उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे वाले दिन एक हिंदी चैनल पूरे दिन यह शीर्षक लगाए रहा: ‘कांग्रेस मुक्त भारत’! एंकर कहती थी कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और पीएम सब बड़े पदों पर भाजपा का कब्जा है। भारत यानी सिर्फ तीन पद! कमाल की चमचागीरी है चैनल जी! एक अंग्रेजी एंकर चहकता है: भ्रष्टाचार खत्म हो रहा है। बिहार में हुआ। अब कर्नाटक में हो रहा है। कांग्रेस अपने एमएलए खुद अगवा करके ले गई है! दूसरा चैनल बदहवास है: कांग्रेसी मंत्री के उनतालीस ठिकानों पर छापे। ग्यारह करोड़ की नकदी मिली। गहनों समेत ये हुए कुल बीस करोड़! गहनों के दाम भी देख आए आदरणीय?क्या क्या करे बेचारी कांग्रेस? शिकारियों से अपनी भेड़ों को बचाए बचाए घूमती थी और शिकारी कहते थे कि गुजरात के लोग बाढ़ से परेशाान हैं, और ये विधायक कर्नाटक रिसार्ट में मौज कर रहे हैं! ऐसा लगा कि सिर्फ कांग्रेस के चौवालीस एमएलए गुजरात चलाते हैं! राज्यसभा चुनाव का दिन! सब खबर चैनलों के पास एक ही सवाल: अहमद पटेल का क्या होगा? चौवालीस में से कुछ टूट तो नहीं जाएंगे? भाजपा ने ऐसी रणननीति बनाई है कि इस बार पटेल का जीतना मुश्किल लगता है…
टेंशन बनाने और बेचने में माहिर चैनल लगे हैं। कांग्रेस ने शिकायत की कि उसके दो विधायकों ने भाजपा को दिखा कर वोट दिया। इस तरह संहिता का उल्लंघन किया, उनको अवैध किया जाय। भाजपा बोली कि पांच बजे जब पेपर बंद हुए तब तो कोई आपत्ति नहीं हुई। सब वैध माना जाए! कहानी कभी अमदाबाद से बोलती, कभी दिल्ली से बोलती। फिर चुनाव आयोग सदन पर वीवीआइपी के ठट्ठ लग गए। शाम रात में बदली। कांग्रेस की तोपें आर्इं और गर्इं, भाजपा की तोपें आई और गर्इं। टेंशन बरकरार रहा!
‘अटकल पत्रकारिता’ के मानक बनने लगे। एंकर अगर से अगर तक चलने लगे अगर दो वोट अवैध हो गए तो? पटेल जीत गए तो? अगर वैध हुए तो? हार गए तो? अंग्रेजी एंकरों ने तान लगाई- यह अमित शाह की हार होगी कि सोनिया-राहुल की जीत!कट टू पुराने स्टाक शॉट्स, जिनका इस प्रसंग से कोई संबंध नहीं, लेकिन रिपीट शो दिए जाते हैं: एक ओर अमित शाह, दूसरी और राहुल आते-जाते नजर आते! विशेषज्ञ कहते कि रिजल्ट तो आज ही देना होगा, चाहे रात के दो बजे दें। रिटर्निंग अफसर ने कांग्रेस की शिकायत पर फैसला नहीं लिया, तो आयोग को लेना होगा।आह! हारने से बाल बाल बचे अहमद पटेल! अब सवाल यह कि वह एक वोट किसने दिया? एनसीपी ने दिया कि जेडीयू या भाजपा का एक वोट मिला?विचारधारा मिक्सी में फिंटी जा रही है। भाजपा वाला सेक्युलर को डाले तो सेक्युलर और कांग्रेसी भाजपा को डाले तो कम्युनल!राज्यसभा के इस चुनाव ने दो टॉप की कहानी किनारे की। पहली चोटीकटवा कांड की मारी सैकड़ों औरतों को कैमरों से बाहर किया, फिर भाजपा नेता के ‘बिगड़ैल बेटे’ द्वारा अधी रात कार से वर्णिका कुंडू की कार का पीछा करना और अगवा करने की कोशिश करना भी डेढ दिन के लिए कैमरों से बाहर रहा। उसके बाद जो कहानी जोरदार तरीके से वापस हुई, वह सिर्फ वर्णिका की थी। चोटी कटवाने वाली कहानी विदा हो गई। एंकरों ने पहले क्षण से इसमें ‘निर्भया टू’ की संभावनाएं पढ़ीं। वर्णिका एक गे्रट सर्वावइवर की तरह पेश हुई। हर चैनल उनसे बात करता रहा। वे भी बात करती रहीं कि उनके संग उस रात ये ये वाकया हुआ और कुछ भी हो सकता था।… एक दिन, दो दिन, पूरे चार दिन यह कहानी इसी तरह बजी। कुंड़ू के पिताजी भी बोलते, लेकिन ‘ऐज पर रूल’ न्याय की मांग करते हुए।
चंड़ीगढ़ स्थित भाजपा नेताओं ने कहानी मैनेज करने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन नहीं कर पाए। चैनलों को बहुत दिन बाद ऐसी कहानी मिली थी, जिसमें वे भाजपा की ठुकाई कर सकते थे। दो अंग्रेजी चैनल, जो एक ही ओर न जाने कबसे झुके हुए रहे, इस कहानी से अपने झुकाव को कुछ बैलेंस करते! कहानी चार दिन तक जम के बजाई गई। बोरियत की हद तक बजाई गई, क्योंकि इसमें एंकरों की अपनी जैसी क्लास निशाने पर थी। इसी कहानी की एक थेगली की तरह वह एक स्त्री भी दो-तीन चैनलों में नजर आई, जो अपना चेहरा दुपट्टे में छिपाए थी और हिंदी में कहती थी कि बराला के भतीजे ने उसे किडनैप किया था, लेकिन इसकी कहानी में किसी चैनल ने दिलचस्पी नहीं ली। किडनैप होते-होते बचती, अंग्रेजी बोलती तो शायद सर्वाइवर कहलाती! एक गरम चैनल ने लाइन दी: हमें न्याय झटक (स्नेच) लेना चाहिए! अपना चेहरा छिपा कर बैठी हिंदी वाली के बारे में क्या कहना है आपका? नई सर्वाइवर को तो एंकर न्योता ही देने लगा कि आप हमें ज्वाइन क्यों नहीं कर लेतीं! इसे कहते हैं: लगे हाथ ‘काडर बिल्डिंग’ भी शुरू! भरती शुरू! क्योंकि सभी को चाहिए एक सर्वाइवर!
एक हिंदी चैनल पर प्रोमो के पुण्य प्रसंग में एक दोपहर अक्षय कुमार दिखे। संग में उनकी ‘टॉयलेट: एक प्रेमकथा’ भी थी। प्रोमो चर्चा में एंकर रिपोर्टर उनके टॉयलेट पर मरा जाता था। लाख रुपए का एक सवाल यह रहा कि क्या आप टायलेट में सोचते हैं? जवाब था, सब वहीं सोचा करते हैं। आप भी सोचते होंगे! कुछ ही ही ही ही सी हुई!कुछ खीसें निपुरीं, फिर कुछ पल जबर्दस्ती हंसा गया हें हें हे हें। इस साक्षात्कार प्रोमो का संदेश यही था कि ‘टायलेट: एक प्रेमकथा’ को देखें और टायलेट: एक क्रांति कथा में हिस्सा लें!
भारत छोड़ो आंदोलन की पचहत्तरवीं वर्षगांठ पर संसद में मोदी जी का उद्बोधन बड़ा ही उत्पे्ररक था, जो लाइव प्रसारित था। ऐसे सीरियस अवसर पर भी राजनीति हो ही गई। सोनिया जी ने कहा, अभिव्यक्ति को खतरा है। सीताराम येचुरी ने कहा कि भारत को हिंदू-पाकिस्तान न बनाएं! सन बयालीस में तो एक ही नारा था: अंग्रेजो भारत छोड़ो! अब कई कई ‘भारत छोड़ो’ हैं जैसे कम्युनलिज्म भारत छोड़ो, आतंकवाद भारत छोड़ो, गरीबी भारत छोड़ो, भ्रष्टाचार भारत छोड़ो, जातिवाद भारत छोड़ो। अगर इसी तरह ये छोड़ो वो छोड़ो, उदाहरण के लिए कांग्रेस भारत छोड़ो, विपक्षी भारत छोड़ो, करते रहे और आपकी मान कर ये एक दिन छोड़ गए तो फिर भारत में बचेगा क्या सरजी?
यह छोड़ो वह छोड़ो
