भारतीय जनता पार्टी से कांग्रेस में जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अब तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए हैं। पार्टी ने उन्हें आसनसोल लोकसभा सीट से उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में वह अब चुनावी रैलियों की तैयारी कर रहे है। इस बीच उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बाहरी बताए जाने पर भाजपा पर निशाना साधा। साथ ही बताया कि कांग्रेस छोड़ने और टीएमसी में शामिल होने जैसे सवालों का जवाब दिया।
भाजपा ने आपको बाहरी बताया, इसको आप कैसे काउंटर कर रहे हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, ” मैं बंगाल, बंगाली संस्कृति, भाषा, खान-पान और बंगाली सिनेमा के बहुत करीब हूं। मैं भी बहुत अच्छी बांग्ला बोलता हूं। अब आसनसोल एक महानगरीय क्षेत्र है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र के लोग यहां आकर बस गए हैं और यहां कारोबार कर रहे हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं जो मुझे बाहरी कह रहे हैं, खासकर बीजेपी के मेरे दोस्त, वे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में क्या कहेंगे, जिन्होंने वाराणसी से चुनाव लड़ा था? अगर वह बाहरी नहीं हैं तो मैं बाहरी कैसे हूं?
सिन्हा ने आगे कहा, “बिहार के मुजफ्फरपुर से हमारे महान नेता जॉर्ज फर्नांडीस जीते, बिहार के मधेपुरा से शरद यादव जीते, महाराष्ट्र के रामटेक से नरसिम्हा राव जीते; बाबा साहेब अंबेडकर महाराष्ट्र से हारकर बंगाल से जीते, चिकमगलूर से इंदिरा गांधी जीतीं, राहुल गांधी भी वायनाड से जीते। अमेठी से स्मृति ईरानी भी जीतीं। भारत एक बड़ा देश है। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक लोगों को काम करने और कहीं भी बसने और कहीं से भी चुनाव लड़ने का अधिकार है। यह पहले भी किया गया है और आगे भी होगा। “
टीएमसी में कैसे शामिल हुए? इसका जवाब देते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि वे ममता जी के बड़ समर्थक रहे हैं। उन्होंने साल 2019 की ब्रिगेड परेड ग्राउंड की मीटिंग याद दिलाते हुए कहा कि वे महत्वपूर्ण वक्ताओं में से एक थे। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा आज अटल बिहारी बाजपेयी की पार्टी नहीं है। भाजपा आज नरेंद्र मोदी की पार्टी है, जहां अहंकार ज्यादा है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों के लिए आवाज उठाने के कारण उन्हें पार्टी छोड़ने को कहा गया।
सिन्हा ने ममता की तारीफ करते हुए कहा कि नोटबंदी के खिलाफ सबसे पहले ममता बनर्जी ने आवाज उठाई थी। इसके बाद उन्होंने (शत्रुघ्न सिन्हा) आवाज उठाई थी। उन्होंने जटिल जीएसटी को लेकर भी आवाज उठाई। ममता जब भी दिल्ली आती थीं वे उनसे मुलाकात करते थे। मुंबई में भी उन्होंने उनसे मुलाकात की। उन्हें महसूस हुआ कि कभी-कभी सही रास्ते पर चलने के लिए रास्ते को बदलने की जरूरत होती है। पिछले महीने ममता की पार्टी ने जब शत्रुघ्न को उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने उन्हें फोन किया और आसनसोल बुलाया। यहां आने के बाद उन्हें पता चला कि यह उनके लिए एक ऐतिहासिक मौका है और वह इसे पाकर काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्हें यहां के लोगों से काफी प्यार मिला है।
अचानक कांग्रेस क्यों छोड़ा: शत्रुघ्न सिन्हा ने इसे लेकर कहा, “मैं अभी दो कारणों से कांग्रेस के बारे में बात नहीं करना चाहता। पहला कारण है कि मैं आसनसोल में चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। मैं अपनी ऊर्जा या ध्यान भटकाना नहीं चाहता। दूसरी बात यह है कि दुर्भाग्य से कांग्रेस संकट के दौर से गुजर रही है। इस संकट के दौर में उन्हें अपने घावों पर मरहम की जरूरत है। मैं ऐसी बातें नहीं कहना चाहता जो उनके घावों पर नमक छिड़कने का काम करे। मेरे मन में अब भी सोनिया जी और कांग्रेस के प्रति काफी सम्मान है। लेकिन सच तो यह है कि वे संकट के दौर से गुजर रहे हैं।”