शनि के इस मंदिर की मान्यता है कि यहां सिंदूरी शनि महाराज भक्तों को 16 श्रृंगार में दर्शन देते हैं। वैसे तो आमतौर पर हम मंदिरों में शनिदेव को बिना किसी श्रृंगार के काली पत्थर की प्रतिमा का दर्शन करते हैं। लेकिन इंदौर के जूनी शनि मंदिर में 16 श्रृंगार में शनिदेव विराजमान हैं। कहते हैं कि जब इस मंदिर में शनिदेव की दूध और जल से अभिषेक किया जाता है तो इनका यह रूप निखर उठता है। आखिर क्या कारण है कि शनिदेव के इस मंदिर उनकी 16 श्रृंगार की जाती है? साथ ही शनिदेव के इस 16 श्रृंगार की क्या मान्यता है? और दर्शन के लिए क्यों इस मंदिर भक्तों की भीड़ उमरती है? जानते हैं।
सिंदूरी शनि महाराज के इस मंदिर में उनका 16 श्रृंगार किया जाता है। सोलह श्रृंगार में शनिदेव का यह रूप भक्तो को डराता नहीं है, बल्कि भक्तों को बरबस अपनी ओर खींचता है। मान्यता है कि इंदौर के इस मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों को चमत्कार दिखता है। आमतौर पर लोग शनिदेव को क्रूरता का प्रतीक मानते हैं। साथ ही लगभग सभी मंदिरों में शनिदेव की प्रतिमा काले पत्थर की होती है जिस पर कोई श्रृंगार नहीं होता। लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है जहां शनिदेव आकर्षक श्रृंगार में भक्तों को दर्शन देते हैं। कहा जाता है कि इस प्राचीन मंदिर में शनिदेव का इतना आकर्षक होता है कि भक्त मंत्रमुग्ध होकर इन्हें निहारते हैं।
शनिदेव की प्रतिमा के साथ ही इस मंदिर में होने वाली पूजा की विधि भी अनोखी है। क्योंकि यहां तेल से नहीं बल्कि दूध और जल से शनिदेव के प्रसन्न होने की मान्यता है। सुबह सवेरे पहले शनिदेव का दूध और जल से स्नान कराया जाता है। फिर उन्हें फूलों और शाही पोशाकों से सजाया जाता है। शनिदेव के श्रृंगार की इस पूरी प्रक्रिया में तकरीबन छह घंटों का समय लगता है। इस शनि मंदिर की एक विशेषता है जो बाकी मंदिरों से बिलकुल अलग है। कहा जाता है कि यहां आरती से ठीक पहले शहनाई बजाई जाती है, जो आरती पूरी होने तक लगातार बजती रहती है।