अक्सर फिल्मों में काम करते हुए हीरो-हीरोइनों में निकटता काफी बढ़ जाती है। उनमें एक रिश्ता जुड़ जाता है। कभी-कभी दोनों की सहमति से फिल्म के प्रचार की खातिर ऐसा सप्रयास किया जाता है। लेकिन, कई बार ऐसे रिश्ते सुर्खियों और अफवाहों का हिस्सा बनने के बाद गंभीर शक्ल भी ले लेते हैं। यह बात अलग है कि ज्यादातर ऐसे रिश्तों की परिणति सुखद नहीं होती है। रिश्ता टूटने का असर हीरो पर कतई नहीं पड़ता। उसकी लोकप्रियता कम नहीं होती। खमियाजा भुगतना पड़ता है हीरोइनों को। उनकी छवि बिगड़ जाती है। उसका असर उनके करिअॅर पर पड़ता है और व्यक्तिगत स्तर पर भी उन्हें समझौता करना पड़ता है, किसी की दूसरी या तीसरी पत्नी बनकर या अपने से ज्यादा उम्र के गैरफिल्मी व्यक्ति से शादी करके या ताउम्र अविवाहित रह कर।
करिअॅर की शुरुआत में जो हीरोइनें शादी कर लेती हैं, उन्हें यह सुविधा मिल जाती है कि उनका नाम किसी हीरो के साथ आमतौर पर नहीं जुड़ता। लेकिन उसका उन्हें नुकसान भी होता है। नूतन, शर्मिला टैगोर आदि ने विवाहित होते हुए भी अलग-अलग मुकाम पाया तो अपने अभिनय के दम पर। मामला जब ग्लैमर का सहारा लेकर आगे बढ़ने का होता है तो ज्यादातर हीरोइनों के लिए हीरो से करीबी बढ़ाना अनिवार्य हो जाता है। कुछ इसे करिअॅर की जरूरत के रूप में देखती हैं। खुद पहल कर के वे करीबी बढ़ाती है। हालांकि, इसका फायदा सभी नहीं उठा पातीं। डैनी से रोमांस का किम को कोई फिल्मी फायदा नहीं हुआ, सिवाय इसके कि डैनी के निर्देशन में बनी एकमात्र फिल्म ‘फिर वही रात’ में वह राजेश खन्ना की हीरोइन बन गर्इं। डैनी का नाम परवीन बॉबी समेत कई हीरोइनों से जुड़ा। आखिर में उन्होंने आधी उम्र की संपन्न परिवार की लड़की से शादी कर ली। किम का क्या हुआ, कोई नहीं जानता।
अब स्थितियां थोड़ी बदली है। हीरोइनों को फिल्मों में महत्त्व मिलने लगा है। कंगना आमिर खान के साथ फिल्म करने से मना कर सकती हैं। ‘सुल्तान’ में सलमान खान की हीरोइन बनने से कंगना, परिणति चोपड़ा आदि के मना करने पर कृति सेनन को लिया गया। अब की हीरोइनें ज्यादा समझदार और व्यावहारिक हो गई हैं। इसके बावजूद फिल्म उद्योग की पुरुष प्रधान मानसिकता में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। हीरोइन का किसी हीरो से नाम जुड़ जाना पहले भी हीरोइन के लिए नुकसानदेह होता था, आज भी है। शाहिद कपूर ने हाल ही में अपने से तेरह साल छोटी मीरा राजपूत से शादी की। उससे पहले अमृता राव, करीना कपूर, प्रियंका चोपड़ा आदि से उनके रोमांस के किस्से काफी चर्चित हुए। करीना-शाहिद की करीबी के किस्से तो जंगल में आग की तरह फैले। नतीजा क्या हुआ? शाहिद की सामान्य और बेहतर शादी हो गई। करीना को सैफ अली खान की दूसरी पत्नी बनना पड़ा।
पुराने जमाने की बात की जाए तो देव आनंद और सुरैया का रोमांस राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया। पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद तक से कुछ छात्रों ने यह सवाल पूछ लिया था कि दोनों शादी कब करेंगे? आधा दर्जन फिल्मों में देव आनंद और सुरैया ने काम किया। उनकी ऑन स्क्रीन करीबी ऑफ स्क्रीन भी जबर्दस्त चमकी। लेकिन अंत दुखद रहा। देव आनंद की तो आसानी से शादी हो गई, सुरैया को ताउम्र अकेले रहना पड़ा। यह उनकी अपनी इच्छा से हुआ या हीरो से रोमांस की जरूरत से ज्यादा चर्चा हो जाने के कथित दाग से, कहना मुश्किल है।
दिलीप कुमार-मधुबाला पहले भी ‘अमर’ आदि फिल्मों में आए लेकिन ‘मुगल-ए-आजम’ की उनकी परदे की मुहब्बत असल जिंदगी में भी उनका ऐसा रिश्ता जोड़ गई कि मधुबाला का मन करिअॅर से उचट गया। गृहस्थ जीवन प्राथमिकता बन गया। कारण कुछ भी रहे हों, बेहद तल्खी से उनका रिश्ता टूटा। हालात इतने बिगड़ गए कि दिलीप कुमार ने बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘नया दौर’ से तो मुधबाला को निकलवाया ही, कानूनी लड़ाई में दिलीप कुमार ने मधुबाला के खिलाफ गवाही दी। इस रिश्ते के टूटने का असर दिलीप कुमार पर किसी भी रूप में नहीं पड़ा। एक दशक भी नहीं बीता था कि उन्होंने बीस साल छोटी सायरा बानो से शादी कर ली। मधुबाला को किशोर कुमार की दूसरी पत्नी बन कर ही सहारा मिला, वह भी कुछ समय के लिए। बेवफाई का दर्द उनकी जान ले गया।
मध्य वर्गीय परिवार से आई परवीन बॉबी की महत्त्वाकांक्षाओं ने उनके जीवन को तमाशा बना कर रख दिया। यह विडंबना थी कि उन्होंने जिस से भी प्यार और सहारे की चाह की, उसने उन्हें छला। आज महेश भट्ट, कबीर बेदी, डैनी आदि परबीन की दशा को उनकी मनोवैज्ञानिक कमजोरी और असुरक्षा की भावना से जोड़ दें लेकिन सच तो यह है कि प्रेम करने की सजा परवीन बॉबी को ही ज्यादा भुगतनी पड़ी। थोड़ी बहुत यही स्थिति अपने जमाने की ग्लैमरस हीरोइन जीनत अमान के सामने भी रही। देव आनंद से उनका नाम जुड़ा। उसे देव आनंद की तो अदा माना गया, जीनत अमान की छवि बिगड़ गई। ‘अब्दुल्ला’ बनने के दौरान विवाहित संजय खान से उन्होंने रिश्ता क्या जोड़ा कि गोपनीय तरीके से हुई शादी तो टूट ही गई, करिअॅर भी हिचकोले खाने लगा। मजहर खान से हुई उनकी अल्पकालिक शादी भी सुखद नहीं रही।
कुछेक अपवाद छोड़ दिए जाएं तो हीरोइनों का करिअॅर वैसे ही सीमित समय का होता है। उस पर अगर रोमांस के छींटे पड़ जाएं तो वह और सिकुड जाता है। ‘लैला मजनूं’ और ‘अंखियों के झरोखों से’ से ख्याति पाने वाली रंजीता ‘हादसा’ बनते वक्त फिल्म से ज्यादा फिल्म के नायक निर्देशक अकबर खान में रुचि लेने लगीं। मामला दोतरफा था। फिल्म के प्रमोशन के लिए उस रोमांस का इस्तेमाल नहीं किया गया, इसलिए जाहिर है कि रिश्ते में आत्मीयता भी रही होगी। उसे मजबूती देने के लिए रंजीता ने करिअॅर को अनदेखा करना शुरू कर दिया, नुकसान दोहरा हुआ। ‘हादसा’ चली नहीं। अकबर खान से रिश्ता टूट गया और करिअॅर में बड़ा सा शून्य आ गया। अकबर खान से पहले रंजीता का नाम मिठुन चक्रवर्ती से जुड़ा था। साथ छूटा तो मिठुन और श्रीदेवी की करीबी सुर्खियों में आ गई। मिठुन तो इन सबसे बचते निकलते ‘मर्द’ वाली हेलेना ल्यूक्स से नाता तोड़ कर योगिता बाली के दूसरे पति बन गए। कई रिश्ते निभा लेने के बाद मिठुन के करिअॅर पर तो कोई खंरोच नहीं आई, हेलेना गुम हो गई और रंजीता टूटते रिश्तों के बीच अरसे तक के लिए अकेली रह गई। हीरो कितने भी रोमांस क्यों न करें, उसका मान नहीं घटता। किसी रिश्ते के लिए वह प्रतिबद्धता न दिखाए तो भी उसके दोष का ठीकरा हीरोइन के सिर ही फूटता है। हीरोइन अगर प्रेम करें तो लांछित हों, हीरो करें तो उसका गौरव बढ़ जाए, यह उलटबांसी फिल्म उद्योग की कड़वी सच्चाई है।
‘डॉन-2’ के वक्त शाहरुख खान से प्रियंका चोपड़ा का नाम जुड़ा तो प्रियंका को ही लताड़ मिली, शाहरुख खान पर कतई उंगली नहीं उठी। प्रियंका पर बसी बसाई गृहस्थी को उजाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगा। करीब डेढ़ दशक के रिश्ते को नए प्रेम पर कुरबान कर देने वाले सैफ अली खान, आमिर खान और बोनी कपूर कभी कटघरे में नहीं आए। बहरहाल ‘डॉन-2’ के प्रकरण के बाद शाहरुख खान और प्रियंका चोपड़ा किसी फिल्म में साथ दिखेगें, इसके आसार कम है। चाहे-अनचाहे बन गए या गढ़ दिए गए रिश्तों की कीमत प्रियंका ने पहले भी चुकाई है।
‘मिस वर्ल्ड’ का खिताब जीतने के बाद फिल्म ‘अंदाज’ से उनकी और अक्षय कुमार की जोड़ी हिट हो गए। चर्चा गरमाई कि ऑफ स्क्रीन रिश्ते की आग भड़काने की पहल कथित रूप से प्रियंका की तरफ से हुई। विवाहित अक्षय भी कहते हैं गंभीर हो गए थे। गृहस्थी में तनाव हुआ तो सुलह इस बात पर हुई कि अक्षय भविष्य में प्रियंका के साथ कोई फिल्म नहीं करेगे। शादी से पहले भी रवीना टंडन, शिल्पा शेट्टी आदि से नाम जुड़ना अक्षय की ख्याति पर कोई दाग नहीं लगा पाया था, प्रियंका अगर खुद को संभाल कर अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाने हिम्मत नहीं जुटातीं तो गायब हो गई होतीं।
अक्सर फिल्म के प्रति दिलचस्पी बढ़ाने के लिए हीरो-हीरोइन के बीच रोमांस की चर्चाएं फैला दी जाती है। यह क्योंकि दोनों की सहमति से होता है इसलिए एक फिल्म के बाद गुब्बारे की हवा निकल जाती है। जेल से छूटने के बाद ‘खलनायक’ से संजय दत्त की वापसी को दमदार बनाने के लिए उनके और माधुरी दीक्षित के बीच प्रेम होने की खबरें उड़ा दी गर्इं। दोनों ने इस थोपे गए प्रेम को अपने व्यवसाय के एक हिस्से के रूप में लिया इसलिए जैसे गुबार उठा था, वैसे ही थम गया। लेकिन जब कोई हीरोइन इस प्रायोजित प्रपंच में गंभीर हो जाती है तो आयशा जुल्का की तरह उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। अरमान कोहली के साथ उनकी ‘औलाद के दुश्मन’ वैसे भी चल जाती, उस पर फिर भी दोनों के रोमांस का नियोजित छौंक लगाया गया। सचमुच एक रिश्ता पनपने की नींव बन गई, पर वह जल्दी ही मिट गई। कमी किस पक्ष की तरफ से रही, यह तय करना आसान नहीं है लेकिन करिअॅर तो आयशा का ही डांवाडोल हो गया।
ऐसी मिसालों से फिल्म इतिहास भरा पड़ा है जिसमें प्रेम करने की सजा सिर्फ हीरोइन को ही भुगतनी पड़ी। खोखले रिश्तों की बुनियाद पर खड़ी चमकदार मायानगरी में यह संवेदनहीनता क्यों? क्या यह समाज में व्याप्त और स्वीकार्य पुरुष प्रधान मानसिकता का असर है जो आधुनिक और प्रगतिशील होने का दंभ भरने वाली दुनिया की रीति.नीति को दकियानूसी बनाए हुए है!
कुछ रिश्ते ऐसे निभे:
फिल्मकार चेतन आनंद और प्रिया राजवंश ने शादी नहीं की। प्रिया ने इसका आग्रह भी कभी नहीं किया और अपने रिश्ते को खुल कर स्वीकार भी किया। दोनों का साथ प्रेम, सामंजस्य और आपसी विश्वास की मिसाल था जिसमें कोई स्वार्थ आड़े नहीं आया। एक दूसरे का लाभ उठाने की इच्छा उसमें नहीं थी। चेतन आनंद ने ‘हकीकत’ से लेकर अपनी हर फिल्म में प्रिया को लिया। कुछ फिल्में चलीं, कुछ नहीं चलीं। लेकिन दो दशक का यह साथ प्रिया में करिअॅर को लेकर कभी कोई महत्त्वाकांक्षा नहीं जगा पाया। उन्होंने बाहर की कोई फिल्म की ही नहीं। यही रिश्ता वी शांताराम और संध्या का रहा। उनकी अधिकृत रूप से शादी हुई या नहीं, यह सवाल हमेशा अनसुलझा रहा। संध्या ने शांताराम की फिल्मों के अलावा किसी और फिल्म की तरफ रुख नहीं किया जबकि अगर वे चाहतीं तो अपने नृत्य कौशल के बल पर ढेरों फिल्में बटोर सकती थीं। इन रिश्तों में प्रेम था, श्रद्धा थी और एक दूसरे का पूरक बनने की लगन थी।
समझौता दांपत्य जीवन में भी:
अपने समय की हिट लेखक जोड़ी सलीम-जावेद के सलीम खान से कुछ समय पहले पूछा गया था कि उनके बेटे सलमान खान का इतनी हीरोइनों से हुआ रोमांस शादी में तब्दील क्यों नहीं हो पाया? उनका जवाब था ‘दरअसल साथ काम करते हुए उसका हीरोइन से प्रेम हो जाता है लेकिन हीरोइन को करिअॅर की ज्यादा चिंता रहती है। बच्चे पैदा करने, उन्हें स्कूल भेजने जैसे काम वे नहीं करना चाहतीं। इसलिए बात नहीं बन पाती।’ मतलब हीरोइन शादी करे तो करिअॅर को टाटा कर दे। कुछेक अपवादों को छोड़ कर हीरोइनों के लिए शादी का मतलब उनका करिअॅर खत्म होना मान लिया जाता है। फिल्मी दुनिया में दो तरह की शादी होती है। एक वह जिनमें पत्नी गैरफिल्मी होती है। ज्यादातर मामलों में ऐसी शादियां तभी हो जाती हैं जब हीरो का करिअॅर शुरू हुआ होता है। अक्सर ऐसी पत्नियां घर की चारदीवारी तक सीमित रहती है। उनका सामाजिक दायरा कुछ मित्रों तक ही सिमटा रहता है। फिल्मी गतिविधियों में उनकी सक्रियता लगभग नहीं के बराबर होती है। दूसरी शादी में पत्नी फिल्म से जुड़ी होती है। अक्सर ऐसे मामलों में हीरो पति अपनी हीरोइन पत्नी को अभिनय जारी रखने के लिए कम ही प्रोत्साहित करते हैं। ऐश्वर्य राय और काजोल ने इस चलन को तोड़ा तो गृहस्थी को पूरी तवज्जो देने के बाद।
उन्नीस सौ चालीस के दशक तक फिल्म उद्योग में वैवाहिक रिश्ते उथल-पुथल वाले ही रहे। बाद में स्थिति थोड़ी सुधरी और रिश्तों में स्थायित्व आने लगा। सितारों ने उस दौर में गैरफिल्मी जीवन साथी चुनने में खासी रुचि ली। ऐसी शादियां टिकी भी। अशोक कुमार, राजकुमार, राजेंद्र कुमार, मनोज कुमार, जितेंद्र, राज कपूर आदि की पत्नियों का फिल्मी दुनिया से कोई नाता नहीं था। राजकुमार और मनोज कुमार का नाम कभी किसी अभिनेत्री के साथ नहीं जुड़ा। निजी और व्यावसायिक जीवन को उन्होंने पूरी तरह अलग रखा। बाकियों ने भी अपनी पत्नियों को घर तक ही सीमित रखा लेकिन उनके रोमांस के किस्सों के छीटें उनके घर तक पहुंच गए। घरेलू पत्नियों के लिए उसका प्रतिरोध करना संभव नहीं हो पाया। गनीमत यह रही कि धर्मेंद्र को छोड़ कर बाकी लोग घर-परिवार के प्रति इतने निष्ठावान रहे कि कई तरह की चर्चाओं में घिरने के बाद भी उन्होंने पारिवारिक मर्यादाओं को नहीं लांघा।
हीरोइनें भी आमतौर पर फिल्मी लोगों- खासकर, हीरो से शादी करने का खतरा कम ही उठाती हैं। निर्देशक, लेखक उन्हें स्वीकार्य हैं,हीरो नहीं। दोनों अगर प्रतिष्ठित हों तो अहं का टकराव होने की आशंका रहती है। उनकी महत्त्वाकांक्षाएं टकरा जाती हैं। जिन हीरोइन ने फिल्मी हीरो से शादी की उनमें से कुछ ने करिअॅर को खूंटी पर टांग कर अपने दिलफेंक पतियों की कारगुजारी की तरफ से आंखें मूंद लीं। मिसाल है कल्पना कार्तिक। सुरैया से रोमांस टूटने से आहत देव आनंद ने एक दिन शूटिंग के बीच भाग कर कल्पना से शादी कर ली। इसकी वजह से बड़े भाई चेतन आनंद से देव के रिश्ते सालों तक बिगड़े रहे। कहा तो यह जाता है कि चेतन भी कल्पना पर मोहित थे। सच क्या है, कोई नहीं जानता। ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘नौ दो ग्यारह’ समेत चार पांच फिल्में सिर्फ देव आनंद के साथ कर कल्पना उनकी पत्नी बन गर्इं। उसके बाद से वे पूरी दुनिया के लिए अदृश्य हो गर्इं। उनकी शादी आखिरी वक्त तक टिकी रही लेकिन कल्पना का अस्तित्व कहीं गुम हो गया। यहां तक कि देव आनंद के निधन के वक्त भी कल्पना नहीं दिखीं।
शशि कपूर और अभिनेत्री जेनिफर की शादी टिकी जरूर लेकिन उसमें उथल पुथल मचती रही। कहा जाता है कि शबाना आजमी से शशि कपूर की बढ़ती करीबी से त्रस्त होकर एक बार जेनिफर ने आत्महत्या तक की कोशिश की। ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग के दौरान नरगिस को आग से बचाने वाले सुनील दत्त जब उनके पति बन गए तो नरगिस ने पहला काम यह किया कि करिअॅर को ताला लगा दिया और घर गृहस्थी में रम गर्इं। वहीदा रहमान से सुनील दत्त के रिश्ते की खबरों पर उन्होंने कान नहीं दिया। फिल्मी सक्रियता खत्म होने की भरपाई नरगिस ने सामाजिक सक्रियता बढ़ा कर की। राज्यसभा की वे सदस्य रहीं। यह नरगिस की ही पहल थी जिसकी वजह से उनका वैवाहिक जीवन किसी बड़े विवाद में नहीं उलझा। लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी सबसे बड़ी पूंजी अभिनय को तिलांजलि देनी पड़ी। ऐसी ही परिपक्वता जया भादुड़ी ने दिखाई जिसकी वजह से करीब तीन दशक का उनका वैवाहिक जीवन आज भी स्थिर है। इसके बावजूद की रेखा रूपी भूचाल ने उनकी नींव झिंझोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। शादी के वक्त जया प्रतिष्ठित स्टार थीं और अमिताभ बच्चन ताजा-ताजा स्टार बने थे। ‘अभिमान’ वाली कहानी घर में न दोहराई जाने लगे, इसके लिए जया ने अपना अभिनय दायरा समेट लिया। अन्य अभिनेत्री पत्नियों की तरह रेखा कांड उभरने पर उन्होंने घर छोड़ कर जाने की धमकी नहीं दी। पूरी शांति और समझ से स्थिति को संभाला। खास बात यह है कि अमिताभ की स्टारडम में कोई बाधा बने बिना उन्होंने राजनीति में और साथ-साथ अभिनय में भी अपना अलग अस्तित्व बनाए रखा।
यही वजह है कि जया-अमिताभ के तीन दशक के वैवाहिक जीवन को आदर्श माना जाता है। ऋषि कपूर-नीतू सिंह का पच्चीस साल का वैवाहिक सफर कभी विवादों में नहीं रहा। फिल्मों से बाहर ऋषि कपूर का कोई रोमांटिक स्कैंडल नहीं रहा। यह रिश्ता स्थाई रहा तो इसलिए कि बाल कलाकार से अभिनेत्री बनी नीतू ने पांच सात साल में कमाई शोहरत का मोह एक झटके में छोड़ दिया। यही उनकी जेठानी बबिता ने भी किया। ऋषि कपूर के बड़े भाई रणधीर कपूर से उनका वैवाहिक रिश्ता बना जरूर हुआ है लेकिन कपूर खानदान की मर्यादा की डोर से।
फिल्मी रिश्तों में स्थायित्व हो, इसके लिए अक्सर अभिनेत्रियों को त्याग करना पड़ता है। ऐसी एक भी मिसाल नहीं है कि किसी हीरो ने हीरोइन पत्नी के करिअॅर को संवारने के लिए खुद घर बैठना मंजूर किया हो। करिअॅर के आखिरी मुहाने पर हीरो-हीरोइन का रिश्ता निभ जाता है क्योंकि तब दोनों के लिए खोने को कुछ नहीं होता। दिलीप कुमार-सायरा बानो का वैवाहिक जीवन इसकी मिसाल है। करीना कपूर, सैफ अली खान के रिश्ते में असुरक्षा की ज्यादा गुंजाइश नहीं है, दोनों ही अपने पिछले अनुभवों से सबक सीख चुके हैं। (श्रीशचंद मिश्र)