जब के ‘स्ट्रीट फाइटिंग’ सीन थे! संसद के कूचे में अखाड़ा खुला था! कुछ सांसद कुछ देर तक ‘डब्ल्यूडब्ल्यूएफ’ खेलते दिखे! एक मार्शल को कुछ महिला सांसद खींच रही थीं। धक्का-मुक्की की जा रही थी! बाकी सांसद दर्शक बने ताली मार रहे थे। कुछ वीडियो बना रहे थे। कुछ सीटी भी बजा रहे थे। बाद में मालूम हुआ कि सीटी बजाने वाली महिला सांसद थी!

लेकिन अपने सांसद सिर्फ सच बोलते हैं। सच के अलावा कुछ नहीं बोलते! इसीलिए उनका कहा सच! सरकार झूठ! सरकार का वीडियो झूठ! हमें जो दिखा वह झूठ! जो सांसद बताए, वह सच! एक कहिन कि संसद में मार्शलों को देख कर लगा कि पाक बार्डर पर हूं, सिर्फ बंदूक नहीं थी, वरना ठांय ठांय दिखता!
(क्या डायलाग मारा है, दे ताली!) दूसरे कहिन कि मार्शल के भेस में संघी थे, उनके अंदर के कपड़े बताते थे कि वे संघी थे। (शायद इसीलिए पीटे गए)
एंकर कहिन कि मैडम! आप वीडियो देखें! एक महिला मार्शल को कुछ सांसद खींच रही हैं, घसीट और पीट रही हैं! अरे! सरासर झूठ! उसने हमारी एक सांसद को धक्का दिया, वो गिर गई, उसे बचाने के लिए मार्शल को खींचा, बस! एक राष्ट्रवादी एंकर कहिन कि उसकी मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि उसे पीटा गया। उसके गले की हड्डी टूटी! और सांसदों की कलाई मुड़ी, कमर में दर्द हुआ, उसका क्या?

सभी के अपने-अपने दर्द हैं और अपनी-अपनी हमदर्दियां हैं। सरकार का पक्ष रखने के लिए सात-आठ मंत्री आए और बोले कि लोकतंत्र की हत्या की गई। विपक्ष ने संसद नहीं चलने दी! विपक्ष ने पहले ही तय कर रखा था। एक प्रवक्ता बोले कि जिन्होंने संसद की मर्यादा भंग की, उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी और जरूर होगी! कार्रवाई होगी तो फिर हल्ला होगा! फिर संसद नहीं चलेगी
एक तगड़ी सरकार बिसूरती-सी दिखी और विपक्ष मस्त दिखा!

विपक्ष कहता रहा कि सरकार नहीं चाहती कि संसद चले, बहस हो! संसद चलाना सत्ता का काम! चेयर का काम! अगर वे हमें बोलने ही नहीं देंगे तो हमको अपनी बात सुनाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा वही किया! सरकार किसान, पेगासस, महंगाई, बेरोजगारी- किसी पर चर्चा नहीं चाहती, लेकिन दस-दस मिनट में बिना बहस के बिल पास कर देती है! एक एंकर बोला कि सीन वही हैं, तर्क भी वही हैं, जो छब्बीस जनवरी के लालकिले के बाद थे कि अगर हमारी मानोगे नहीं, तो हम यही करेंगे! आपमें हिम्मत हो तो रोक लो! संसद चलाने की जिम्मेदारी आपकी है!

एक राष्ट्रवादी एंकर कहता है कि विपक्ष ने ससंद न चलने देकर सत्ता की ही मदद की! अगर सत्ता नहीं चाहती थी कि बहस हो, तो ऐसा क्यों किया कि बहस का वातावरण ही न रहे? लेकिन राहुल भैया एकदम मौलिक बोल बोले कि संघियों को मार्शल बना दिया गया। दूसरे अंतर्यामी की तरह बोले कि उनके अंदर के कपड़े संघी थे! कैसी अंतर्भेदी दृष्टि कि नेता जी ने मार्शलों के अंदर के कपड़े तक देख लिए, लेकिन सामने चलता वीडियो नहीं दिखा!

सांसद सांसद हैं। विशेषाधिकृत हैं। सदैव आदरणीय हैं! उनकी वीरता देख सबके मन में उनके प्रति आदर और भी बढ़ा! अगर इन सांसदों को ओलंपिक भेज दिया जाए, तो बॉक्सिंग और धक्का-मुक्की में और सीटी मारन कला में वे सारे पदक लेकर आ सकते हैं! बुधवार को जिस तरह का ठोकतंत्र राज्यसभा में दिखा, वह शायद लोकतंत्र का अंतिम क्षण था!

ऐसे ‘लड़ाकू दृश्य’ लोकसभा में नहीं बने! वे राज्यसभा में ही बने! एक एंकर ने ज्ञान बढ़ाया कि राज्यसभा वरिष्ठों और ज्ञानियों की सभा होती है! लगता है कि वरिष्ठों को गुस्सा अधिक आता है! संसद पर बरसने के बाद राहुल भैया अगले रोज ट्विटर पर बरसे कि उनके अकाउंट को रोक कर ट्विटर उनके लाखों चाहने वालों का अपमान कर रहा है!

ट्विटर का कहना रहा कि राहुल और उनके मित्रों ने बलत्कृता दलित बच्ची के माता-पिता के चित्रों को दिखा कर पोक्सो कानून का और ट्विटर के अपने नियमों का उल्लंघन किया है, इसलिए उनका और उनके दोस्तों का अकाउंट रोका! कल तक जो ट्विटर की आजादी के लिए मरे जाते थे, ट्विटर को भी लोकतंत्र का गला घोटने वाला बताते दिखे!