पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री और TMC चीफ ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ गई है। कारण- पार्टी में एकदम से शुरू हुआ भागम-भाग का दौर है। जिस चीज के संकेत BJP के नेता कुछ दिन पहले से दे रहे है, ठीक वैसा ही होता नजर आ रहा है। शुक्रवार दोपहर तक टीएमसी को 48 घंटों यानी कि दो दिनों के भीतर बैक टू बैक चार झटके लगे। 16 दिसंबर को पूर्व मिदनापुर से विधायक शुभेंदु अधिकारी ने विधायकी और पार्टी, दोनों से ही इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, दीदी ने कहा था कि उनकी पार्टी बरगद के पेड़ जैसी है और एक-दो के जाने से उन्हें फर्क नहीं पड़ेगा। पर 17 दिसंबर को आसनसोल से नगर निगम चेयरमैन और विधायक जितेंद्र तिवारी ने टीएमसी को अपना त्यागपत्र सौंपा। फिर 18 दिसंबर को बैरकपुर से तृणमूल के विधायक शीलभद्र दत्ता ने पार्टी से अलग होने का ऐलान किया। रोचक है कि इनके त्यागपत्र और शुभेंदु के इस्तीफे का फॉर्मैट एक जैसा ही था।

बहरहाल, ममता इन तीन झटकों से उबर पातीं कि उन्हें एक और शॉक मिला। पार्टी में अल्पसंख्यक इकाई के महासचिव कबीरुल इस्लाम ने भी इस्तीफा दे दिया। इसी बीच, सूत्रों के हवाले से कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि पार्टी ने एक सांसद समेत करीब 60 अन्य नेता भी नाखुश चल रहे हैं और उनके भी दल छोड़ने की अटकल हैं। हालांकि, इस बारे में फिलहाल आधिकारिक पुष्टि नहीं है। ऐसे में बंगाल में टीएमसी का किला दरकने के कयास लगाए जा रहे हैं। वह भी तब, जब शुभेंदु सरीखे नेता बगावत पर आए। वह ममता के बेहद करीबी माने जाते थे। यह भी कहा जा रहा है कि वह भाजपा ज्वॉइन कर सकते हैं। हालांकि, भाजपा काफी पहले से यह कहती रही है कि टीएमसी में ममता के काम और कार्यशैली से उनके नेता असंतुष्ट हैं। वे कभी भी उन्हें टाटा कह सकते हैं। और, अब ठीक वैसा ही हुआ। ऊपर से भाजपा ने दल-बदल का खुला ऑफर भी दिया। बीजेपी के कई सीनियर नेताओं ने कहा, “वे आना चाहेंगे, तो हम खुशी से उनका (अधिकारी) स्वागत करेंगे।”

पूरे घटनाक्रम को बंगाल के राजनीतिक जानकार कई तरह से देख रहे हैं। कुछ का कहना है कि टीएमसी में इस टूट को भाजपा ने प्रभावित किया है। चूंकि, भगवा पार्टी के नेता काफी समय से ये बातें कहते आ रहे हैं कि टीएमसी में टूट होगी। वहां न तो लोकतंत्र है और न ही नेताओं का सम्मान होता है। चूंकि, अधिकारी के पिता और भाई भी सांसद हैं। एक भाई नगर पालिका अध्यक्ष हैं, जबकि उनकी पूरी फैमिली का बंगाल की 80 विस सीटों पर ठीक-ठाक असर माना जाता है। कहा जा रहा है कि टीएमसी के बाकी नेता भी शुभेंदु की राह पर अग्रसर होते हुए भाजपा का दामन थाम सकते हैं।

बंगाल में 295 विधानसभा सीटें हैं। 2016 के विस चुनाव में टीएमसी को 184, कांग्रेस को 44, सीपीआई(एम) 26 और बीजेपी को 3 सीटें हासिल हुई थीं। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 42 सीटों में से तृणमूल को 22 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा 18 पर काबिज हुई थी। रोचक बात है कि पिछले आम चुनाव के मुकाबले इस सियासी जंग में दीदी के दल को 12 सीट का नुकसान हुआ था, जबकि कमलछाप पार्टी को 16 सीटों का फायदा। शायद इसी बात जीत के बाद से भाजपा आत्मविश्वास के साथ उत्साह में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। ममता पर पस्त और भ्रष्ट कार्यशैली का आरोप लगाने के साथ हिंसा को उसने मुद्दा बनाया और हाल-फिलहाल के समय में बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत पर सांत्वना भी बंटोरी।

वोट शेयर के मामले में भी बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में शानदार प्रदर्शन किया था। टीएमसी ने जहां 43.3 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया वहीं बीजेपी को 40.3 प्रतिशत वोट मिले। बीजेपी को कुल 2 करोड़ 30 लाख 28 हजार 343 वोट मिले जबकि टीएमसी को 2 करोड़ 47 लाख 56 हजार 985 मत मिले थे। 2019 से पहले के लोकसभा चुनाव में वामदलों को करीब 29 फीसदी वोट मिले थे जो 2019 के लोकसभा चुनाव में घट कर 8-9 फीसदी रह गया। कांग्रेस के नौ फीसदी से घट कर चार फीसदी रह गए। भाजपा को 2014 में करीब 18 फीसदी वोट मिले थे और इसमें करीब 22 फीसदी का इजाफा हुआ था।

तृणमूल में बगावत के बीच शाह 2 दिन के बंगाल दौरे परः बंगाल विस के लिए अगले साल होने वाले चुनाव से पहले भाजपा की तैयारियों का जायजा लेने गृह मंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह शुक्रवार रात राज्य के दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुंचेंगे। उनका यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस बगावत के दौर से गुजर रही है। कयास हैं कि तृणमूल कांग्रेस और राज्य मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ने वाले प्रभावशाली नेता सुवेंदु अधिकारी, शीलभद्र दत्ता और जितेंद्र तिवारी जैसे तृणमूल कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट नेता, शाह के बंगाल दौरे के दौरान भाजपा में शामिल होंगे।

बता दें कि शाह का यह दौरा केंद्र और राज्य सरकार के बीच बढ़ी खींचतान के बीच हो रहा है जिसकी शुरुआत गृह मंत्रालय द्वारा तीन आईपीएस अधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा कार्यमुक्त कर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजने के निर्देश के बाद हुई। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस निर्देश का विरोध करते हुए इसे ‘असंवैधानिक’ और ‘अस्वीकार्य’ करार दिया है। पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि विधानसभा चुनाव होने तक शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हर महीने पश्चिम बंगाल का दौरा करेंगे। बता दें कि राज्य में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।