बंगाली लेखिका और लोक संस्कृति शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी द्वारा दिए गए पुरस्कार को मंगलवार को लौटा दिया। ये सम्मान उन्होंने ममता बनर्जी को बंगला एकेडमी सम्मान मिलने के विरोध में लौटाया है। इसके साथ ही लोकप्रिय लेखिका ने पूछा कि दीदी ने साहित्य के लिए क्या किया है?

अकादमी के अध्यक्ष ब्रत्य बसु (राज्य के शिक्षा मंत्री भी हैं) को लिखे एक पत्र में रत्ना राशिद बनर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री को रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर एक नया साहित्यिक पुरस्कार प्रदान करने के फैसले के मद्देनजर यह पुरस्कार उनके लिए “कांटों का ताज” बन गया है। पत्र में मैंने उन्हें तत्काल प्रभाव से पुरस्कार वापस करने के अपने निर्णय के बारे में सूचित कर दिया है।

रत्ना राशिद बनर्जी ने अपने फैसले के बारे में पीटीआई से बात करते हुए कहा, “एक लेखक के रूप में मैं सीएम को साहित्यिक पुरस्कार देने के कदम से अपमानित महसूस कर रहीं हूं। यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा। माननीय मुख्यमंत्री की अथक साहित्यिक खोज की प्रशंसा करने वाला अकादमी का बयान सत्य का उपहास है। हम उनकी राजनीतिक लड़ाई के लिए सीएम की प्रशंसा करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। उन्हें लोगों ने तीन बार चुना है। हमने उन्हें वोट दिया था। लेकिन मैं राजनीति में उनके योगदान की तुलना इस दावे से नहीं कर सकती कि उन्होंने साहित्य के लिए काम किया है। मुझे इसकी जानकारी नहीं है।”

30 से अधिक लेख और लघु कथाएं लेखिका रत्ना राशिद लिख चुकी हैं। उन्होंने कहा कि अकादमी के अध्यक्ष ब्रत्य बसु द्वारा सीएम की उपस्थिति में घोषित किए जाने के बाद भी वो पुरस्कार स्वीकार नहीं करके परिपक्वता दिखा सकती थीं।

बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की किताब ‘कबिता बितान’ 2020 में अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता बुक फेयर में रिलीज़ हुई थी। सोमवार को ममता बनर्जी को बांग्‍ला एकेडमी सम्‍मान से नवाजा गया था। सम्मान देते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री और बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष ने कहा था, “बांग्ला अकादमी ने साहित्य के साथ-साथ समाज के अन्य क्षेत्रों की बेहतरी के लिए अथक परिश्रम करने वालों को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है।”