Govardhan Puja 2018: दिवाली के त्योहार के एक दिन बाद शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन लोग श्री कृष्ण की पूजा करते हैं साथ ही उन्हें ढ़ेरों व्यंजनों का भोग लगाते हैं। इसके अलावा इस दिन गायों की पूजा करने की भी महत्व है। गोवर्धन पूजा को अन्‍नकूट के नाम से भी जाना जाता है। गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाने की मान्यता के साथ इस दिन गोवर्झन की परिक्रमा करने की परंपरा भी प्रचलित है। आइए जानते हैं कि कैसे और क्यों की जाती है गोवर्धन की परिक्रमा।

गोवर्धन परिक्रमा क्यों की जाती है:
ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन की परिक्रमा करने से व्यक्ति को मनेच्छा अनुसार फल मिलता है। वल्लभ सम्प्रदाय के वैष्णवमार्गी लोग तो अपने जीवनकाल में इस पर्वत की कम से कम एक बार परिक्रमा अवश्य ही करते हैं क्योंकि वल्लभ संप्रदाय में भगवान कृष्ण के उस स्वरूप की पूजा की जाती है, जिसमें उन्होंने गोवर्धन पर्वत उठा रखा है। ऐसी भी मान्‍यता है कि जो ईच्‍छा मन में रखकर इस गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की जाती है, वह ईच्‍छा जरूर पूरी होती है। इसीलिए भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने केलिए भी इसकी परिक्रमा करते हैं। हिन्‍दु धर्म के लोगों का यह भी मानना है कि चारों धाम की यात्रा न कर सकने वाले लोगों को भी गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जरूर करनी चाहिए।

गोवर्धन पूजा के दौरान गोवर्धन परिक्रमा का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गोवर्धन पर्व के दिन मथुरा में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से मोक्ष प्राप्त होता है। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा 21 किलोमीटर की है। इस दिन हजारों श्रद्धालु गिरिराज की परिक्रमा करने आते हैं। इस परिक्रमा में लगभग दो दिन लग जाते हैं।