पश्चिम बंगाल में होने विधानसभा चुनाव में भले ही अगले साल होने हैं लेकिन टीएमसी की तैयारियां अभी से ही तेज नजर आ रही हैं। इस क्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबको हैरान करने वाला कदम उठाया है। ममता ने शारदा चिटफंड घोटाले के आरोपी कुणाल घोष को पार्टी का प्रवक्ता बनाया है।

यह वहीं कुणाल घोष हैं जिन्होंने 2549 करोड़ रुपये के इस चिटफंड घोटाले में ममता बनर्जी को सबसे बड़ा लाभार्थी बताया था। टीएमसी ने घोष का 7 साल का निलंबन खत्म कर उन्हें यह पद दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि दीदी को झुकना पड़ा।राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से मिलने वाली संभावित कड़ी टक्कर के मद्देनजर ममता ने यह कदम उठाया है। ममता 2021 के विधानसभा चुनाव में कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहती हैं।

वह किसी भी सूरत में पश्चिम बंगाल की सत्ता अपने हाथ से नहीं जाने देने के मूड में नहीं हैं। टीएमसी के नेता गुपचुप रूप से यह स्वीकार कर रहे हैं कि यह नियुक्ति पार्टी को छोड़कर गए अन्य लोगों के लिए एक संदेश है। इसके जरिये ममता ने असंतुष्ट नेताओं से संवाद का रास्ता खुला रखा है।

यह भी कहा जा रहा है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर हाल ही में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल किया है। कुणाल घोष शारदा मीडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। यह शारदा ग्रुप की कंपनी थी। साल 2013 में समूह द्वारा गैर-कानूनी तरीके से चिटफंड चलाने का खुलासा हुआ था।

इसके बाद 23 नवंबर, 2013 को बिधाननगर पुलिस ने कुणाल घोष को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। राज्यसभा सांसद रहे कुणाल घोष ने राज्य की 9 जेलों में 34 महीने का समय गुजारा। जेल जाने के बाद ममता ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। पार्टी से निकाले जाने के 6 साल बाद पिछले साल जून में कुणाल घोष ने ममता बनर्जी से उनके निवास पर मुलाकात की थी।

इसके बाद से उनकी पार्टी में वापसी की अटकलें तेज हो गई थीं। टीएमसी ने 28 जुलाई को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के लिए जारी 34 प्रवक्ताओं की सूची जारी की। पार्टी की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस ने 12 नेताओं को राष्ट्रीय प्रवक्ता और 22 नेताओं को राज्य स्तर का प्रवक्ता नियुक्त किया है।

कुणाल घोष का नाम राज्य स्तर के प्रवक्ता सूची में 10वें स्थान पर था। अपनी नई नियुक्ति पर बोलते हुए, घोष ने कहा, ‘मैंने कभी भी खुद को टीएमसी परिवार से बाहर नहीं माना। चूंकि पार्टी ने मुझे कुछ जिम्मेदारियां सौंपी हैं, इसलिए मैं उन्हें समर्पित रूप से निभाने की कोशिश करूंगा।’ ऐसे में देखना होगा कि ममता की तरफ से कुणाल घोष की वापसी से ममता बनर्जी को आगामी विधानसभा चुनाव में फायदा होता है या नहीं।