उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि “2022 के चुनाव में वह पूरी तौर पर समाजवादी पार्टी के साथ उनके चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़े, उसके बाद भी उन्हें समाजवादी पार्टी की विधानमंडल दल की मीटिंग में नहीं बुलाया गया। अगर समाजवादी पार्टी के मुखिया को लगता है कि उन्होंने सही किया है तो मुझे विधानमंडल दल से निकाल दें।”

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि जो भाजपा के साथ है वह हमारा नहीं हो सकता है। उनके इस बयान पर पलटवार करते हुए शिवपाल यादव ने यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि वह उचित समय पर उचित निर्णय लेंगे। भाजपा के साथ जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में शिष्टाचार मुलाकात होती रहती है और यह होनी भी चाहिए। इसलिए वह सभी से मिलते रहते हैं।

कहा कि अखिलेश यादव को लगता है कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए तो वह हमें विधानमंडल दल से निकाल सकते हैं। शिवपाल यादव के भाजपा संग जाने की अटकलों के बीच अखिलेश यादव ने इशारों-इशारों में कहा है कि शिवपाल यादव अब भाजपा के संपर्क में हैं और साफ कर दिया कि ऐसे लोग सपा के साथ नहीं रहेंगे। बुधवार को आगरा में अखिलेश यादव ने कहा कि जो भाजपा से मिलेगा, वह सपा में नहीं दिखेगा।

2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच मुलाकात में यह सहमति बनी थी कि पार्टी भले ही दोनों की अलग है, लेकिन चुनाव सब लोग समाजवादी पार्टी के चिह्न पर ही लड़ेंगे। शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के चिह्न पर चुनाव लड़े और जीतकर विधायक भी बनें, लेकिन विधानमंडल दल की बैठक में अखिलेश यादव ने उन्हें नहीं बुलाया। इससे वे नाराज हैं।

इस बीच उनके भाजपा नेताओं से संपर्क होने और उनके भाजपा में जाने की अटकलों के बीच कई तरह की चर्चाएं होने लगीं। शिवपाल यादव सीधे तौर पर कुछ भी कहने से इनकार करते रहे। राज्यसभा जाने की अटकलों पर भी उन्होंने केवल इतना कहा, “अभी हम कुछ बता ही नहीं सकते, बोल ही नहीं सकते हैं, जब बोलेंगे तो मीडिया को बुला लेंगे।” राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवपाल यादव इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि प्रसपा का भाजपा में विलय कराया जाए या एनडीए के सहयोगी के तौर पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया जाए।