Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस के मंच पर न बैठने के पीछे बड़ी वजह बताई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की परंपरा में मंच पर सभी का बैठना शामिल नहीं है, इसीलिए हुए कार्यकर्ताओं के साथ नीचे बैठते हैं, क्योंकि मंच पर बैठने से विवाद बढ़ते हैं। दो दिन पहले भोपाल में एक निजी कार्यक्रम में वह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मंच पर नजर आए थे, जिसकी खूब चर्चा हुई।

दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि वह मंच पर नहीं थे। खुद सिंधिया नीचे उतरकर आए और मुझे अपने साथ मंच पर ले गए। दिग्गी राजा ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मेरे पुत्र के समान है। मैंने उनके पिता माधवराव सिंधिया के साथ काम किया है। लोग अब कह रहे हैं कि मैंने मंच पर न बैठने की कसम तोड़ दी। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के मंच पर इसलिए नहीं बैठते, क्योंकि इससे मंच पर बैठने को लेकर विवाद शुरू हो जाता है कि कौन बैठेगा और कौन नहीं। इसलिए वह कार्यकर्ताओं के साथ नीचे बैठना पसंद करते हैं।

दिग्विजय ने याद दिलाया कि जब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तब भी मंच पर कोई नहीं बैठता था और मुख्य वक्ता ही मंच पर जाता था। पहले मध्य भारत में भी यही परंपरा थी, जहां सिर्फ जिला अध्यक्ष और मुख्य अतिथि मंच पर बैठते थे, जबकि विधायक और सांसद नीचे रहते थे।

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दिग्गी राजा ने आगे कहा कि 28 अप्रैल 2025 को ग्वालियर में कांग्रेस की रैली में मंच पर बैठने को लेकर वरिष्ठ नेताओं में झगड़ा हुआ था। इससे नाराज दिग्विजय ने कसम खाई थी कि वह कभी मंच पर नहीं बैठेंगे और तब से वह इस संकल्प का पालन करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे

बता दें, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह कभी कांग्रेस में साथ थे, लेकिन अब राजनीति में दोनों के रास्ते अलग हैं। सिंधिया अपनी राजनीतिक अंदाज के लिए सुर्खियों में रहते हैं। भोपाल में उनके इस कदम ने दोनों नेताओं को फिर से चर्चा में ला दिया। मध्य प्रदेश में सिंधिया को ‘महाराज’ और दिग्विजय को ‘राजा साहब’ कहा जाता है, क्योंकि दोनों का संबंध राज परिवारों से है।