बुधवार को रोहतक की साक्षी मलिक ने इस महादेश की आबरू रख ली, वरना ‘इस बार भेजे गए सबसे बड़े दल’ के हाथ अब तक खाली ही थे! और रही कसर चीयर लीडर बन कर मौज मनाने गए मंत्रियों-संत्रियों की हरकतों ने निकाल दी थी! रियो कुश्ती में उसके कांस्य जीतते ही चैनलों के चेहरे खिल गए। बधाइयां बरसने लगीं। पीएम ने भारत की बेटी कह कर शाबासी दी। साक्षी नई हीरोइन थी। इंडिया टुडे ने बताया कि वीरेंद्र सहवाग ने साक्षी की जीत पर शोभा डे के कटाक्ष पर कटाक्ष किया है! साक्षी का चेहरा जीत की खुशी से चमक रहा था। इंडिया टुडे के रिपोर्टर को हिंदी में बताती रहीं कि विग्नेश जख्मी हो गई, वरना वह गोल्ड लेती। प्रेसर मेरे पर आ गया। बारह साल से लगी थी। सोचा, लास्ट तक लडूंगी तो मेडल पक्का, सो आखिरी दस सेकेंड में दम लगा दिया। जीत गई। मां ने बताया कि जब वह छोटी थी तो एरोप्लेन में बैठना चाहती थी, अब वह बार-बार जाती है। मां ने कहा: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बेटी खिलाओ! जो अवार्ड देना है, उसमें देर न लगाएं!

चौदह अगस्त को ऐन दिल्ली में पाक राजदूत अब्दुल बासित ने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस को कश्मीर के नाम समर्पित कर जो पलीता लगाया, उसे लेकर चैनल लाल-पीले दिखते रहे। जवाब पंद्रह अगस्त को पीएम ने दिया कि बलूचिस्तान के लोगों ने मेरा धन्यवाद किया है, जो सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है! चोट निशाने पर बैठी थी। पाक को दर्द हुआ। उसके बाद कश्मीर का विमर्श पलट गया। चैनलों ने तालठोंकू लाइनें मारी: ‘जैसे को तैसा’, ‘पाक को मुंहतोड़ जवाब’! कश्मीर को लेकर कांग्रेस की कई लाइनें दिखीं: सलमान खुर्शीद ने एक चैनल पर कश्मीर और बलूचिस्तान की तुलना के अनौचित्य पर कटाक्ष किया, तो कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने उनकी लाइन को काटा।

पंद्रह अगस्त को सिर्फ पीएम मोदीजी का भाषण ही प्रसारित नहीं होता, उनका स्टाइल स्टेटमेंट भी प्रसारित होता है। इस बार उनकी केसरिया पगड़ी हर बार की तरह असाधारण डिजाइन वाली दिखी। एक पतली लाइन सफेद फिर उसके ऊपर हल्का केसरिया, फिर गाढ़ा केसरिया और ऊपर जाते-जाते लाल जैसा केसरिया, फिर बीच में एकदम पीला बसंती! लालकिले की तेज हवाओं में पीछे की ओर फहराता तुर्रा! क्या बात है? पीएम की पाग भी ‘डिजाइनर’ दिखी!

इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई पीएम की पगड़ी पर कुरबान रहे। पिछले तीनों पंद्रह अगस्तों के तीन तरह के साफों का तुलनात्मक अध्ययन करके बताया और पीएम के डिजाइनर कुर्ते-पैजामे पर ‘आम आदमी’ की नजर से कटाक्ष किया, तो भाजपा प्रवक्ता सुधांशु ने पगड़ी को आम आदमी का प्रतीक बता कर पीएम को आम आदमी से जोड़ा!राजदीप ने इस वाक्चातुर्य का प्रतिवाद नहीं किया। वे खुद केसरिया रंग का कुरता पहने थे। पीएम के लालकिले के भाषण का मूल्यांकन करने के लिए इस बार वे ‘भाषण मीटर’ (स्पीचोमीटर) नाम का टोटका लेकर बैठे, जिसका बटन उन्होंने आठ वक्ताओं के हाथ में दिया। सुधांशु त्रिवेदी हर मुद्दे पर पीएम को दस में से दस नंबर देते थे, जबकि कांगे्रस के जयवीर शेरगिल चार से ज्यादा नहीं देते थे। योगेंद्र यादव भी पीएम को नंबर देने में कंजूसी करते थे, लेकिन बाकी पांच जने उदारता से नंबर देते थे, इसीलिए हर आइटम में पीएम का औसत छह से सात प्रतिशत के बीच ही आता था!पीएम की वक्तृता को नंबर देने की कवायद क्यों करते हो जी। बोलने में तो उनका मुकाबला ही नहीं। उनको हर बार दस में से दस दिए जा सकते हैं! जिला हाथरस के गांव नगला फटेला ने उनके नंबर अचानक कम करवा दिए! अपने लालकिले के भाषण में पीएम ने इस गांव में बिजली पहुंचने की बात कही थी, जवाब में फटेलावासी एबीपी चैनल पर बताते रहे कि सिर्फ खंभा खड़ा है, लेकिन बिजली नहीं है! फटेलावासियो, कुछ तो खयाल किया होता! जब खंभा लगा है तो एक दिन बिजली भी आ जाएगी!

उधर कश्मीर में बवाल है, इधर उसे लेकर दो अंगरेजी चैनलों में धमाल है। टाइम्स नाउ अलगाववादियों, आतंकवादियों और पत्थर फेंकने वालों के पीछे पाक का हाथ देखता है, सुरक्षाबलों की शहादत पर जोर देता है, जबकि एनडीटीवी पर बरखा दत्त डेली ‘कश्मीर डायरीज’ देती हैं, जिनमें वहां के सूरते-हाल पर दृश्यात्मक तबसिरा नस्र होता है। इधर डायलाग पर जोर रहता है, उधर लगभग ‘नो डायलाग’ वाली लाइन हावी रहती है!

इस बीच कश्मीर के चक्कर में एमनेस्टी पिट गई। एमनेस्टी ने बंगलूरू में कश्मीर रिपोर्ट पर चर्चा का मंच बना। चर्चा के बीच कश्मीरी युवाओं ने जेएनयू छाप ‘मिल के लेंगे आजादी’, ‘फौज से लेंगे आजादी’ के नारे लगाए। चैनलों ने फुटेज दिखाए। विद्यार्थी परिषद ने देशद्रोह का आरोप लगाया। पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने एफआइआर दर्ज की। खबर तो इतनी-सी ही थी, लेकिन टाइम्स नाउ पर एमनेस्टी की दो दिन की पिटाई मुकर्रर हो गई! एंकर ने एमनेस्टी को एंटीनेशनल के खाते में डाला और कई चर्चाकारों ने अलग से एमनेस्टी को ठोंका। वकील संजय हेगड़े ने बताया भी कि कानून में एंटीनेशनल की परिभाषा स्पष्ट नहीं है और देशद्रोह का केस तब बनता है जब हिंसा का आवाहन किया जाए और हिंसा हो जाए! चैनलों को परिभाषा से क्या मतलब! उनको तो ठोंकना है, क्योंकि ठोंकना ही बिकता है। एमनेस्टी के आकार पटेल ने कहा कि एमनेस्टी के किसी ने नारे नहीं लगाए, लेकिन उनकी सुनने वाला कौन था? उधर, जान दयाल ने मुंह खोला ही था कि भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने उनको सीधे ‘एंटीनेशनल’ करार दिया! और आश्चर्य, किसी ने उनको नहीं टोका!

कश्मीर गले की हड्डी बन चला है। चैनलों पर एक ओर सुरक्षा बलों पर घात लगा कर दैनिक हमले और पाकिस्तान के भेजे हिजबुल के घुसपैठियों के फुटेज हैं, दूसरी ओर करफ्यू है, पत्थर मारते युवा हैं। सुरक्षा बलों के एक अफसर राजेश यादव ने एनडीटीवी को बताया कि हमारे चार-पांच लोग एक नाके पर पहरे में थे कि अचानक सात-आठ सौ की भीड़ ने घेर लिया। वे उनको ‘लिंच’ करके हथियार छीनने वाले थे, तब हमने आसमान में फायर किया तब भी न हटे, तो गोली चलानी पड़ी! ऐसा कहते हुए उसके चेहरे पर कोई खुशी तो न थी! कमांडेंट प्रमोद कुमार को तो सामने मारा गया और लाइव देखा गया! दर्द उधर है, तो इधर भी कम नहीं है। दोनों को मरहम चाहिए! और बलूचिस्तान के जिक्र के बाद संसद में तय हुआ ‘डायलाग प्रस्ताव’ वाला मरहम क्या लग पाएगा?

जब तक कांग्रेस के पास दिग्विजय सिंह जैसे ‘बे-वक्ता’ हों, तब तक उसे किसी और की टंगड़ी की जरूरत नहीं। सरजी कह दिए कि ‘अगर विश्वास पैदा करना है कश्मीर में तो चाहे ‘इंडिया आकुपाइड कश्मीर’ हो या ‘पाक आकुपाइड कश्मीर’, बातचीत करनी होगी! भारत का अभिन्न अंग उनकी नजर में अचानक ‘इंडिया आकुपाइड’ हो गया! धन्य हैं नेताजी!