कांग्रेस ने पंजाब सरकार के पूर्व मंत्री अमरिंदर सिंह राजा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। शनिवार (नौ अप्रैल, 2022) को उन्हें पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपने का फैसला देर रात पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लिया।

रोचक बात है कि यह वही राजा हैं, जिन्होंने अपने सियासी करिअर के शुरुआती दिनों में कांग्रेस परिवार के करीबी माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला से राजनीति के गुर सीखे थे। अब उन्हें नवजोत सिंह सिद्धू के बाद अगला पंजाब कांग्रेस प्रमुख बनाया गया है।

राजा की गिनती पार्टी के तेजतर्रार युवा नेताओं में होती है। चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया था, जबकि वह इससे पहले भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। राजा पंजाब चुनावों में कांग्रेस के 18 जीतने वाले उम्मीदवारों में शामिल थे। वह लगातार तीसरी बार चुनाव में अपनी Gidderbaha सीट जीतने में कामयाब रहे।

एक जुझारू नेता के तौर पर “लड़ाका” की छवि रखने वाले राजा साल 2014-2018 के दौरान युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। वह एक अन्य ऐसे कांग्रेसी नेता हैं, जिन्होंने छात्र राजनीतिज्ञ के तौर पर अपने करिअर का आगाज किया था। सुरजेवाला के अलावा उन्होंने अपने शुरुआती राजनीतिक सबक कांग्रेस नेता जगमीत बराड़ से सीखे थे, जो अब शिरोमणि अकाली दल में हैं।

कम उम्र में अपने माता-पिता को खोने वाले वॉरिंग ने उत्तर प्रदेश में काम करते हुए 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी सहयोगियों से तारीफ हासिल की थी। इस चीज ने उन्हें साल 2012 के विस चुनावों में मनप्रीत सिंह बादल जैसे तगड़े प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ गिद्दड़बाहा से पार्टी टिकट दिलाने में मदद की, जिन्होंने तब अपना खुद का संगठन बनाया था।

कांग्रेस के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह तब गिद्दड़बाहा से रघुबीर प्रधान को पार्टी का टिकट देना चाहते थे। कैप्टन अमरिंदर ही नहीं, उनके राजनीतिक गुरु जगमीत ने भी चुनाव प्रचार के दौरान राजा का समर्थन न किया था। पर राहुल ने उनके लिए प्रचार किया और वह मनप्रीत को बड़े अंतर से मात देने में सफल रहे थे।

राजा ने 2017 के विस चुनावों में फिर से गिद्दड़बाहा से आराम से जीत हासिल की। हालांकि, लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने के बावजूद वह तत्कालीन अमरिंदर कैबिनेट में जगह सुरक्षित नहीं कर सके, क्योंकि वह बाद वाले के करीब कभी नहीं थे। वैसे, मनप्रीत बादल (जो तब कांग्रेस में शामिल हुए थे) वित्त मंत्री बने थे।

राजा-मनप्रीत में अक्सर खींचतान रही, जो कभी खत्म न हो पाई। मनप्रीत की राहुल और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा तक भी पहुंच थी। मनप्रीत को हराकर पंजाब की राजनीति में शानदार शुरुआत के बावजूद राजा का कैबिनेट से बाहर रहना अपमानजनक था। पिछले साल सितंबर में कांग्रेस नेतृत्व की ओर से कैप्टन को बाहर करने और उनकी जगह चन्नी को सीएम के रूप में लाने के बाद राजा को नए मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री के रूप में शामिल किया गया था।

आपको बता दें कि हालिया पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) से करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।