हमारी ऐसी बहसें देख चीन अवश्य खुश हुआ होगा! फिर एक शाम कोलकाता फिल्म फेस्टिवल में अमिताभ बच्चन ने देश में ‘नागरिक आजादी’ को लेकर अपनी ‘चिंता’ क्या प्रकट की कि विवादग्रस्त होते-होते बचे। भक्त अचरज में थे कि ‘टायलेट अभियान’ के ‘अंबेसडर’ और सदी के महानायक के सुर अचानक कैसे बदल गए? चैनलों में सिर्फ गलीछाप गालियां नहीं पढ़ी जातीं, बदलते सुरों को भी पढ़ा जाता और मुद्रा की भाषा भी पढ़ी जाती है, जैसे कि जब एक भारत जोड़ो यात्री के पैर में ‘पट्टी’ नजर आई, तो हम भी सोचने लगे कि भैये ये पट्टी यात्रा के बीच में क्यों बंधी यानी कि इस पट्टी की राजनीति क्या है बंधु?

फिल्म ‘पठान’ आफत में ही रही। पहले हिंदुओं ने ‘भगवा बिकिनी’ पर ऐतराज जताया, तो अब एक चैनल पर एक मौलवी भी बोलते दिखे कि फिल्म ‘पठान’ में मुसलमानों का मजाक उड़ाया गया है… पठान ऐसे नंगा नाच नहीं करते… फिल्म को प्रतिबंधित किया जाय…लेकिन अपने राहुल भैया की बौद्धिकता का भी जवाब नहीं! इधर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ हिंदीभाषी राज्य राजस्थान से गुजर रही थी, उधर राहुल भैया हिंदी को ‘हीन’ बताते हुए कह रहे थे कि अमेरिका, इंग्लैंड के लोगों से बात करते समय हिंदी काम नहीं आएगी… हिंदी नहीं, अंग्रेजी सीखने की जरूरत…

अफसोस कि पचास-साठ करोड़ के हिंदीभाषी समाज के बीच हिंदी को सरेआम ‘हीन’ बताया गया और विरोध में एक हिंदी आवाज न उठी! उठी तो कुछ हिंदी एंकरों और एक अंग्रेजी एंकर की उठी। एंकर ने राहुल के इस सोच पर तंज किया कि यह मैकाले की मानसिकता है… जापानी, फ्रांसीसी, रूसी, जर्मन, स्पेनी, चीनी आदि सब लोग अपनी भाषाओं पर गर्व करते हैं, लेकिन कांग्रेस का एक बड़ा नेता पचास-साठ करोड़ के हिंदी समाज को ही ‘हीन’ बताने-जताने पर तुला है!

फिर एक दिन यूपी के एक मझोले कांग्रेसी नेता ने ‘अमेठी में लटके-झटके दिखाने जाती हैं’ कह कर चर्चनीय खबर बनाई। एंकरों ने स्त्री का अपमान करने वाले इस नेता को जम के ठोका! भाजपा वालों ने भी इस नेता की उक्त टिप्पणी को ‘मर्दवादी’, ‘यौनवादी’ और ‘अक्षम्य’ बताया! इस अभद्र टिप्पणी का संज्ञान राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी लिया और नेताजी को हाजिरी का नोटिस थमा दिया!इसी क्रम में एक दिन कांग्रेस के सर्वोच्च नेता ने अपना ‘चूहा प्रेम’ दिखाया और फिर ‘कुत्ता प्रेम’ का परिचय देते हुए अपने ‘जीव विज्ञान’ के गहन ज्ञान का प्रमाण दिया!एक बेहद वरिष्ठ नेता के श्रीमुख से निकलते ऐसे उवाच सचमुच उनकी वरिष्ठता की ‘गरिमा’ को हरते दिखे!

अपने यहां नेता लोग अपने को खबर में लाने के लिए ऐसे ही ‘सुभाषितों’ का सहारा लेते हैं और चैनल भी इनको पूरी गंभीरता से अपनी बहसों का मुद्दा बनाते हैं, क्योंकि ऐसी बातों में जो निंदा रस संचारित होता है, वैसा अन्य बातों में नहीं होता।

इस बीच दो-तीन चैनलों ने अमरावती के उमेश कोल्हे की हत्या के मामले में ‘एनआइए’ की रिपोर्ट की खबर देते हुए बताया कि किस तरह कोल्हे को योजना बना कर मारा गया। आरोपपत्र में ग्यारह लोगों को नामजद किया गया है और इनमें से कई का संबंध तबलीगी जमात से है!लेकिन अगले रोज चीन में कोरोना के कहर की कहानी सब चैनलों पर थी। चीन के अस्पतालों में लाशें दिखने लगीं। चैनलों पर डाक्टर कोरोना-सावधनियां बरतने के लिए कहने लगे। बहुत से सांसद भी मास्क पहने दिखने लगे। सरकार कोरोना से लड़ने की तैयारियों का जायजा लेती दिखी!

इसी क्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया जी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के महायात्री राहुल भैया को चिठ्ठी लिख कर सावधान करने की कोशिश की कि या तो सावधनियां बरतें या यात्रा स्थगित करें… इस पर एक कांग्रेसी प्रवक्ता कहते नजर आए कि ये सब यात्रा रोकने का बहाना है! इसी बीच सरकार ने ‘भारत बायोटेक’ द्वारा बनाए ‘नेजल टीके’ (नाक से लिया जाने वाला टीका) को सरकार ने मंजूरी दे दी और कह दिया कि कोरोना के चौथे खतरनाक चक्र से बचने के लिए ‘नेजल टीका’ लगवाएं!