पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) ने सोमवार को राज्य को बांटने (Divide the state) के प्रयासों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। भाजपा (BJP) ने इस कदम को “राजनीतिक हथकंडा” करार दिया है। भाजपा ने इस प्रस्ताव का न तो समर्थन किया और न ही विरोध किया। उसने दावा किया कि इस प्रस्ताव का कॉन्टेंट स्पष्ट नहीं है।
कुर्सियांग से भाजपा विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा (BJP MLA Vishnu Prasad Sharma) ने मांग की कि उत्तरी बंगाल में अलग राज्य के मुद्दे पर एक जनमत संग्रह (Public Refrendum) कराया जाए, जिसमें लोग अपनी राय बताएं कि क्या वे राज्य का हिस्सा बनना चाहेंगे। दोपहर तीन बजे तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बर्मन (TMC MLA Satyajit Burman) ने प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कहा गया कि कुछ ताकतें राज्य को विभाजित करने और पश्चिम बंगाल की संस्कृति एवं विरासत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं।
तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्य सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम (Minister Firhad Hakim) ने कहा, “मैं इस सदन को बता दूं कि हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन पश्चिम बंगाल का विभाजन कभी नहीं होने देंगे।” विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी (Leader of Opposition Suvendu Adhikari) ने इस प्रस्ताव को निकाय चुनावों से पहले एक ‘‘राजनीतिक हथकंडा’’ करार दिया।
बता दें कि शुभेंदु अधिकारी काफी समय से उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं। शुभेंदु ममता सरकार पर आरोप लगा चुके हैं कि उत्तर बंगाल के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। बता दें कि वह कई बार विधानसभा के अंदर और बाहर उत्तर बंगाल के साथ हो रहे कथित भेदभाव का मुद्दा उठा चुके हैं।
बता दें कि उत्तर बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में राजनीतिक दलों और गोरखा संगठनों ने एक अलग राज्य गोरखालैंड की मांग लगातार करते रहते हैं। इसके लिए उन्होंने भारतीय गोरखालैंड संघर्ष समिति (BGSS) की स्थापना भी की है। इस समिति की स्थापना गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के अध्यक्ष बिमल गुरुंग ने की है। बिमल गुरुंग ने एक मार्च से आंदोलन की भी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि इस आंदोलन का किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं होगा।