पश्चिम बंगाल में भाजपा का दामन छोड़कर टीएमसी में वापस आए मुकुल रॉय का मामला और भी दिलचस्प होता जा रहा है। वह भारतीय जनता पार्टी में नहीं हैं, लेकिन वह भाजपा के विधायक हैं। भाजपा से वापस सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के एक साल बाद भी रॉय भाजपा विधायक बने हुए हैं। इस कारण एक विधायक के रूप में उनकी स्थिति को लेकर सियासी टकराव की स्थिति पैदा होती रही है।
कभी टीएमसी में नंबर 2 के रूप में मुकुल रॉय की गिनती होती थी और वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी रहे थे। हालांकि, भाजपा में जाकर पाला बदलने के बाद वह पश्चिम बंगाल में भगवा दल के शीर्ष नेता बन गए। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले, मुकुल रॉय ने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद पार्टी ने उनको राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था।
वहीं, पिछले साल जून में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी द्वारा लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बमुश्किल एक महीने बाद, रॉय की घर वापसी हो गई। टीएमसी में उनकी वापसी के बाद विवाद तब शुरू हुआ, जब विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने उन्हें लोक लेखा समिति (पीएसी) के प्रमुख के रूप में नामित किया। परंपरागत रूप से यह पद विपक्षी नेता को दिया जाता है।
मुकुल रॉय ने विधायक के रूप में इस्तीफा नहीं दिया था, जिसके बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने दलबदल विरोधी कानून के तहत अध्यक्ष के समक्ष उनके खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की। फरवरी में, विधानसभा अध्यक्ष ने सुवेंदु अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट में पहले के आदेश को चुनौती दी। इस बीच, रॉय भाजपा विधायक और पीएसी अध्यक्ष के पद पर बने रहे। 11 अप्रैल को, हाई कोर्ट ने अध्यक्ष के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को उनके नए सिरे से विचार के लिए बहाल कर दिया।
सुवेंदु अधिकारी ने तर्क दिया कि मुकुल रॉय को विधायक का पद बनाए रखने की अनुमति देने के अध्यक्ष बनर्जी के फैसले को अदालत ने व्यावहारिक रूप से खारिज कर दिया था। वहीं, हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर, विधानसभा अध्यक्ष ने मुकुल रॉय की अयोग्यता की मांग करने वाली अधिकारी की याचिका पर फिर से सुनवाई की और 8 जून को इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्हें ‘याचिकाकर्ता के तर्क में मेरिट नहीं दिखाई दी’।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, “विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और विधायक अंबिका रॉय ने मुकुल रॉय की पीएसी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाया था और विधायक के रूप में उनकी अयोग्यता की मांग की थी। वे कोर्ट चले गए। यह मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे वापस हाई कोर्ट में भेज दिया और हाई कोर्ट ने मुझे एक महीने के भीतर अपना फैसला सुनाने को कहा।”