BJP नेता शुभेंदु अधिकारी का रविवार को पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में TMC के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर रास्ता रोका। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, TMC कार्यकर्ताओं ने सोनाचुरा इलाके में शहीद मीनार के पास शुभेंदु अधिकारी का विरोध किया था। उन्होंने इस दौरान नारेबाजी भी की थी।

इसी बीच, कुछ और टीवी मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि जहां टीएमसी कार्यकर्ता उनका रास्ता बाधित करने की कोशिश कर रहे थे, वहीं बीजेपी समर्थक शुभेंदु को वहां से निकालने के प्रयास करते दिखे। दरअसल, नंदीग्राम वही विधानसभा सीट हैं, जहां से इस बार के विधानसभा चुनाव में अधिकारी चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी भी इसी सीट से मैदान में हैं और वह इस बार सिर्फ एक ही सीट से चुनाव लड़ रही हैं। यानी दोनों में कांटे की टक्कर के चलते यह बेहद हॉट सीट है।

वहीं, सीएम ने नंदीग्राम में 2007 में पुलिसिया गोलीबारी में मारे गए आंदोलनकारियों को रविवार को श्रद्धांजलि दी। साथ ही कहा कि उन्होंने ‘शहीदों’ के सम्मान में इस निर्वाचन क्षेत्र में ‘बंगाल विरोधी’ ताकतों से लड़ने का फैसला किया है। नंदीग्राम सीट पर अपने पूर्व सहयोगी और भाजपा प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ रही बनर्जी ने कहा कि किसान पश्चिम बंगाल का गौरव हैं और प्रदेश सरकार उनके विकास के लिए अथक काम कर रही है।

बनर्जी ने ट्वीट किया, “2007 में आज के ही दिन बेगुनाह ग्रामीणों को नंदीग्राम में गोलीबारी कर मार दिया गया था। कई लोगों के शव मिल भी नहीं सके। यह राज्य के इतिहास का काला अध्याय था। जान गंवाने वालों को दिल से श्रद्धांजलि।” तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 14 मार्च को ‘नंदीग्राम दिवस’ के तौर पर मनाती है। पार्टी 2007 में जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान इस दिन पुलिस की गोलीबारी में मारे गए लोगों के सम्मान में यह दिवस मनाती है। इस घटना से देशभर में रोष व्याप्त हो गया था और कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

इसी बीच, अधिकारी ने समाचार एजेंसी PTI को बताया, पुलिस गोलीबारी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को पदोन्नति देने वालों को ‘नंदीग्राम’ दिवस मनाने का कोई हक नहीं है। जो इतने वर्षों में नंदीग्राम को भूल चुके थे वे अब यहां वोट मांगने के लिए आ रहे हैं। बता दें कि बनर्जी 2007 में विपक्षी टीएमसी की नेता थीं। उन्होंने नंदीग्राम और सिंगूर में औद्योगिकीकरण के लिए कृषियोग्य भूमि अधिग्रहण करने को लेकर वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई की थी। उनकी पार्टी को इसका फायदा भी मिला था।

2008 में 50 प्रतिशत पंचायत सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार जीते थे व 2009 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बाद में 2011 के विधानसभा चुनाव में भी टीएमसी जीती थी और इस प्रकार राज्य में वाम मोर्चे के 34 साल लंबे शासन का अंत हो गया था। राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए आठ चरणों में चुनाव होगा जो 27 मार्च से 29 अप्रैल तक चलेगा। नतीजों का ऐलान दो मई को होगा। (भाषा इनपुट्स के साथ)