बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 47 उम्मीदवारों की सूची जारी करने के एक दिन सुभसपा ने गुरुवार को कहा कि वह राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 153 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। सभासपा यूपी में एनडीए का हिस्सा है और सुभसपा चीफ ओपी राजभर योगी सरकार में मंत्री हैं।

सुभसपा का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनावों में उसके उतरने से कई विधानसभा सीटों पर एनडीए की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा। सुभसपा चीफ ओपी राजभर ने कहा है कि अगर बीजेपी बिहार में उनकी पार्टी को तीन चार विधानसभा सीटें भी देती है तो वह अन्य सभी सीटों से अपने उम्मीदवारों के नामांकन वापस ले लेगी।

ओपी राजभर ने कहा कि बीजेपी ने बिहार चुनाव में सुभसपा को कोई भी सीट देने से इनकार कर दिया। ओपी राजभर ने पत्रकारों को बताया कि बिहार बीजेपी को डर था कि अगर हम जीत गए तो उन्हें हमें वहां एनडीए सरकार में जगह देनी पड़ेगी और कुछ विभाग भी देने पड़ेंगे।

बीजेपी ने वादा पूरा नहीं किया- राजभर

उन्होंने दावा किया पिछले साल बिहार उपचुनाव में सुभसपा ने तरारी और रामगढ़ में अपने प्रत्याशी उतारे थे लेकिन बीजेपी सेंट्रल लीडरशिप के निवेदन के बाद उन्होंने नामांकन वापस ले लिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि बीजपी ने उन्हें कुछ राज्य में कुछ आयोग देने का वादा किया था लेकिन पूरा नहीं किया गया।

सुभसपा दावा करती है कि राजभर, रजवार, राजवंशी और राजघोष जैसे ओबीसी समूहों के बीच उसका समर्थन आधार है। ये समुदाय कथित तौर पर बिहार की आबादी का लगभग 4.2% हैं। राजभर ने दावा किया कि उन्होंने बीजेपी से सिर्फ चार – पांच सीटों की मांग की थी लेकिन उन्होंने यह मांग नहीं मानी। अब सुभसपा बिहार में 153 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे।

गठबंधन के पक्ष में थे कुछ बीजेपी नेता?

ओपी राजभर ने कहा कि उनकी पार्टी के विस्तार के लिए चुनाव एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने दावा किया कि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा सहित उत्तर प्रदेश के कुछ बीजेपी नेताओं ने बिहार चुनावों के लिए सुभसपा-बीजेपी गठबंधन के प्रस्ताव का समर्थन किया था।

जब सुभसपा के जनरल सेक्रेटरी और ओपी राजभर के बेटे अरुण राजभर से बिहार चुनाव में उनकी पार्टी की संभावनाओं को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “हम 2004 से बिहार में विभिन्न चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद से नहीं। पिछले कुछ सालों से हम वहां जनसभाएं भी कर रहे हैं।

सुभसपा नेताओं ने दावा किया कि बक्सर, सीवान और औरंगाबाद जैसे क्षेत्रों के कई विधानसभा क्षेत्रों में राजभर और संबंधित समूहों के पास लगभग 25,000 से 70,000 वोट हैं। उनकी पार्टी से एक व्यक्ति ने बताया कि यूपी के बाद पार्टी की ग्रोथ के लिहाज से बिहार महत्वपूर्ण राज्य है। पिछले कुछ सालों में हमने बिहार में लगभग 60 जनसभाएं की हैं और हमारे कार्यकर्ताओं का वहां की जनता से बेहतरीन जुड़ाव हुआ है। यही वजह है कि हमारा बिहार चुनाव लड़ना महत्वपूर्ण है।

ओपी राजभर ने भी यह स्पष्ट किया है कि बिहार में सुभसपा के चुनाव लड़ने से उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ उसके गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में सुभसपा ने बीएसपी और एआईएमआईएम जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन अपना खाता खोलने में असफल रही थी।

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