संसद भवन की नई इमारत की छत पर 6.5 मीटर ऊंचा अशोक स्तंभ बनाया गया है। सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया, लेकिन अब इसको लेकर बहस जारी है। एक टीवी चैनल की डिबेट की दौरान कांग्रेस प्रवक्ता गुरदीप सप्पल ने कहा कि मोदी भक्ति में हम कहां जा रहे हैं कि राष्ट्रीय चिह्न के साथ खिलवाड़ कर रहे।

गुरदीप सप्पल ने कहा कि राष्ट्रीय चिन्ह को लेकर बकायदा कानून है, उसमें चित्रण दिया गया है कि अशोक की लाट का क्या डिज़ाइन होगा। इसे न मानने वालों पर छः महीने से दो साल की सजा का प्रावधान है। सिर्फ इसलिए कि एक गलत डिजाइन मोदी सरकार के दौरान में बना, आपकी की मजबूरी नहीं होना चाहिये। गलत-गलत ही है।

सप्पल ने कहा कि सम्राट अशोक का शेर सांकेतिक है। वो सम्राट अशोक की फ़िलासफ़ी को दर्शाता है, जिसने ताकत हासिल की, लेकिन मन में करुणा पैदा हुई तो ताकत को शांति की दिशा में मोड़ दिया। इसीलिए अशोक का चिन्ह शेर तो था, लेकिन सौम्यता लिये था, धर्म चक्र के साथ। इस भाव के और चक्र के मायने हैं। उन्होंने कहा कि शेर का सिर उसके धड़ से बड़ा होता है, जैसा कि असली वाले अशोक की लाट में है। नए वाले में शेर का सिर उसके धड़ से छोटा है, जैसा कि चीते का होता है। मुख मुद्रा सौम्यता से बदल का खूंख़ार कर दी गयी है। कुछ बदलाव निर्देश पर हुए लगते हैं, कुछ मूर्तिकार के निकम्मेपन का सबूत हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने राजनीतिक विश्लेषक अजय आलोक से कहा कि आप कानून पढ़िए। उन्होंने अजय आलोक से कहा कि क्या आपको कानून मालूम है। कल तिरंगे में भी छेड़छाड़ करेंगे, तब आप कहेंगे कि कोई फर्क नहीं पड़ता है। सप्पल ने कहा कि फर्क पड़ता है क्योंकि यह राष्ट्रीय चिह्न है।

अजय आलोक ने कहा कि इस मुद्दे पर फालतू का विवाद पैदा किया जा रहा है। इन लोगों को कोई काम-धंधा नहीं है। विरोध करना इन लोगों (कांग्रेस) का काम है। उन्होंने कहा कि अशोक स्तंभ का मतलब है घम स्तंभ। मतलब पिलर ऑफ रिलिजन (पिलर ऑफ स्ट्रेंथ)। नीचे दो हाथी हैं, वो स्ट्रेंथ और करेज को सिग्नीफाई करते हैं। यही चीज हमारी वहां पर लगी हुई है। इसमें इतना हायतौबा मचाने जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि इसको को डिविजन ऑफ पावर बता रहा है। कोई कुछ बता रहा है।

राजनीतिक विश्लेषक ने कहा पीएम मोदी भूटान में सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिग का उद्घाटन करते हैं। वहां कोई सवाल नहीं उठाता है। उन्होंने कहा कि यहां पर जो संसद अभी शुरू नहीं हुई उसके राष्ट्रीय चिह्न का उद्घाटन कर रहे हैं, उस पर दस तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं।