सबसे बड़ी खबर ओबामा जी बनाते हैं। अपनी किताब में एक लाइन में राहुल को कूट देते हैं कि वे एक ऐसे छात्र की तरह हैं, जो अध्यापक पर प्रभाव जमाने के चक्कर में रहता है। उनमें रुझान की कमी है। राहुल की कुटाई देख कई एंकरों और उनके प्रिय चर्चकों की बतीसी खिल गई, जैसे कहते हों कि भैये, हमने तो ये पहले ही बता दिया था। ओबामा सर ने अब मुहर भी लगा दी!
एक चैनल पर कांग्रेसी प्रवक्ता ने यह कह कर बचाव किया कि ‘ओबामा ने राहुल की एक जगह तारीफ भी की है’, तो एंकर बोला, ‘कहां की है, हमें बताएं।’ तो प्रवक्ता के पास पक्का जवाब न था। बहन जी का होमवर्क कुछ कमजोर दिखा!
इस बार की दिवाली ने चैनलों को बड़ी दुविधा में डाला। बाजार दिखाएं तो भीड़ दिखे और ‘जरूरी दूरी’ और ‘मास्क’ की ऐसी तैसी दिखे। न दिखाएं तो सीन कैसे बने। इस बार पटाखों के खिलाफ बोलने वाले इतने अधिक दिखे कि पटाखे बेचने वाले रोते दिखे।
कोविड मरीजों के रोज बढ़ते आंकड़ों से लापरवाह, इस बार तीन तीन वीआइपी दिवालियोंं के दर्शन हमें तो धन्य कर गए। एक ओर पीएम जी की बाड़मेर वाली, जवानों के साथ मिठाई वाली दिवाली, दूसरी ओर योगी जी की अयोध्या वाली छह लाख दीयों वाली और तीसरी दिल्ली के सीएम जी की बहुविज्ञप्त, अक्षरधाम वाली सामूहिक पूजा वाली और दृश्य-अदृश्य शक्तियों के आशीर्वाद वाली! हमें यों तो तीनों बढ़िया लगीं, लेकिन दिल्ली के सीएम का आइडिया टाप का दिखा!
लेकिन कांग्रेस की दिवाली पटाखे वाली रही। कुछ बड़े नेताओं ने पटाखे फोड़ कर चैनलों के लिए एक खास किस्म की दिवाली पेश की। यों पहला बम राजद के तिवारी जी ने यह कर फोड़ा कि बिहार में राजद को कांग्रेस ने मरवा दिया। सत्तर सीट पर लड़ी, लेकिन राहुल प्रियंका ने सात सभाएं तक न कीं, बल्कि शिमला में पिकनिक मनाते रहे।
फिर क्या था, सिब्बल ने अपनी फुलझड़ी सुलगा दी कि सब जानते हैं कि गड़बड़ी कहां है… इसके बाद तो एंकरों और कांग्रेस-कूटकों ने विद्रोही ‘ग्रुप तेईस’ के पुराने पटाखों को बजाना शुरू कर दिया कि ऐन वक्त पर गहलोत ने इन पटाखेबाजों के सारे पटाखे जब्त कर लिए। कई कूट एक्सपर्ट निराश हुए।
इन दिनों पांच राज्यों ने ‘लव जिहाद’ को बैन करने का ऐलान किया है, जिसे कई चैनलों ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन एक चैनल फिर भी ‘लवेरियावादी’ नजर आया। उसके चर्चक इसे ‘व्यक्ति की निजी आजादी’ बताते रहे, फिर भी एक हिंदुत्ववादी ‘लवेरिया’ को ‘लव जिहाद’ बताता रहा, जिस पर एंकर ने अपनी मरी हुई मुस्कान मार कर सेक्युलरी दिखाई!
सबसे फुस्स खबर सोशल मीडिया ने चैनलों को दी कि बांग्लादेश के एक क्रिकेटर ने दुर्गा पूजा में शामिल होकर वहां के एक इस्लामी तत्ववादी को इस कदर नाराज कर दिया कि वह तलवार लहरा कर उसकी गर्दन उड़ाने की धमकी देता दिखता रहा। इसे देख कुछ एंकरों ने इसे इस्लामी तत्ववाद को ठोकने का अवसर मान लिया, लेकिन अगले ही रोज एक चैनल ने इस खबर पर क्रिकेटर ने माफी मांग कर पानी डाल दिया!
एक दिन मथुरा के एक मामूली कांग्रेसी नेता ने अदालत में कृष्ण जन्मभूमि से सटी मस्जिद को तीन सौ साल पुरानी बता कर उसे न हटाने की अपील क्या कर दी कि कई चैनलों ने अपना दिन भर उसे तोड़ने-न -तोड़ने को लेकर काटा। जब से कोविड के टीकों (वैक्सीनों) ने चैनलों के दरवाजों पर दस्तक दी है, तभी से वे उनका मार्केट बनाने निकल पड़े हैं!
एक चैनल बीस टीकों की खबर देता है, तो एक चैनल अमेरिका के दो टीकों का बाजार बनाने में लगा है। एक लाइन लगाता है कि आक्सफोर्ड टीका एक हजार रुपए में उपलब्ध होगा। कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत वाला टीका फरवरी तक आ जाना है। और एक टीका क्रिसमस से पहले ही आने को बेताब है!
कोविड-19 ने दुनिया को डरा-डरा कर उसे एक विराट टीका बाजार में बदल दिया है। ‘किसे पहले लगे, किसे बाद में’ वाले तर्क दुनिया को ‘पब्लिक हेल्थ अपार्थाइड’ में बदले दे रहे हैं! ये टीका चर्चाएं आजकल इस कदर ‘सेफ’ तरीके से की जाती हैं कि जिसने इस महामारी की सौगात दुनिया को दी, उसका नाम कोई भूल कर नहीं लेता! ‘जबरा मारे रोने न दे’ इसी को कहते हैं।
और जबसे दिल्ली के सीएम ने मास्क न पहनने पर दो हजार के जुर्माने का आदेश दिया, है तबसे कुछ रिपोर्टर बाजारों में बे-मास्क लोगों को लज्जित करते दिखते हैं। इस दादागीरी को छोड़ अगर अपने खबर चैनल जनहित में हर पंद्रह मिनट में मास्क लगाने के फायदे का प्रचार करें तो कहीं बेहतर हो!
