टीएमसी नेता बाबुल सुप्रियो ने कहा, “मैं राजनीति से आहत होकर सेवानिवृत्त हुआ, मुझे लगा कि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को प्रतिभा और ज्ञान की कोई परवाह नहीं है। मैंने 2014 से भाजपा के लिए कड़ी मेहनत की। दो बार चुनाव जीतने और मंत्रालय में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद, अगर मेरी पदोन्नति की आकांक्षाएं थीं तो इसमें गलत क्या है?” भाजपा को छोड़ने के मीडिया के सवाल पर बाबुल सुप्रियो का दर्द छलक उठा।

उन्होंने कहा कि “अगर मुझे कोई डर होता तो मैं पार्टी क्यों छोड़ता। एक व्यक्ति जो एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाता है और अक्सर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के साथ अपने संबंध का दिखावा करता है। वे मेरे पीछे केंद्रीय एजेंसियों में से एक को लगाने के लिए बहुत प्रयास कर रहे हैं। हम इसका सामना करेंगे।” कहा कि हमें किसी का डर नहीं है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री व आसनसोल से दो बार सांसद चुने गए बाबुल सुप्रियो ने पिछले साल भाजपा छोड़ तृणमूल का दामन थाम लिया था। इसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते आसनसोल सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है। उपचुनाव के लिए 12 अप्रैल को मतदान होगा। मतगणना 16 अप्रैल को की जाएगी।

सुप्रियो के सहारे साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में आसनसोल में जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर इस सीट को अपनी झोली में डालने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने सिन्हा के खिलाफ अग्निमित्रा पॉल को मैदान में उतारा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद भाजपा छोड़ने वाले सुप्रियो तृणमूल के टिकट पर बालीगंज विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर भी 12 अप्रैल को मतदान होगा।

लोकसभा उपचुनाव में भी ”अपने और बाहरी” की बहस चल रही है। इसी चुनावी दांव ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने में तृणमूल की मदद की थी। हालांकि, इस बार तृणमूल पर ही बाहरी उम्मीदवार उतारने का आरोप लग रहा है। भाजपा सिन्हा को ”बाहरी” बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। आसनसोल लोकसभा सीट पर मौजूद लगभग 15 लाख मतदाता कोयला खादान श्रमिक, कारखाने में काम करने वाले मजजदूर और छोटे कारोबारी हैं।