Chhath Puja 2023 Sandhya Arghya Timing: इस साल 17 नवंबर 2023 से छठ महापर्व का आरंभ हुआ था। इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इसके बाद खरना, अर्घ्य और पारण किया जाता है। चार दिन पड़ने वाले इस पर्व में सूर्य देवता के साथ छठ माता की पूजा करने का विधान है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उत्तम भविष्य की कामना करके रखती हैं। आज छठ पर्व का तीसरा दिन है। इस खास मौके पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इस दिन व्रती महिलाएं कमर तक पानी के अंदर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। जानें शुभ मुहूर्त और विधि।

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 19 अक्टूबर को जूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। बता दें कि आज सूर्यास्त 5 बजकर 37 मिनट पर होगा। इस समय व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्ध्य दे सकती हैं।

कैसे करते हैं डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता जाता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के नाम से जानते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का प्रसाद बनाया जाता है। इसी दिन ठेकुआ बनाएं जाते हैं। इसके अलावा चावल के लड्डू भी बनाए जाते हैं। पूरी तैयारी करने के साथ शआम के समय बांस के सूप और टोकरी को तैयार किया जाता है। इसमें चावल, गन्ना, केला, ठेकुआ, ताजे फल, सूखे मेवे, मिठाई, गुड़, नारियल, घी, धान, नींबू, इलायची, हरी अदरक आदि रखी जाती है। फिर इसे लेकर गांव, नगर के नदी, तालाब के किनारे इकट्ठे होकर सामूहिक रूप से सिर में ये सूप रखकर पानी के अंदर जाते हैं और भगवान सूर्य का नाम लेते हुए उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।

क्यों देते हैं डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य?

शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में भगवान विष्णु जल में ही निवास करते है इसके साथ ही सूर्य को भगवान विष्णु का प्रत्यक्ष रुप माना जाता है। कमर तक पानी में जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का मतलब है कि भगवान विष्णु के सूर्य रूप और जल में स्थित विष्णु के अप्रत्यक्ष रूप की पूजा एक साथ हो जाती है। इससे जीवन में खुशहाली आती है।

सोमवार को खुलेगा व्रत

शनिवार शाम को महिलाओं ने खरना का प्रसाद और रोटी ग्रहण करके 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ किया था। रविवार के दिन व्रती शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी और अगले दिन यानी सोमवा को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ 36 घंटे का व्रत का पारण कर दिया जाएगा।

सूर्य देव मंत्र

भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का जाप करना लाभकारी माना जाता है। ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम: