चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। तब धरती पर चंद्र ग्रहण (penumbral lunar eclipse 2020) का नजारा देखने को मिलता है। ये उस स्थिति में होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाएं। ऐसा सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही हो सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते और न ही देवी देवताओं की प्रतिमाओं को स्पर्श किया जाता है। जानिए पौराणिक कथाओं अनुसार ग्रहण का इतिहास…
पौराणिक कथाओं अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद हुआ तो इसको सुलझाने के लिए मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। भगवान विष्णु ने अमृत देवताओं को पिलाने की चाह से सभी देवताओं और असुरों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया। देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहू को ऐसा करते हुए देख लिया। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहू का सर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन राहू ने अमृत पान किया हुआ था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी कारण राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रास लेते हैं। इसलिए चंद्र ग्रहण होता है।
विज्ञान की नजर से जानिए इस ग्रहण के क्या है मायने?
2020 का वार्षिक राशिफल देखें यहां…
मेष (Aries ) | वृषभ (Taurus) | मिथुन (Gemini) | कर्क (Cancer) | सिंह (Leo) | कन्या (Virgo) | तुला (Libra) | वृश्चिक (Scorpio) | धनु (Sagittarius) | मकर (Capricorn) | कुंभ (Aquarius) | मीन (Pisces)
Highlights
साल 2020 के पहले चंद्र ग्रहण को लोगों ने लंदन में भी दीदार किया। दशक के पहले फुल मून का विडियो को केविन पी. विलियम्स नामक एक यूजर ने ट्यूटर पर शेयर किया है। इस फूल मून को लोग वुल्फ मून का भी नाम दे रहे हैं।
- नॉर्वे स्थित टाइमएंडडेट डॉट कॉम के अनुसार, पेनुमब्रल ग्रहण 10 जनवरी को शाम 5:07 बजे शुरू होगा और 10:37 बजे समाप्त होगा।- अधिकतम ग्रहण 10 जनवरी को शाम 7:10 बजे शुरू होगा और 11 जनवरी को सुबह 12:40 बजे समाप्त होगा। पेनुमब्रल ग्रहण 10 जनवरी को रात 9:12 बजे और 11 जनवरी को 2:42 बजे समाप्त होगा।
भारत में, चंद्र ग्रहण 10 जनवरी 2020 को रात 10:30 बजे से सुबह 2:42 बजे, 11 जनवरी 2020 तक देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण की पूर्ण अवधि लगभग 4 से 5 घंटे होने की उम्मीद है। यह ग्रहण इस साल के चार पेनुमब्रल ग्रहणों में से पहला होगा। उसी के लिए अन्य अस्थायी तिथियां 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर हैं।
इसके बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी सरोवर में स्नान किया जाए तो सभी पाप धुल जाते हैं। इसके अलावा गेहूं, चावल और गुड़ जैसी चीजों का दान भी करना चाहिए। इससे खुशहाली आती है।
ग्रहण की तरह इस ग्रहण में सूतक नहीं लगेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पूरी तरह से नहीं पड़ेगी। चंद्र या सूर्य ग्रहण होने के बारह घंटे पहले सूतक काल लगता है। इस दौरान कोई भी शुभ काम करना मना होता है लेकिन इसमें ऐसा नहीं होगा। ग्रहण काल को छोड़कर आप अपने बाकी के काम रोज की तरह ही कर सकते हैं।
10 जनवरी की रात होने वाला चंद्र ग्रहण कनाडा, यूएस, ब्राजील, अर्जेंटीना, अंटार्कटिका में नहीं दिखेगा। इनके अलावा भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में दिखेगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण दिखेगा। हिंद महासागर (इंडियन ओशिन) में ग्रहण दिखाई देगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये ग्रहण 10 जनवरी की रात में शुरू होगा। 12 बजे के बाद अगली तारीख यानी 11 जनवरी लग जाएगी।
साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी शुक्रवार यानी आज लगेगा। 6 कुल ग्रहण इस साल लगेंगे जिसमें से चंद्र ग्रहण 4 होंगे और सूर्य ग्रहण 2 होंगे। आज साल का पहला उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। भारत में भी यह चंद्र ग्रहण नजर आएगा। 4 घंटे से भी ज्यादा इस चंद्र ग्रहण की समय अवधी बताई गई है।
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्
मेष: मेष राशि वाले को इस चंद्र ग्रहण से कई फायदे हो सकते हैं। अपने कई कार्यों को सफल होता देख सकते हैं। कार्यस्थल पर भी लोग उनके काम को सराह सकते हैं।
इस वर्ष होने वाले ग्रहणों की सूची इस प्रकार है:
5 जून - चंद्र ग्रहण
21 जून - सूर्य ग्रहण
5 जुलाई - चंद्र ग्रहण
30 नवंबर - चंद्र ग्रहण
14 दिसंबर - सूर्य ग्रहण
सूतक काल ग्रहण से लगभग 12 घंटे पहले शुरू होता है। हालांकि, इस बार सूतक काल नहीं होगा। ज्योतिषियों के अनुसार, चंद्रग्रहण को शास्त्रों में ग्रहण की श्रेणी से बाहर रखा गया है। इस कारण से, इस प्रथम प्रथमाक्षर चंद्र ग्रहण पर सूतक काल नहीं लगेगा।
लोग चंद्रग्रहण को नग्न आंखों के माध्यम से देख सकते हैं क्योंकि रात में चंद्रमा को देखना पूरी तरह से सुरक्षित है। लोग http://www.timeanddate.com पर चंद्रग्रहण का लाइव स्ट्रीमिंग भी देख सकते हैं। ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के अलावा, लोग अपने स्मार्ट गैजेट्स पर चंद्र ग्रहण भी देख सकते हैं। पहला चंद्रग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जाएगा।
सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है। किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं। सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता। यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं। इस बार 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण हालांकि इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं।
उपच्छाया से पहला स्पर्श - 10:39 पी एम, जनवरी 10 परमग्रास चन्द्र ग्रहण - 12:39 ए एम उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 02:40 ए एम उपच्छाया की अवधि - 04 घण्टे 01 मिनट 47 सेकण्ड्स उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण - 0.89
इस ग्रहण को लेकर लोग कुछ दुविधा में है कि सूतक काल लगेगा या नहीं। ज्योतिष के अनुसार सूतक का प्रभाव तब होता है जब ग्रहण लगता है। दरअसल 10 जनवरी की रात को लगने वाला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसे मांद्य ग्रहण कहा जाता है। मांद्य ग्रहण में चंद्रमा पर ग्रहण नहीं लगेगा बल्कि चांद मटमैला हो जाएगा। चूंकि ग्रहण बेहद कमजोर होने के नाते भारत में ग्रहण का कोई भी असर नहीं दिखेगा । इस कारण से सूतक प्रभावी नहीं होगा।
ये मांद्य चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन, चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त होता दिखाई नहीं देगा। एशिया के कुछ देशों, यूएस आदि में ये ग्रहण देखा जा सकेगा। इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया।
पेनम्ब्रल लूनर एक्लिप्स या उपच्छाया चंद्र ग्रहण के दौरान चांद केवल पृथ्वी की सबसे विरल छाया से होकर गुजरेगा. हालांकि, चांद का कोई भी हिस्सा पृथ्वी की सबसे काली छाया से नहीं गुजरेगा लेकिन उपछाया चंद्रग्रहण देखना बेहद आसान होगा. अगर चांद का छोटा सा हिस्सा भी पृथ्वी की गहरी छाया से होकर गुजरता है तो इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है. वहीं, जब पूरा चांद पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो यह स्थिति पूर्ण चंद्र ग्रहण कहलाती है.
चंद्रग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आकर चंद्र पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी को रोक देती है जिससे कि चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आने लगता है। विज्ञान अनुसार इसी तरह चंद्र ग्रहण लगता है। कुल तीन प्रकार के चंद्र ग्रहण होते हैं। एक पूर्ण, दूसरा आंशिक और तीसरा पीनम्ब्रल यानी उपच्छाया। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण ही 10 जनवरी को लगने जा रहा है।
साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगने जा रहा है। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। इसके अलावा साल में तीन अन्य चंद्र ग्रहण और 2 सूर्य ग्रहण भी लगेंगे। कुल मिलाकर साल 2020 में कुल 6 ग्रहण पड़े हैं। साल के पहले चंद्र ग्रहण की शुरुआत 10 जनवरी की रात 10 बजकर 39 मिनट से होगी और इसकी समाप्ति 11 जनवरी को 2 बजकर 40 ए एम पर होगी। इस ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के कई इलाकों में देखा जा सकेगा। जानिए साल 2020 में और कितने ग्रहण पड़ेंगे…
सूतक काल: क्योंकि भारत में ये ग्रहण लगेगा इसलिए कई लोग इसके सूतक काल को भी मानेंगे। आपको बता दें चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जायेगा। 10 जनवरी को ग्रहण रात में 10 बजे के आस पास लगने जा रहा है जिस कारण इसके सूतक का प्रभाव दोपहर 1 बजे से माना जायेगा। ये चंद्र ग्रहण भारत समेत यूएस, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के कई भागों में देखा जा सकेगा।
चंद्र ग्रहण का समय: ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसका प्रारंभ 10 जनवरी की रात 10 बजकर 39 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 2 बजकर 40 ए एम (11 जनवरी) को होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 1 मिनट की रहेगी।
चंद्रग्रहण मिथुन राशि में लगने जा रहा है। जिस कारण इसका सबसे ज्यादा प्रभाव इसी राशि के जातकों पर पड़ेगा। चंद्रग्रहण का आपके ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हुआ नजर आ रहा है। व्यापारियों को सफलता मिलेगी। माता पिता की सेहत का खास ख्याल रखना होगा। प्रेमी के साथ अचानक से किसी यात्रा पर जाने के योग बनेंगे। पैसों के मामलों को लेकर समय अच्छा आने वाला है। जानिए बाकी राशि वालों का क्या रहेगा हाल
ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। शास्त्रों में इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा गया है। क्योंकि ये ग्रहण खुली आंखों से नहीं दिखाई देगा इसलिए इसका धार्मिक महत्व नहीं है। मान्ताओं अनुसार जो ग्रहण आसानी से देखा जा सके उसका ही सूतक काल माना जाता है। इस ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी की ओट में आयेगा ही नहीं।
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। मान्यता है कि ग्रहण काल में प्रेगनेंट महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही किसी भी तरह की नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रेगनेंट महिलाएं ग्रहण शुरू होते ही चाकू, ब्लेड, कैंची जैसी चीजों का इस्तेमाल न करें। क्योंकि ग्रहण के समय धार वाली वस्तुओं का प्रयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है।
ग्रहण के बाद स्नान और दान से खास लाभ होता है। गेहूं, धान, चना,मसूर दाल, गुड़, अरवा चावल,सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी, चांदी-स्टील की कटोरी में खीर दान से विभिन्न राशि के लोगों को खास लाभ मिलेगा।
साल 2020 का पहला ग्रहण 10 जनवरी शुक्रवार के दिन पड़ेगा। यह चंद्र ग्रहण होगा, यह ग्रहण 10 जनवरी की रात में 10 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और 11 जनवरी को मध्यरात्रि में 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 06 मिनट है। चंद्र ग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और आस्ट्रेलिया में देखा जाएगा।
सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है। किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं। सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता। यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं। इस बार 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण हालांकि इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं।
- पहला ग्रहण: 10-11 जनवरी, चंद्र ग्रहण- दूसरा ग्रहण: 5 जून, चंद्र ग्रहण- तीसरा ग्रहण: 21 जून, सूर्य ग्रहण- चौथा ग्रहण: 5 जुलाई, चंद्र ग्रहण- पांचवा ग्रहण: 30 नवंबर, चंद्र ग्रहण- छठा ग्रहण: 14 दिसंबर, सूर्य ग्रहण
इस बार का चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा. शास्त्रों में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण के रुप में नहीं माना जाता है. इसलिए आज पूर्णिमा तिथि के पर्व और त्योहार मनाए जा सकेंगे. इस ग्रहण में चंद्रमा मिथुन राशि में होगा, नक्षत्र पूर्नवसु रहेगा. मिथुन राशि के लोगों को चंद्र ग्रहण के समय सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी. पूर्नवसु नक्षत्र के लोगों को भी बेवजह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं.
वैज्ञानिक कारण से परे धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण का विशेष महत्व रहता है. दरअसल, ग्रहण काल को अशुभ माना गया है. सूतक की वजह से इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं में विश्वास रखने वाले लोग ग्रहण के वक्त शिव चालिसा का पाठ कर सकते हैं. साथ ही ग्रहण खत्म होने के बाद नहाकर गंगा जल से घर का शुद्धिकरण करते हैं और फिर पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा करते हैं.
जब सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती हुई पृथ्वी एक सीध में अपने उपग्रह चंद्रमा तथा सूर्य के बीच आ जाती है, तो चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें रुक जाती हैं, और पृथ्वी की प्रच्छाया उस पर पड़ने लगती है, जिससे उसका दिखना बंद हो जाता है. इसी खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है.
मेष से लेकर मीन राशि वालों के लिए आज का राशिफल खास परिवर्तन दर्शा रहा है। राशिफल के मुताबिक मेष राशि वाले घर में कोई नया कार्य शुरू कर सकते हैं। लंबी दूरी की यात्रा का योग है। वृषभ राशि से संबंधित जातकों को कारोबार में अच्छा प्रदर्शन देखने को मिलेगा। आज साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण है। हालांकि इस ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं पड़ने वाला लेकिन आध्यात्मिक मान्यताओं को प्रधानता देने वाले इस दिन को खास तरह से देखते है। आइए जानते हैं कि किस राशि में आज का दिन खुशखबरी लेकर आने वाला है और किनसे के लिए चेतावनी भरा संदेश…जानिए आज का राशिफल
आज पौष मास की पूर्णिमा तिथि है और आज के दिन ही साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 2.34 ए एम बजे से हो चुका है और इसकी समाप्ति 11 जनवरी को 12.50 ए एम पर होगी। इसके बाद से माघ का महीना शुरू हो जायेगा। पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण की शुरुआत रात 10.39 पी एम से होगी और इसकी समाप्ति 11 जनवरी 02.40 ए एम पर होगी। 10 जनवरी से ही माघ मेले का प्रारंभ भी हो रहा है। जानिए इस तिथि का पूरा पंचांग…
चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य जब एक सीध पर होते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है तो चंद्र ग्रहण माना जाता है। लेकिन इस बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया के बाहरी किनारे (पृथ्वी की उपछाया) से होकर गुजरेगा। यानी चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में छिपेगा नहीं। बल्कि हल्का मलिन होगा जिसकी मलिनता नंगी आंख से देख पाना मुश्किल है। इस प्रकार यह ग्रहण उप-छाया चंद्र ग्रहण होगा।
चंद्रग्रहण में गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से भी दूर रहना चाहिए क्योंकि ग्रहण की छाया का कुप्रभाव से गर्भस्थ शिशु पर पड़ने का डर रहता है, जो बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं एक नारियल हमेशा पास रखें और उसे अपने पास ही रखकर सोएं।
चंद्रमा की सतह पर प्रकाश मारने के बजाय, पृथ्वी की छाया उस पर पड़ती है। यह चंद्रमा का ग्रहण है - चंद्रग्रहण। चंद्रग्रहण पूर्ण होने पर ही चंद्रग्रहण हो सकता है, यह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा बताती है।
ग्रहण का प्रभाव एक पक्ष तक यानी 15 दिन तक रहता है. चंद्रमा जल का कारक होने से इस दौरान पृथ्वी पर जलीय आपदा या भूकम्प भी आ सकता है. वहीं बात करें तो सभी राशियों पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव या दुष्प्रभाव अवश्य पड़ेगा. मिथुन और कर्क वालों को स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा तो वहीं सिंह राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ रहेगा।
सूर्य, बुध, गुरु, शनि और केतु ये पांच ग्रह धनु राशि पर लगे हुए हैं और इस बार का चंद्र ग्रहण मिथुन राशि में लग रहा है। जब मिथुन राशि पर ग्रहण लगेगा तब 7वें स्थान पर यह पांचों ग्रह धनु राशि पर एकत्र हो जाएंगे।
चन्द्र ग्रहण के बाद स्नान और दान का विशेष महत्व होता है । चन्द्र ग्रहण के बाद गेहूं, धान, चना, मसूर दाल, गुड़, चावल, सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी का दान करना शुभ माना गया है। ग्रहण के बाद गंगाजल में इत्र या गुलाबजल डाल कर घर में छिड़काव करने से सौभाग्य प्राप्त होता है।
चन्द्रग्रहण के समय किसी को भी सोना, कंघा करना, ब्रश करना, बाहर जाना और चांद को नहीं देखना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ऐसा करने में कोई हानि भी नहीं है।