भाजपा उपाध्यक्ष और पार्टी के बैरकपुर से सांसद अर्जुन सिंह रविवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। रविवार शाम करीब चार बजे सांसद अर्जुन सिंह गाड़ी से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के कैमाक स्ट्रीट कार्यालय पहुंचे। कुछ देर बाद टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव ने बैरकपुर के सांसद का गर्मजोशी से स्वागत किया। अर्जुन सिंह ने मार्च 2019 में टीएमसी छोड़ बीजेपी ज्वाइन की थी।
अर्जुन सिंह , अभिषेक बनर्जी और अन्य टीएमसी नेताओं की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए, जिनमें राज्य में मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक और बैरकपुर विधायक राज चक्रवर्ती शामिल हैं। दोनों नेता उत्तर 24 परगना से हैं, जो अर्जुन सिंह का जिला है। सीएम ममता बनर्जी के करीबी मुकुल रॉय ने चुनाव बाद ही भाजपा से इस्तीफा दे दिया था और टीएमसी नेतृत्व की मौजूदगी में अपनी पुरानी पार्टी में शामिल हो गए थे। उनके बाद राजीव बनर्जी, जॉयप्रकाश मजूमदार, बाबुल सुप्रियो सहित कई अन्य बीजेपी छोड़ टीएमसी में शामिल हो गए थे।
हालांकि टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार अर्जुन सिंह की घर वापसी की तुलना मुकुल रॉय से ही की जा सकती है। टीएमसी को सबसे ज्यादा नुकसान तब हुआ जब मुकुल रॉय, अर्जुन सिंह और शुवेंदु अधिकारी ने पार्टी छोड़ी। मुकुल रॉय पहले ही लौट चुके हैं और अर्जुन सिंह आज शामिल हुए। इसलिए यह टीएमसी के लिए एक बड़ा लाभ है और भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका है।
अर्जुन सिंह का परिवार मूल रूप से बिहार के सीवान से ताल्लुक रखता है। यह एक ऐसा कनेक्शन जिसने उन्हें उत्तर 24 परगना के औद्योगिक क्षेत्र में टीएमसी संगठन बनाने में मदद की, जहां अधिकांश मतदाता बिहार और उत्तर प्रदेश के हिंदी भाषी प्रवासी हैं। 2001 में अर्जुन सिंह भाटपारा से टीएमसी विधायक बने और इसके बाद इसी सीट से तीन बार और जीत हासिल की। उन्होंने टीएमसी की हिंदी विंग का भी नेतृत्व किया और उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पंजाब में पार्टी के प्रभारी थे।
मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को एक बढ़ती ताकत के रूप में देखा गया। अर्जुन सिंह ने टीएमसी विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। उनका जाना टीएमसी के लिए एक झटका साबित हुआ, जिसने बैरकपुर औद्योगिक क्षेत्र और बड़े उत्तर 24 परगना में अपना संगठन खो दिया। लोकसभा चुनाव में अर्जुन सिंह ने टीएमसी के दिनेश त्रिवेदी को हराकर बैरकपुर से भाजपा सांसद चुने गए। पिछले कुछ महीनों से अर्जुन सिंह राज्य में नए भाजपा नेतृत्व की खुले तौर पर आलोचना करते रहे हैं। उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि वह नए राज्य पार्टी प्रमुख सुकांता मजूमदार से असहज महसूस करते थे।
अर्जुन सिंह ने राजनीति में अपने पिता सत्यनारायण सिंह का अनुसरण किया, जो बैरकपुर में एक प्रसिद्ध कांग्रेस कार्यकर्ता थे। 1995 में अर्जुन सिंह कांग्रेस के टिकट पर भाटपारा नगरपालिका के लिए चुने गए। लेकिन उन्होंने पार्टी छोड़ दी और ममता बनर्जी के साथ आ गए, जब उन्होंने 1998 में टीएमसी की स्थापना के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी।