक राष्टÑीय दल की अध्यक्ष के प्रति एक निहायत अशालीन और अप्रीतिकर टिप्पणी की वैसे ही जोशीले एंकर भैये पर कोई डेढ़ सौ एफआइआर हो गर्इं!

इसके बाद कहानी एक ‘लिंचिंग’ से हट कर एंकर की ‘लिंचिंग’ पर आ गई! आगे की कहानी स्वयं एंकर ने ही थाने से लाइव की कि उस पर कुछ कांग्रेसी कार्यकताओं ने हमला किया है। एंकर थाना कैंपस से ही थानेदार से बहसता रहा और सुरक्षाकर्मी की गवाही दिलाता रहा कि तुम्हीं बताओ कि कांग्रेसियों ने हमला किया है। वह बोला कि हां किया है, फिर एंकर थाने वाले से कहता रहा कि जो रिपोर्ट में लिखा रहा हूं उसे वैसा ही लिखो और उसकी कॉपी दोे।

और, देखते-देखते उसके पक्ष में भाजपा के अध्यक्ष, कई भाजपा सीएम और नेता उसी के चैनल में बयान देते दिखे! अब एंकर ही सबसे बड़ी खबर था!
शुक्रवार की सुबह मामला सुप्रीम कोर्ट के हवाले! सुनवाई के बाद अदालत ने एंकर की गिरफ्तारी के खिलाफ तीन सप्ताह का स्टे दे दिया। एंकर ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त किया और इसे मीडिया की आजादी की जीत बताया! हर एंकर को अपनी हद पहचाननी चाहिए। एंकर खुदा नहीं होता!