पूर्व राजनयिक पवन वर्मा ने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया है। पवन वर्मा ने नवंबर 2021 में टीएमसी ज्वाइन की थी। लेकिन करीब 10 महीने बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन बनने के बाद एक बार फिर से वह जेडीयू ज्वाइन कर सकते हैं। पवन वर्मा को नीतीश कुमार ने जनवरी 2020 में जदयू से निष्कासित कर दिया था और उसके बाद पवन वर्मा ने टीएमसी की सदस्यता ली थी।
पवन वर्मा ने ट्वीट कर ममता बनर्जी को पार्टी में गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए शुक्रिया अदा किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “प्रिय ममता बनर्जी जी, कृपया टीएमसी से मेरा इस्तीफा स्वीकार करें। मुझे जो गर्मजोशी से स्वागत किया गया और आपके स्नेह और शिष्टाचार के लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं संपर्क में रहने के लिए तत्पर हूं। आप सभी को शुभकामनाएं।”
बता दें पवन वर्मा ने नवंबर 2021 में टीएमसी ज्वाइन की थी और दिसंबर 2021 में ही उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था। पवन वर्मा इस बीच कई टीवी चैनलों पर डिबेट में पार्टी का पक्ष भी रखते हुए नजर आए थे। जब वह जेडीयू में थे तब भी वह पार्टी का पक्ष मजबूती से टीवी पर रखते थे। लेकिन जब से दोबारा बीजेपी-जेडीयू का गठबंधन बना, उसके बाद से ही पवन वर्मा पार्टी में असहज महसूस कर रहे थे।
नीतीश कुमार ने पवन वर्मा को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण निष्कासित किया था। दरअसल पवन वर्मा ने नागरिकता संशोधन कानून पर जेडीयू के स्टैंड का विरोध किया था। इसके साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में जेडीयू का बीजेपी से गठबंधन का भी पवन वर्मा ने विरोध किया था। इसको लेकर नीतीश कुमार ने एक बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कहा था कि जिसे जहां जाना है, वह जा सकता है।
बता दें कि बिहार में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन की सरकार एक बार फिर से बनी है और नीतीश कुमार ने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। हालांकि पवन वर्मा ने अभी यह नहीं बताया है कि वह किस पार्टी में जा रहे हैं। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि वह फिर से जेडीयू में लौट सकते हैं क्योंकि पवन वर्मा जेडीयू-आरजेडी गठबंधन के पक्ष में पहले से थे।
