चंद्रमा का पुत्र वर्चा था। कहते हैं कि चंद्रमा कभी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा पृथ्वी पर जाकर महाभारत का युद्ध लड़े। परंतु उन्हें विवश होकर अपने अपने पुत्र को महाभारत के युद्ध के लिए भेजना पड़ा था। चन्द्र को आखिर क्यों इस बात के लिए विवश होना पड़ा था? किसने उन्हें विवश किया था? और उनके पुत्र वर्चा ने किस प्रकार महाभारत का युद्ध लड़ा था? साथ ही आखिर इस युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु को क्यों नहीं बचाया था। आगे हम इसे जानते हैं।

दुष्टों के विनाश के लिए भगवान विष्णु अवतार लेते थे। भगवान विष्णु का साथ देने के लिए सभी देवताओं को पृथ्वी पर या तो अपना अवतार लेना पड़ता था या फिर अपना पुत्र उत्पन्न करना पड़ता था। द्वापर युग में दुष्टों का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु कृष्ण के रूप में अवतार लेने वाले थे। तब ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं को यह आदेश दिया था कि भगवान श्रीकृष्ण की सहायता के लिए वह सभी पृथ्वी पर अंशावतार लें या अपने पुत्रों को जन्म दें। जब चंद्रमा ने सुना कि उनके पुत्र वर्चा को भी पृथ्वी पर जन्म लेना का अधिकार मिला है तो उन्होंने ब्रह्मा के उस आदेश को मानने से इंकार कर दिया। साथ ही यह भी कह दिया था कि उनका पुत्र वर्चा अवतार नहीं लेगा।

तब सभी देवताओं ने चंद्रमा पर यह कहकर दबाव डाला कि धर्म की रक्षा करना सभी देवताओं का कर्तव्य ही नहीं धर्म भी है। इसलिए वे अथवा उनका पुत्र अपने कर्तव्य से कैसे विमुख कैसे हो सकते हैं। देवताओं के इस प्रकार दबाव डालने पर चंद्रमा विवश हो गए थे। लेकिन फिर भी उन्होने देवताओं के सामने एक शर्त रख दी। वह शर्त यह थी कि उनका पुत्र ज्यादा समय तक पृथ्वी पर नहीं रहेगा। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के मित्र देवराज इन्द्र के पुत्र अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के रूप में जन्म लेगा। वह भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन की अनुपस्थिति में अकेला ही अपना पराक्रम दिखाता हुआ वीरगति को प्राप्त करेगा। जिससे तीनों लोकों में उसके पराक्रम की चर्चा होगी।

इसके साथ ही चंद्रमा ने देवताओं के सामने यह शर्त भी रख दी थी कि अभिमन्यु का पुत्र भी उस कुरु मंचा का उत्तराधिकारी होगा। चंद्रमा के इस हठ के कारण सभी देवता विवश हो गए। तब चंद्रमा के पुत्र वर्चा ने महारथी अभिमन्यु के रूप में जन्म लिया था। जिसके बाद द्रोणाचार्य द्वारा रचे गए चक्रव्युह में अपना तीनों में अपना पराक्रम दिखाकर अल्पायु में ही वीरगति को प्राप्त हो गए। कहते हैं कि यही कारण था कि श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु को नहीं बचाया था।