दिखाना पड़ता है, वरना दूसरे चैनल बाजी मार ले जाएंगे, ऐसा सोच कर सबको लाइव दिखाना पड़ा। सुबह से दोपहर तक दलितों के ‘भारत बंद’ के लिए चैनल अनुकूल रहे। सर्वत्र दलित क्रोध, दलित उभार और बंद की लाइव रिपोर्टिंगें रहीं।

दोपहर के बाद चैनल अपनी-सी पर आ गए। वे प्रदर्शनकारियों के गुस्से के कारणों पर कम, हिंसा पर अधिक फोकस करने लगे। ‘दलित अत्याचार विरोधी कानून के पक्ष को सरकार ने सही ढंग से पेश नहीं किया’ इस पर यह अखिल भारतीय आक्रोश था। भाजपा की एमपी सावित्री बाई फुले तक नाराज थीं और रामविलास पासवान तक नाराज थे।

दलित युवाओं के इस आक्रोश का सीधा प्रसारण इस कदर जबर्दस्त था कि चैनलों में कोई दूसरी खबर अंटती ही न थी। एक उग्र दलित कहानी सामने फैली थी। लेकिन शाम तक अंग्रेजी के कई चैनल देश को बचाने जुट गए।

एक अंग्रेजी चैनल के एंकर ने सीधे आंदोलन विरोधी लाइन ली : ये नेशन को ब्रेक करने के लिए, दो हजार उन्नीस से पहले देश को तोड़ने के लिए और सिविल वार करने के लिए एक राजनीतिक षड्यंत्र है।… सिविल वार की योजना है। क्या हम देश को जलाने देंगे? भारत को मत जलने दो! ‘डोंट लेट इंडिया बर्न’! आठ मारे गए हैं, ये दंगा-माफिया है।…

देश को बचाना था तो दलित कहानी को बदलना था, बदला गया और सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा मीडिया में ‘फेक न्यूज’ बनाने वालों को सजा देने की व्यवस्था’ करने वाला आदेश सबसे उत्तेजक कहानी बन गया।

हर चैनल पर धुनाई शुरू थी। टाइम्स नाउ का एंकर चीखने लगा : क्या केंद्र सरकार ‘बिग बॉस’ की तरह का व्यवहार करने की जुगत में है? एंकर राहुल शिवशंकर ने साफ कहा कि यह दरअसल, पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए है। प्रेस क्लब की मीटिंग, आइएनस की मीटिंग होगी। तवलीन सिंह, सबा नकवी, संकर्षण ठाकुर, शाहिद सिद्दीकी, नीरजा चौधरी, एनके सिंह, एन. राम सब एक लाइन से सरकार को कूटने लगे। दस मिनट तक धुनाई चली कि लाइन आई : पीएमओ ने मंत्रालय का यह आदेश वापस ले लिया।

बहस उठी कि क्या बिना पीएमओ के ओके के मंत्री ने यह आदेश दे दिया? एनडीटीवी में अरुण शौरी ने साफ किया कि जब बजट तक पीएमओ बनाता है तब ऐसा आदेश उसकी जानकारी में न हो, यह हो नहीं सकता। दरअसल, पानी की थाह ली जा रही है।

अगले रोज चैनलों को मनमाफिक सलमान खान की सजा की ‘ललित कथा’ मिली। इसे हर चैनल ने सलमान की नई फिल्म की तरह दिखाया। कभी ‘दबंग’ के टुकड़े आते, कभी ‘टाइगर जिंदा है’ के आते, कभी जोधुपर की अदालत जाते हुए सलमान, सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली, नीलम नजर आते।

इस ‘ललित कहानी’ के हमदर्द कहते : अब तो सलमान बदल गया है। जनहितकारी कामों में लगा है, कुछ हमदर्दी मिलनी चाहिए।… अदालत ने ज्यों ही पांच साल की कैद की सजा सुनाई, त्यों ही कांय कांय होने लगी। सलमान के हिमायती चैनलों में दिखने लगे, हमदर्दी पैदा करने की कोशिश होने लगी कि वह तो जनहित में लगा है, बदल गया है। फिर कोई कहता : पांच सौ करोड़ रुपया लगा है। अंदर हो गया तो क्या होगा?

सुपर हीरो के प्रति हमदर्दी की इस कहानी को शाम तक ‘सांप्रदायिक’ बताया जाने लगा। पहले एबीपी पर जफर सरेशवाला को यह कहते दिखाया गया कि मैं अदालत के आदेश पर कुछ नहीं कह रहा, लेकिन गाय के लिए एक आदमी को मार दिया जाता है और जानवर को मारने पर सजा होती है।… फिर कांग्रेस के एक नेता सलमान निजामी को बोलते दिखाया गया कि गोधरा इशरत सोहराबुद्दीन के हत्यारे फ्री और सलमान को जेल।… राहुल का ट्वीट भी बताया जाता रहा। टाइम्स नाउ के एंकर को गुस्सा आता रहा कि ‘अपराध’ के मसले को इस तरह सांप्रदायिक रंग क्यों दिया जा रहा है? रही कसर पाकिस्तान ने सलमान पर बोल कर पूरी कर दी! अपने यहां तो यही होता है। हर बड़ी कहानी शाम तक या तो राजनीतिक बनाई जाने लगती है या सांप्रदायिक बनाई जाने लगती है।
खबर चैनलों के मजे थे ऐसा लग रहा था मानो ‘टाइगर अपराधी है’ नामक फिल्म बन रही हो। एक कह रहा था कि आज कैदी नंबर एक सौ छह जोधुपर जेल में ही रहेंगे, दूसरा कह रहा था कि जोधपुर जेल सलमान के लिए सुरक्षित नहीं है। वहां के एक कैदी ने पहले ही सलमान को मारने की धमकी दे रखी है। एक बता रहा था कि आज की रात सलमान सुरक्षा की दृष्टि से जोधुपर की जेल के बड़े अफसर के पास के कमरे में रखे जाएंगे। रिपोर्टर बताते रहे कि इसी जेल में बलात्कार के आरोपित आसाराम भी बंद हैं। पांच सौ करोड़ के हीरो की नई फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है। लेकिन ‘बिग बॉस’ के इस सीजन का क्या होगा?

इस कहानी से यह सबक मिलता है कि अगर बॉलीवुड वाले हैं और आप पर पांच सौ हजार करोड़ लगे हैं और एक महीने में तीन सौ करोड़ के क्लब वाले हैं तो आप ‘अपराधी’ हों या नहीं, अपने चैनल आपकी आरती उतारते रहेंगे।
एनडीटीवी ने दलित ‘संजय वेड्स शीतल’ की उस दलित कथा को दिखा ही दिया, जिसमें संजय कह रहा था कि चाहे कुछ हो, मेरी बारात तो गांव भर में घूमेगी और उसी सीन में एक बारात विरोधी कह रहा था कि अगर बारात घूमी तो दंगा होगा ही!
यह दलित कथा भी क्या देश को तोड़ने वाली है सर जी?

चैनलों को मनमाफिक सलमान खान की सजा की ‘ललित कथा’ मिली। इसे हर चैनल ने सलमान की नई फिल्म की तरह दिखाया। कभी ‘दबंग’ के टुकड़े आते, कभी ‘टाइगर जिंदा है’ के आते, कभी जोधुपर की अदालत जाते हुए सलमान, सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली, नीलम नजर आते।