एक ही दिन, एक ओर ‘ट्रेजडी-किंग’ दिलीप कुमार के गुजरने की खबर, दूसरी ओर केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबर! दोनों ही बड़ी खबरें! चैनल दोनों को बारी-बारी से बजाते, लेकिन जिस तरह का लहालोटपन मंत्रिमंडल में फेरबदल पर कुछ चैनलों ने दिखाया, वैसा कभी नहीं दिखा!
मंत्रिमंडल जब बदले तब बदले, लेकिन दिलीप कुमार का जाना तो सामने था और फिर भी पता नहीं कैमरों को क्या हुआ कि जितना कवरेज सुशांत की अंतिम यात्रा को मिला, उससे भी कम दिलीप कुमार की अंतिम यात्रा को मिला! सिर्फ एक फिल्मी चैनल ने दिलीप की ‘देवदास’ को दिखाया, बाकी खबर चैनल उनकी अन्य फिल्मों के टुकड़े दिखाते रहे! जिसे बड़े-बड़े श्रंद्धजलि दे रहे हों उसे मंत्रिमंडल के बदलाव की खबर के बरक्स इस तरह से हाशिए पर डाल दिया जाय! यह कुछ जंचा नहीं! मोदी बैठक कर रहे हैं! बैठक कर रहे है! ये ये ये बुलाए गए हैं! इन इन से इस्तीफा लिया गया है!
एक एक इस्तीफा झटके देता था : ये लीजिए शिक्षामंत्री पोखरियाल का इस्तीफा! ये लीजिए, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का इस्तीफा! ये लीजिए सदा मुस्कुराते जावडेकर का इस्तीफा और ये लीजिए रविशंकर प्रसाद का इस्तीफा! ‘पार्टिंग किक’ लगाया मनीष तिवारी ने कि प्रसाद की बलि ट्विटर ने ले ली!
हर्षवर्धन की ऐसी विदाई पर किसी को अफसोस नहीं था, लेकिन जावडेकर और प्रसाद के जाने पर अधिकांश पूछते रहे कि ये क्यों गए?
लेकिन इस फेरबदल के बाद की चर्चाओं में कांग्रेस के प्रवक्ताओं के चेहरे खिले हुए दिखे। वे इस बदल में मोदी सरकार का हिलना देखते रहे। अगले रोज नए बने मंत्रियों की जुबान पर एक ही वाक्य रहा कि आदरणीय मोदी जी ने मुझ पर भरोसा जताया, मैं उस पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा!
यारो! शुरू में ऐसे ही आदर्श वाक्य उन्होंने भी बोले थे, जिनको बाहर किया गया! बहरहाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया का मंत्री बनना कांग्रेस को एकदम नहीं भाया। एक नेता ने तो उनको ‘भगोड़ा’ तक कह दिया! लेकिन इस बदलाव के प्रशंसक भी कम न दिखे। कइयों ने कहा कि मोदी ने ग्यारह महिलाओं को मंत्री बना कर ‘नारी शक्ति’ को आगे बढ़ाया है!
एंकरों का सर्वाधिक ध्यान नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया पर रहा। नए सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट की पहली मीटिंग की जब ‘ब्रीफिंग’ दी तो कृषिमंत्री तोमर और मांडविया ने अपने-अपने मंत्रालय की आगे की योजनाएं भी बताई, लेकिन एक पत्रकार ने मांडविया से जब पूछा कि आपके पुराने ट्वीटों को लगा कर लोग आपकी भाषा का मजाक उड़ा रहे हैं। आपका क्या कहना है? तो वे विनम्रता के साथ इतना ही बोले कि इस पर वे कुछ नहीं कहना चाहेंगे!
एक एंकर एक भाजपा प्रवक्ता से पूछती रही कि महाराज! ये तो बताइए कि जिनको हटाया गया, क्या वे निकम्मे थे? प्रवक्ता जवाब देते रहे कि जो गए वे भी अच्छे थे और ये भी अच्छे हैं! वे बेचारे कैसे कहते कि ‘सबहिं नचावत राम गुसाईं।’ कई चैनलों की एक शाम अमेरिका की ‘प्यू रिसर्च’ की रिपोर्ट ने खाई कि भारत में राष्ट्रवाद का बोलबाला है और मुसलमान भी राष्ट्रवादी सोच रखते हैं!
पता नहीं कि इस रिपोर्ट का दबाव था या भागवत का अपना विचार था कि एक दिन उन्होंने यह कह कर कई हिंदुत्ववादियों को भी चौंका दिया कि भारत में सबका ‘डीएनए’ एक है। जो कहते हंै ‘एक भी मुसलमान नहीं रहेगा’ या जो ‘लिंच’ करते हैं, वे हिंदू नहीं हैं! और इसी दिन एकाध हिंदुत्ववादी की वाणी वैसे ही बोली बोलती रही और उनको किसी ने कहा कि वे हिंदू नहीं हैं!
इन दिनों एक चैनल ‘तीसरी लहर’ को रोज खोजता रहता है कि देखो! वह आ सकती है… वह आ रही है… वह आ चुकी है!
एक चैनल ने हम सबका ज्ञानवर्धन किया कि भैये! ठंड रख, अब ‘लेमडा वैरियंट’ आ रहा है!
इन दिनों सबसे काव्यात्मक ट्वीट राहुल भाई के होते हैं जैसे कि एक दिन ट्वीट दिए कि जुलाई आई, वैक्सीन न आई! वही कि ‘सुबह न आई शाम न आई, जिस दिन तेरी याद न आई याद न आई’!
हमें लगता है अपने राहुुल भैया वैक्सीन से ‘प्लेटोनिक लव’ करते हैं, इसीलिए उसे चाहते तो बहुत हैं, मगर लगवाते नहीं हैं!
एक दिन आमिर और किरण राव के अलगाव की खबर कुछ देर छाई रही। फिर एक दिन यूपी के चुनावों के संदर्भ में ‘ओवैसी-राजभर की एकता’ की खबर छाई रही। फिर एक दिन अमरिंदर के सोनिया, राहुल से मिलने की खबर छाई रही, लेकिन इनमें से कोई भी खबर चैनलों को अधिक दमदार नहीं लगी!