West Bengal News: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से मुर्शिदाबाद के रास्ते बांग्लादेश में गाय तस्करी के मामले में टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल पर गिरोह का सरगना होने के आरोप लग रहे हैं। सीबीआई की ओर से मंडल के खिलाफ आसनसोल कोर्ट में दायर की गई तीसरी याचिका में निजी सुरक्षाकर्मी से पूछताछ, एक डायरी से मिले सबूतों, पुरानी तारीखों के नकली बिल और एक लापता साझेदार का जिक्र किया गया है।
जानकरी के मुताबिक, 2015 से 2017 के बीच गाय तस्करी मामले में मंडल पर बीएसएफ और सीमा शुल्क अधिकारियों के साठगांठ करने का भी आरोप है।
इस मामले में सीबीआई की ओर से गिरफ्तार किए चुके मंडल ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है। वहीं, टीएमसी ने इस जांच को पूरी तरह से राजनीतिक साजिश करार दिया है और कहा कि यह सब केंद्र की ओर से उसके नेताओं को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। सीबीआई ने मंडल को 11 अगस्त उस दौरान गिरफ्तार किया था, जब टीएमसी के एक अन्य नेता पार्थ चटर्जी पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापे में 40 करोड़ रुपए नकद बरामद किया था।
गाय तस्करी मामले में ताजा चार्जशीट के मुताबिक, सीबीआई ने मोहम्मद इनामुल हक के एक कर्मचारी की हाथ से लिखी डायरी से जांच शुरू की और सभी बिंदुओं को जोड़ना शुरू किया। डायरी में हक को ‘किंगपिन’ के रूप में बताया गया था। इसे सीबीआई की ओर से नवंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
एजेंसी का बताया है कि जिस कर्मचारी की डायरी हमें हाथ लगी है, उसकी पहचान मनोज सिन्हा के रूप में की गई है। डायरी कई लोगों को पैसे देने का जिक्र किया गया है, जिसमें से एक एनल है। यह भी हक का कर्मचारी है, जो उसके साझेदार शेख अब्दुल लतीफ की देखरेख में काम करता था। लतीफ गाय तस्करी के ऑपरेशन को मैनेज करता था, जिसमें नेताओं से लेनदेन भी शामिल होता था। लतीफ फ़िलहाल फरार है। चार्जशीट में बताया गया है कि कैसे एनल गायों को बीरभूम से मुर्शिदाबाद के बंगलदेश बॉर्डर पहुंचाया करता था।
इस महीने 6 अगस्त को दायर की गई तीसरी चार्जशीट में तस्करों और टीएमसी नेताओं की मिलीभगत के बारे में बताया गया है। सहगल हुसैन (जिन्हें) 2005 में पुलिस कांस्टेबल नियुक्त किया गया था। 2011 से वह मंडल के निजी सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्य करने लगा। हुसैन को सीबीआई ने 9 जून को गिरफ्तार किया था।
चार्जशीट के मुताबिक, निजी सुरक्षा गार्ड हक और लतीफ से मंडल की ओर से घूस के पैसे लेने जाता था। इसके बदले मंडल दोनों को गायों को बॉर्डर तक ले जाने का सुरक्षित मार्ग देता था।
चार्जशीट में फरार लतीफ के बारे में बताया गया है कि वह ही सभी गायों को बीरभूम के इलमबाजार से पशुओं की खरीदकर भारत- बंगलादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा तक पहुंचाता था।