देश भर में एक तरफ जहां कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से जनता दम तोड़ रही है, वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को एक गौरक्षा हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्देश दिया है। सरकार की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना वायरस की सक्रियता को देखते हुए सभी गाय आश्रयों (गौशालाओं) में कोविड -19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जाए। साथ ही मास्क लगाने और बार-बार थर्मल स्क्रीनिंग करने काे भी कहा गया है।
अफसरों को सख्त हिदायत दी गई है कि गौशालाओं में गायों और अन्य जानवरों के लिए सभी चिकित्सा उपकरणों, ऑक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर आदि की हर वक्त उपलब्धता सुनिश्चित हो। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक बड़ी संख्या में बेसहारा गायों को भी गौशालाओं में आश्रय दिया जा रहा है। सरकार आवारा पशुओं के खतरे से निपटने के लिए मौजूदा गौशालाओं और गौ आश्रमों की संख्या भी तेजी से बढ़ा रही है। हालांकि विपक्ष का कहना है कि योगी सरकार अपने गौ रक्षा एजेंडे को फिर आगे बढ़ा रही है।
राज्य में फिलहाल 5,268 से अधिक गौ रक्षा केंद्र हैं। इनमें 5,73,417 मवेशियों की देखभाल की जाती है। लगभग 4,64,311 गायों को 4,529 अस्थायी गाय आश्रयों में रखा गया है। ये ग्रामीण और शहरी दोनों जगह में हैं। इनमें से 40,640 गायें 161 कान्हा गौशालाओं में और 10727 गायें 407 कांजी घरों में हैं। इसके अलावा राज्य में 171 बड़े गौ-संरक्षण केंद्र/गाय अभयारण्य बनाए गए हैं, जिनमें 57,639 गायों को आश्रय प्रदान किया जाता है।
राज्य सरकार द्वारा विकसित चारा बैंक मॉडल 3,452 चारा बैंकों के माध्यम से गायों को समय पर चारा उपलब्ध करा रहा है। कोविड महामारी के बीच उत्तर प्रदेश में लाखों आवारा पशुओं को इससे चारा मिल रहा है। मुख्यमंत्री बेसहारा गौवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत यूपी सरकार आवारा मवेशियों की देखभाल करने वाले किसानों को हर महीने 900 रुपए की आर्थिक मदद करने की भी व्यवस्था की है।
अब तक 44, 651 लाभार्थियों को कुल 85,869 गायें उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा, 533 पंजीकृत गौशालाओं और 377 कार्यात्मक गाय आश्रय द्वारा 1,05,380 से अधिक गायों की देखभाल सुनिश्चित की गई है।