प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने जादवपुर विश्वविद्यालय की छात्राओं के बारे में दिए गए अपने विवादित बयान को न्यायोचित ठहराते हुए कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा वह सही था। दूसरी ओर, घोष के इस बयान की विभिन्न हलकों में कड़ी निंदा हो रही है। मालूम हो कि दिलीप घोष ने शनिवार (14 मई) को पत्रकारों के साथ बातचीत में जादवपुर विश्वविद्यालय की छात्राओं को ‘बेहया’ की संज्ञा दी थी। रविवार( 15 मई) को भी उन्होंने कहा- इस विश्वविद्यालय के छात्र विरोध के नाम पर लड़कियों के अंर्तवस्त्र पहनते हैं, जबकि छात्राएं सैनेटेरी नैपकिंस लेकर नारेबाजी करती हैं। भाजपा के नेता कहा कि आलम यह है कि वे सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे का चुंबन लेते हैं। घोष ने सवाल किया-क्या यह शालीतना है? क्या यही हम अपनी भावी पीढ़ी को सिखाना चाहते हैं?

गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष 2015 की उस घटना के प्रसंग में ये बातें बोल रहे थे, जिसमें जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस विश्वविद्यालय के छात्रों के एक वर्ग के खिलाफ सैनेटेरी पैड के साथ विरोध जताया था। रविवार को दिलीप घोष ने कहा- मैंने जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के बारे में उसी भाषा का इस्तेमाल किया जो उन पर फिट बैठती है। उन्होंने कहा कि अगर विरोध के नाम पर यहां के छात्र जो कुछ करते हैं तो फिर मैंने भी जो कुछ कहा वह सही था।

यहां बता दें कि कुछ दिन पहले जादवपुर विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं द्वारा विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम’ के प्रदर्शन के दौरान वामपंथी छात्र संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ संघर्ष की घटना घटी थी। आरोप लगाया गया था कि फिल्म प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय की कुछ छात्राओं के साथ बदसलूकी की गई थी। यह घटना बीते छह मई को घटी थी। दिलीप घोष ने शनिवार (14 मई) को कहा था कि जिन छात्राओं को अपनी शालीतना व सम्मान की इतनी ही चिंता है तो वे फिर वहां क्यों जाती हैं?