2019 का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। खास बात ये है कि इसे भारत में भी देखा जा सकेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ विशेष परिस्थितियां भी बन रही हैं। ज्योतिषियों की माने तो 26 दिसंबर को लगने वाले ग्रहण के समय जो स्थिति बन रही है कुछ वैसी ही स्थिति वर्ष 1962 में बनी थी जब 7 ग्रह एक साथ थे।
इस बार लगने वाले सूर्य ग्रहण में 6 ग्रह एक साथ हैं केवल एक की ही कमी है। वो 6 ग्रह हैं सूर्य, चंद्रमा, शनि, बुध, बृहस्पति, केतु। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन 6 ग्रहों के एक साथ होने से सूर्य ग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक रहेगा। यह ग्रहण सुबह 8 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर होगा। अलग अलग शहरों में सूर्य ग्रहण के शुरू और समाप्ति होने के समय में थोड़ा बहुत अंतर आ सकता है। सूतक काल का प्रारंभ 25 दिसंबर से ही हो जायेगा।
ये ग्रहण धनु राशि में लगने जा रहा है जिस दौरान नक्षत्र मूल होगा। इस कारण धनु राशि और मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों पर इस ग्रहण का विशेष प्रभाव पड़ेगा। यहां आप जानेंगे भारत के अलावा और किन जगहों पर ये ग्रहण लगने जा रहा है, राशियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, विभिन्न शहरों में इस ग्रहण के लगने का क्या समय रहने वाला है और सभी संबंधित जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे इस ब्लॉग पर…
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सूर्य ग्रहण से संबंधित सभी जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे इस ब्लॉग पर…
Highlights
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दो अशुभ ग्रहों राहु और केतु के कारण ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण के दौराण केतु सूर्य को ग्रसित करता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। ग्रहों के राजा के ग्रसित हो जाने से आसुरी शक्तियां जागृत हो जाती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो रोगाणुओं का प्रभाव बढ़ जाता है। सूर्य से निकलने वाले अल्ट्रावॉयलेट किरणों से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए भी सूर्य ग्रहण के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिए स्नान करना चाहिए।
- घर पर करें गंगाजल का छिड़काव
- घर के मंदिर में रखी मूर्तियों को कराएं शुद्ध जल से स्नान
- ग्रहण समाप्ति के बाद करें शुद्ध भोजन
- ग्रहण समाप्ति के बाद करें दान धर्म का कार्य
पं. मनीष शर्मा के अनुसार 26 दिसंबर को धनु राशि में 6 ग्रहों की युति के साथ सूर्य ग्रहण होने जा रहा है, ये योग 296 साल बाद बना है। गुरुवार को सूर्य, बुध, गुरु, शनि, चंद्र और केतु धनु राशि में रहेंगे। राहु की दृष्टि रहेगी, मंगल वृश्चिक में और शुक्र मकर राशि में रहेगा। इस तरह का सूर्य ग्रहण 7 जनवरी 1723 को 296 साल पहले बना था। अब ऐसा योग 559 साल बाद 9/1/2578 को बनेगा। उस समय सूर्य, बुध, गुरु, शनि, चंद्र और केतु धनु राशि में रहेंगे, राहु की दृष्टि के साथ सूर्य ग्रहण होगा।
ग्रहण कुछ मायने में शुभ भी है। अधिकांश राशि के जातकों के लिए ग्रहण के साथ सरकारी नौकरी पाने के शुभ संकेत भी बन रहे हैं। जातक चाहें तो इस दिशा में भी अपनी किस्मत आज़मा सकते हैं। सरकारी नौकरियों की जानकारी देखने के लिए यहां क्लिक करें।
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ये सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में बना है। इसलिए व्यक्तिगत रूप से धनु राशि और मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों पर इस ग्रहण का खास प्रभाव पड़ने वाला है। ज्योतिषियों की मानें तो इस ग्रहण का दुनिया के कई हिस्सों में विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। राजनीति में कई उथल पुथल देखने को मिलेंगे। महंगाई बढ़ने के आसार रहेंगे। अपराधों में वृद्धि हो सकती है। ये देश की आंतरिक व्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावित करता नजर आ रहा है। सूर्य ग्रहण के कारण देश के कुछ राज्यों में कानून व्यवस्था को चुनौती भी मिल सकती है। सूर्य ग्रहण के प्रभाव के चलते राजनीति के धुरधंरों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए राजनीति के लिहाज से इस ग्रहण को ठीक नहीं माना जा रहा है।
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शुरू हो चुका है वलयाकार सूर्य ग्रहण। यह सूर्य ग्रहण को देश के दक्षिणी भाग में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों देखा जा सकेगा जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। इसके साथ ही साथ यह पूर्वी यूरोप, उत्तरी-पश्चिम ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में भी देखा जा सकेगा।
कहा जाता है कि एक बार समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर देवों और दानवों के बीच में विवाद उत्पन्न हो गया। हर कोई अमृत पीकर अमर होना चाहता था। इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने दानवों का ध्यान भटकाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया और अमृत सभी में बराबर बांटने की बात कही। भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया। देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहू को ऐसा करते देख लिया। जिस बात की जानकारी उन्होंने तुरंत भगवान विष्णु को दे दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहू का सर धड़ से अलग कर दिया। क्योंकि राहू ने अमृत पान कर लिया था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी कारण राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं और पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का ग्रास कर लेते हैं।
नई दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, बंगलौर, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, सूरत, पुणे, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, नागपुर, इन्दौर, ठाणे, भोपाल, विशाखापट्टनम, पटना, लुधियाना, आगरा, मंगलौर, कोयम्बटूर, ऊटी, शिवगंगा, तिरुवनन्तपुरम में सूर्य ग्रहण को देखा जायेगा।
सूर्य ग्रहण प्रारंभ होगा - 08 बजकर 17 मिनट से
परमग्रास का समय - 09 बजकर 31 मिनट पर
ग्रहण कब खत्म होगा - 10 बजकर 57 मिनट पर
ग्रहण काल यानी खण्डग्रास कितने समय रहेगा - 02 घंटे 40 मिनट 06 सेकेंड
26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है। 144 साल बाद ऐसा सूर्य ग्रहण है जिसका दुष्प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। इसके अलावा ग्रहण के 10 दिनों के अंदर भूकंप, सुनामी और बर्फबारी का भयानक खतरा आने वाला है।
गुरुवार का सूर्य ग्रहण सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, भारत, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, उत्तरी मारियाना द्वीप और गुआम में दिखाई देगा।
धनु मास चल रहा है जिसे अशुभ मलमास माना जाता है. इससे आपके मान-सम्मान में कमी आ सकती है. बिजनेस में बड़ा नुकसान हो सकता है। नौकरी पर भी आंच आ सकती है। ज्योतिषीय योग के हिसाब से इस वक्त युद्ध जैसे हालात बनते भी नजर आ रहे हैं।
प्राकृतिक आपदा के रूप में भूकंप, भारी वर्षा या भयंकर बर्फबारी की आशंका है। ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा खतरा फसलों को होगा। गन्ने की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है। ग्रहण लगने के 15 दिन पहले और 15 दिन बाद संभलकर रहने की जरूरत होती है।
राहू केतु छाया ग्रह हैं जिसके प्रभाव से चंद्रमा और सूर्य भी नहीं बच पाते। इसलिए अगर ये कुंडली में बुरे भाव में जाकर बैठ जाएं तो जातक को काफी कष्टों का सामना भी करना पड़ सकता है।
किसी भी ग्रहण का सूतक शुरू होने से पहले खाने पीने की सभी वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे खाना दूषित नहीं होता। सूतक काल के समय छोटे बच्चों को अकेला कभी भी न छोड़ें। घर के मंदिर के दरवाजे सूर्य ग्रहण लगते ही बंद कर दिये जाते हैं। अगर मंदिर खुले में है तो भगवान की मूर्तियों पर परदा डाल दें।
ज्योतिषविद्या की मानें तो सूर्यग्रहण को शुभ नहीं माना गया है। इस दौरान बहुत से काम करना वर्जित बताया गया है। हालांकि, 5 ऐसी चीजें हैं जिनका प्रयोग सूर्यग्रहण के दौरान किया जा सकता है। तुलसी, गंगाजल, तिल, कुश और जौ सूर्यग्रहण के दौरान भी पवित्र रहते हैं।
ग्रहण का सूतक काल लगते ही बुरी शक्तियां प्रबल हो जाती हैं इसलिए सूतक काल के समय किसी भी सुनसान जगह या शमशान आदि के पास से न गुजरें।
वर्ष के इस अंतिम सूर्य ग्रहण को भारत समेत नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, चीन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में असर दिखाई देगा। वैज्ञानिकों की मानें तो दक्षिण भारत में यह सबसे बेहतर तरीके से दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि करीब 3.30 घंटे की रहेगी। जबकि भारत में सूर्य ग्रहण सुबह 8.04 बजे से शुरू हो जायेगा। ग्रहण के शुरू और समाप्त होने का समय अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होगा। कोयम्बटूर, ऊटी, शिवगंगा, तिरुवनन्तपुरम, टेलिचेरी, अल होफुफ, सिंगापुर में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखेगा।
26 दिसंबर को वलयाकार सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। जिसका कई राशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। खासकर मेष, वृष, सिंह और कन्या राशि के जातकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दुश्मनों से सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी। जानिए किन राशि वालों के लिए कैसा रहेगा साल का ये आखिरी सूर्य ग्रहण…Surya Grahan Effects On Rashi
इस ग्रहण के दौरान चन्द्रमा की छाया सूर्य के केन्द्र के साथ मिलकर सूर्य के चारों ओर एक वलयाकार आकृति बनायेगी। इस प्रक्रिया में सूर्य का 97 % भाग चंद्रमा द्वारा ढक जायेगा। लेकिन सूर्य का बाहरी हिस्सा प्रकाशित रहेगा। जिस कारण सूर्य इस दौरान एक आग की अंगूठी की तरह नजर आयेगा। इस सूर्य ग्रहण की सर्वाधिक लम्बी अवधि 3 मिनट और 39 सेकण्ड की होगी।
सूर्य ग्रहण का प्रारम्भ - 08:17 ए एम
परमग्रास - 09:31 ए एम
ग्रहण समाप्ति - 10:57 ए एम
खण्डग्रास की अवधि - 02 घण्टे 40 मिनट्स 06 सेकण्ड्स
सूतक प्रारम्भ समय - 08:10 पी एम, दिसम्बर 25 से
सूतक समाप्त - 10:57 ए एम
10 जनवरी - चंद्र ग्रहण
5 जून - चंद्र ग्रहण
21 जून - सूर्य ग्रहण
5 जुलाई - चंद्र ग्रहण
30 नवंबर -चंद्र ग्रहण
14 दिसंबर - सूर्यग्रह
ज्योतिष अनुसार चाहे कोई भी ग्रहण हो उसका राशियों पर कुछ न कुछ असर जरूर पड़ता है। 26 दिसंबर को वलयाकार सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। जिसका कई राशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। खासकर मेष, वृष, सिंह और कन्या राशि के जातकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दुश्मनों से सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी। जानिए किन राशि वालों के लिए कैसा रहेगा साल का ये आखिरी सूर्य ग्रहण…
सूर्य ग्रहण लगने के वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही कारण हैं। विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण लगना एक फेस्टिवल की तरह ही है क्योंकि उससे उन्हें ब्रह्मांड के बारे में और भी ज्यादा जानने का मौका मिलता है। विज्ञान अनुसार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से सूर्य को अपनी छाया से कवर कर लेता है। इस प्रक्रिया में चांद सूर्य और धरती के बीच में आ जाता है। तो वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण राहु केतु के द्वारा लगाया जाता है। क्योंकि ये सूर्य और चंद्रमा को अपना दुश्मन मानते हैं।
वलयाकार सूर्य ग्रहण उस समय घटित होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होते हुए भी पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इस कारण चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपनी छाया में नहीं ले पाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण में सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होता रहता है। इस घटना को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
यह सूर्य ग्रहण भारत, श्रीलंका, सऊदी अरब, सुमात्रा तथा बोर्नियो में दिखाई देगा। ऊटी, मंगलुरु, कासरगोड, करूर, कोझिकोड, टेलिचेरी, कोयम्बटूर, शिवगंगा, तिरुचिरापल्ली, जाफना, अल होफुफ तथा सिंगापुर कुछ प्रसिद्ध शहर हैं जहाँ पर वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई देगा।
26 दिसम्बर, 2019 का ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। इसका परिमाण 0.97 होगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं होगा क्योंकि चन्द्रमा सूर्य का मात्र 97% भाग ही ढकेगी। आकाशमण्डल में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केन्द्र के साथ मिलकर सूर्य के चारों ओर एक वलयाकार आकृति बनायेगी। इस सूर्य ग्रहण सर्वाधिक लम्बी अवधि 3 मिनट और 39 सेकण्ड की होगी।
– सूर्य ग्रहण के सूतक काल में पूजा पाठ मना होता है लेकिन आप अपने ईष्ट देव के मंत्रों का जाप कर सकते हैं। अगर आप अपने ईष्ट देवता के बारे में नहीं जानते तो किसी भी भगवान के मंत्रों का जाप कर सकते हैं। – किसी भी ग्रहण का सूतक शुरू होने से पहले खाने पीने की सभी वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे खाना दूषित नहीं होता। – सूतक काल के समय छोटे बच्चों को अकेला कभी भी न छोड़ें। – गर्भवती महिलाएं सूतक काल के समय घर से न निकलें। इस बात का ध्यान रखें की ग्रहण की छाया आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर नहीं पड़नी चाहिए। – घर के मंदिर के दरवाजे सूर्य ग्रहण लगते ही बंद कर दिये जाते हैं। अगर मंदिर खुले में है तो भगवान की मूर्तियों पर परदा डाल दें। – सूतक काल समाप्त होने के बाद पीने के पानी को बदल दें। – सूर्य ग्रहण का सूतक खत्म होने के बाद स्नान कर लें। – सूतक काल की समाप्ति के बाद दान जरूर करना चाहिए। इससे ग्रहण का बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सूर्य ग्रहण मेष राशि के भाग्य भाव को प्रभावित करेगा। इस दौरान आप अपने ईष्ट देव के मंत्र जाप या हनुमान चालीसा का पाठ करें। वृष राशि के अष्टम भाव को प्रभावित करेगा। गणपति की आराधना आपके लिए उत्तम रहेगी। मिथुन के सातवें भाव को प्रभावित करेगा। भगवान विष्णु व श्रीकृष्ण की प्रार्थना करें। कर्क राशि के छठवें भाव को प्रभावित करेगा इसलिए आप शिव आराधना करें। सिंह राशि के पांचवें भाव पर ग्रहण लगेगा। आदित्य ह्दय स्त्रोत का पाठ करें। कन्या चतुर्थ भाव के प्रभाव को सूर्यदेव की अराधना करके समाप्त कर सकते हैं। तुला राशि के तीसरे भाव को ग्रहण प्रभावित करेगा। मां दुर्गा की उपासना से समस्याओं का निदान होगा । वृश्चिक राशि के दूसरे भाव के कारण परेशानी आएगी। सुंदरकांड का पाठ करें। धनु राशि के लग्न को प्रभावित करेगा। विष्णु सहस्रनाम के पाठ से कष्टों का शमन होगा। मकर के 12 वें भाव के प्रभाव से आने वाली समस्या शिव उपासना से दूर होगी। कुंभ के 11 वें भाव को प्रभावित करेगा। सरसों तेल का दीपक जलाएं। मीन राशि 10 वें भाव के प्रभाव से पिता को कष्ट होगा। निर्धनों को गेहूं का दान करें।
ग्रहण का सूतक काल लगते ही बुरी शक्तियां प्रबल हो जाती हैं इसलिए सूतक काल के समय किसी भी सुनसान जगह या शमशान आदि के पास से न गुजरें। गर्भवती महिलाएं ग्रहण और सूतक काल के प्रारंभ होते ही कुछ भी चाकू एवं छुरी का इस्तेमाल न करें। साथ ही सलाई कढ़ाई का काम भी नहीं करना चाहिए। सूतक काल प्रारंभ होने के बाद कुछ भी नहीं खाना चाहिए। सूतक काल के दौरान सोना भी नहीं चाहिए लेकिन बच्चों, वृद्ध और बीमार लोगों पर ये मान्य नहीं है। सूतक काल के दौरान तुलसी के पत्तों को न तोड़ें। सूतक काल लगते ही भगवान की प्रतिमाओं को भी नहीं छूना चाहिए। सूतक काल के दौरान शारीरिक संबंध भी नहीं बनाने चाहिए। सूतक काल लगने पर खुली आंखों से सूर्य को न देखें इसका बुरा प्रभाव आप पर पड़ सकता है। ग्रहण के समय शुभ काम की शुरुआत न करें।
ग्रहण के स्पर्श के मुताबिक सूतक बुधवार की शाम सवा आठ पांच बजे से लगेगा। आज यानी बुधवार को ही मंगल का राशि परिवर्तन होगा। वह तुला से वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। वहीं गुरुवार को ग्रहण के साथ ही धनु राशि में केतु के साथ छह ग्रहों की युति हो रही है। इसके कारण सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व सामरिक हर दृष्टि से अशुभ संकेत मिल रहे हैं।
यह सूर्य ग्रहण भारत, श्रीलंका, सऊदी अरब, सुमात्रा, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और बोर्नियो में दिखाई देगा। ऊटी, कोयंबटूर, शिवगंगा, तिरुचिरापल्ली, अल होफुफ और सिंगापुर के कुछ प्रसिद्ध शहरों में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। वहीं मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली, चेन्नई, मैसूर, कन्याकुमारी, रियाद, दोहा, अबू धाबी, मस्कट, कुवैत सिटी, कराची, कुआलालंपुर, जकार्ता और भारत के कुछ प्रसिद्ध शहरों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
ग्रहण प्रारम्भ काल - 08:17 ए एम
परमग्रास - 09:31 ए एम
ग्रहण समाप्ति काल - 10:57 ए एम
खण्डग्रास की अवधि - 02 घण्टे 40 मिनट्स 06 सेकण्ड्स
अधिकतम परिमाण - 0.55
सूतक प्रारम्भ - 05:31 पी एम, दिसम्बर 25
सूतक समाप्त - 10:57 ए एम
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ - 03:47 ए एम
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त - 10:57 ए एम
26 दिसम्बर, 2019 का ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं होगा क्योंकि चन्द्रमा की छाया सूर्य का मात्र 97% भाग ही ढकेगी। आकाशमण्डल में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केन्द्र के साथ मिलकर सूर्य के चारों ओर एक वलयाकार आकृति बनायेगी। इस सूर्य ग्रहण सर्वाधिक लम्बी अवधि 3 मिनट और 39 सेकण्ड की होगी।
पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभार इस प्रक्रिया में चाँद, सूरज और धरती के बीच में आ जाता है। जिससे सूरज की कुछ या फिर सारी रोशनी धरती पर आने से रूक जाती है। जिससे धरती पर अंधेरा फैल जाता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना अमावस्या के दिन होती है।
साल का आखिरी पूर्ण सूर्यग्रहण भारत समेत अन्य देशों में भी प्रभावी तौर पर नजर आएगा। यह साल का तीसरा सूर्यग्रहण है, लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण के तौर पर देखें तो ये दो साल में पहला ग्रहण होगा। इससे पहले 6 जनवरी और 2 जुलाई को भी आंशिक सूर्यग्रहण पड़ा था।
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कल यानी 26 दिसंबर को लगने वाला है। लेकिन इसका सूतक काल आज रात 8 बजे से ही लग जाएगा। इस कारण देशभर के कई मंदिरों में संध्या आरती के बाद कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद 26 दिसंबर को ग्रहण काल से मोक्ष मिलने के बाद ही भगवान के पुन: दर्शन हो सकेंगे।