साकेत चौधरी के डायरेक्शन में बनी फिल्म समाज की एक सच्चाई को पेश कर रही है। फिल्म में इरफान खान और पाकिस्तानी एक्ट्रेस सबा कमर लीड रोल में हैं। इरफान यानी राज बत्रा पुरानी दिल्ली में एक फैशन स्टूडियो के मालिक हैं और खुद को एक लोकल चाईकून समझते हैं। वह अपनी जिंदगी से खुश हैं। लेकिन उनकी पत्नी मीता ‘दिल्ली वाली’ बनने को बेताब हैं। उन्हें लगता है साउथ दिल्ली के वसंत विहार जैसे पॉश इलाके में शिफ्ट होकर उनकी फैमिली की कमाई को एक सर्टिफिकेट मिल जाएगा और उन्हें एक अपर क्लास जिंदगी मिलेगी।
राज और मीता चाहते हैं कि उनकी बेटी का एडमिशन किसी अच्छे स्कूल में हो जाए। इसके वह अपने लिए एक स्टेटस सिंबल की तरह देखते हैं। यहां से कहानी की असली मस्ती शुरू होती है। प्यार के साइड इफेक्ट और शादी के साइट इफेक्ट डायरेक्ट कर चुके साकेत चौधरी की यह तीसरी फिल्म है। उन्हें साधारण चीजों से कॉमेडी निकालना बखूबी आता है। दिल्ली की भाषा पर उनकी पकड़ पहले ही सीन से दिखाई देती है जब इरफान खान मनीष मल्होत्रा का डुप्लिकेट लहंगा खरीदने आई मल्लिका दुआ को कन्विंस करने की कोशिश कर रहे होते हैं।
इरफान खान की मदद से वह समाज के दो धड़े और इंडिया इज इंग्लिश और इंग्लिश इज इंडिया वाले कॉन्सेप्ट को बखूबी दिखा पाए हैं। हिंदी मीडियम में अपने बच्चे को एक अच्छे स्कूल में भर्ती करने में सामने आने वाली मुसीबतों को दिखाया गया है। फिल्मी होने के बावजूद यह सब सच्चाई के बेहद करीब है।
इरफान खान को इस फिल्म में टीवी शो नागिन का फैन दिखाया गया है। एक अंडरस्टैंडिंग और प्यार करने वाले हस्बैंड के रोल में इरफान बेहतरीन लग रहे हैं। वहीं सबा कमर भी उतनी ही इंप्रेसिव और फनी लगी हैं। उनकी अंग्रेजी ‘स्टैंड हो जाओ’ सुनकर हंसी नहीं रोक पाएंगे आप। फिल्म की तीसरे पिलर हैं दीपक डोब्रियाल जिन्हें आप तनु वेड्स मनु में पप्पी के रोल में देख चुके हैं। सपोर्टिंग रोल में जान डालने वाले यह एक्टर इस फिल्म में भी बेमिसाल हैं।
हिंदी मीडियम प्राइवेट स्कूल सिस्टम के लिए एक तीखा कमेंट है और दिखाता है कि किस तरह यह हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। सबा कमर का डायलॉग आपको भी सही लगेगा जब वो कहेंगी, इस देश में अंग्रेजी भाषा नहीं क्लास है।