भारत माता की जय के नारे पर हुए विवाद के बाद मोदी सरकार भले इस मुद्दे से अपना पल्ला झाड़ रही हो पर भाजपा की मंशा इसके उलट है। पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर अध्यक्ष अमित शाह के भाषण ने इसकी पुष्टि कर दी। शाह ने दो टूक कहा कि पार्टी अपने सिद्धांतों के साथ खड़ी है। उसकी अलग पहचान है और वह भारत माता को विश्व गुरु के रूप में बदलने की राजनीति के साथ राजनीति में है। गौरतलब है कि योग गुरु रामदेव ने इस मामले में आक्रामक और आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। अमित शाह ने परोक्ष रूप से तो रामदेव की मंशा से सहमति ही जता दी।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा अलग उद्देश्य के लिए राजनीति में है। अतीत में हमारे नेतृत्व ने सिद्धांत के लिए सत्ता को छोड़ने का निर्णय किया। अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे अगले 25 साल में पार्टी को पंचायत से संसद तक जीत की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएं और इसे ऐसी इमारत बनाएं कि दुनिया की हर इमारत छोटी पड़ जाए। पार्टी कार्यकर्ताओं से शाह ने कहा कि भाजपा की वर्तमान सफलता को उसका शीर्ष नहीं मानें और आत्मसंतोष और आलस भाव से बचते हुए पंचायत से संसद तक पार्टी को जीत की नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह पार्टी का सौभाग्य है कि उसका नेतृत्व नरेंद्र मोदी कर रहे हैं जो दुनिया में सबसे लोकप्रिय नेताओं में शामिल हैं। सत्ता और शासन सुख भोगने के लिए नहीं होता बल्कि गरीबों, दबे-कुचले वर्ग के लोगों, पिछड़ों के कल्याण और सेवा के लिए होता है और मोदी नीत राजग सरकार सामाजिक सुरक्षा पहलों और लोक कल्याण योजनाओं के जरिए इसे आगे बढ़ा रही है।
अमित शाह ने कहा-अगर हम समझेंगे कि पार्टी सफलता के शीर्ष पर पहुंच गई है तब यह आत्मसंतोष होगा। हम इस नींव पर ऐसी इमारत बनाएं कि दुनिया की हर इमारत छोटी पड़ जाए। भाजपा अध्यक्ष ने इस अवसर पर जनसंघ के संस्थापक पंडित दीन दयाल उपाध्याय को पुष्पांजलि अर्पित की। शाह ने कहा कि भाजपा की पहचान एक राष्ट्रवादी पार्टी के रूप में है और यह हमारी पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि हम इस पहचान को आगे ले जाएं और राष्ट्रवादी पहचान को सुरक्षित रखें।
‘भारत माता की जय’ के नारों के बीच उन्होंने कहा-आज भाजपा जिस स्थिति में है, वह हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं की तीन पीढ़ियों के बलिदान का परिणाम है और भाजपा कार्यकर्ताओं को यह याद रखना चाहिए और उसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। हमें अपनी विशिष्ठ पहचान को नहीं खोना चाहिए। हम चतुराई की राजनीति नहीं करते बल्कि चरित्र की राजनीति करते हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं को लोगों और सरकार के बीच दूरी को पाटने का काम करना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि भारतीय जन संघ और भाजपा की स्थापना वैकल्पिक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर की गई थी क्योंकि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू -द्वारा शुरू की गई राजनीति देश के हित में नहीं थी और पश्चिमी विचारधारा से प्रभावित थी। उन्होंने याद दिलाया कि आपातकाल के बाद देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ था और किस प्रकार से विचारधारा और सिद्धांतों के लिए उसके नेतृत्व ने सत्ता को तिलांजलि दे दी थी।
शाह ने इस बात पर संतोष जताया कि पार्टी के सदस्यों की संख्या बढ़ कर 11 करोड़ हो गई है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से यह सुनिश्चित करने को कहा कि और अधिक संख्या में लोग पार्टी के सक्रिय सदस्य बनें। उन्होंने कहा कि जब पार्टी सत्ता में होती है तब आलस्य का एक भाव आ जाता है। लेकिन इसके संगठनकर्ताओं का कर्तव्य है कि वे सरकार की नीतियों को लोगों तक ले जाएं और लोगों की समस्याओं को सरकार तक लाएं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से नमामि गंगे, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और शौचालय निर्माण जैसी योजनाओं को आगे बढ़ाने में सहयोग करने को कहा।
