इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में जब तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव से पूछा गया कि आपने रेलवे को तो पटरी पर लाने का काम कर दिया है। क्या अब आप दूसरे सेक्टर,जो कि घाटे में चल रहे हैं, उनको सही करने का काम करेंगे? इसका जवाब देते हुए लालू यादव ने कहा था, ‘ऐसा तो तब ही कर पाएंगे जब देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।’ लालू यादव के इस जवाब को सुन सब जोर से ठहाका लगाने लगे थे।

बता दें कि हाल ही में तीन सालों में अपने पहले सार्वजनिक भाषण में, राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा कि एनडीए सरकार के तहत देश को “पीछे की ओर धकेल दिया गया है।” लालू यादव ने कहा कि देश एक आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और देश के सामाजिक सद्भाव को नष्ट करने के प्रयास चल रहे हैं। जमानत पर रिहा होने के बाद नई दिल्ली के एम्स में इलाज करा रहे यादव ने कहा कि वह जल्द ही पटना लौटेंगे और बिहार के हर जिले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

लालू यादव ने कहा, “हमारे देश को पीछे धकेल दिया गया है। एक तराफ अर्थिक संकट, दूसरी तरफ सामाजिक ताने-बाने को खंडित किया जा रहा है। कभी-कभी नारे लग रहे हैं, कि अयोध्या के बाद अब मथुरा…इसका मतलब क्या हुआ?” आप इस देश में क्या चाहते हैं? सत्ता के लिए, इस देश के लोगों को नष्ट कर दो? राजद कार्यकर्ता चाहे कहीं भी हों, लोगों को सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए कहना चाहिए।”

लालू यादव ने कहा कि राजद का भविष्य उज्ज्वल है, और पार्टी आने वाले वक्त में देश को आगे ले जाएगी। यादव ने कहा, “कोरोना है, लेकिन उससे भी बढ़कर, इस महंगाई ने, इस बेरोजगारी ने लोगों की कमर तोड़ दी है। यह देश के लिए अच्छा नहीं है। ऐसी गरीबी, ऐसी महंगाई…”

उन्होंने कहा, ‘अगर हमारे समय में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े होते तो लोग पैदल चलना शुरू कर देते, लेकिन यहां कोई जवाबदेही नहीं है। जब ये बातें पहले हुईं तो मुख्यमंत्री के नाते मैं साइकिल से ऑफिस गया और संदेश दिया। पूरा बोझ गरीबों पर पड़ता है।”

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने याद किया कि राजद के राजनीतिक विरोधियों ने उनके शासन को “जंगल राज” कहा, क्योंकि उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया था।