Amalaki Ekadashi 2019: इन दिनों होलाष्टक चल रहा है जो अशुभ समय माना जाता है। इस अशुभ समय को शुभ बनाने के लिए भगवान विष्णु का प्रिय व्रत एकादशी 17 मार्च 2019, रविवार को पड़ रहा है। फाल्गुन शुक्ल एकादशी को पड़ने वाली एकादशी नाम आमलकी एकादशी है। यह एकादशी हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को तिथि को मनाई जाती है। शास्त्रों में इस एकादशी को अक्षय नवमी के समान है शुभ फलदायी बताया गया है।

जिस प्रकार अक्षय नवमी में आंवले के वृक्ष की पूजा होती है उसी प्रकार आमलकी एकादशी के दिन आंवले की वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के मुताबिक आगे हम जानते हैं कि आमलकी एकादशी व्रत और पारण के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

एकादशी-व्रत को समाप्त करने की विधि को पारण कहा जाता है। पारण एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद किए जाने का विधान है। फाल्गुन शुक्ल एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना आवश्यक माना गया है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद करना ही शुभ माना गया है। साथ ही द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

एकादशी व्रत का पारण हरि वास के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। बता दें कि हरि वास द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातः काल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातः काल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।

कभी-कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दूसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।