Chhangur Baba: अवैध धर्मांतरण के मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है। छांगुर बाबा की पांच दिनों की ईडी की रिमांड आज पूरी हो रही है। इस पूरी रिमांड के दौरान ईडी की टीम ने कई राउंड में छांगुर बाबा से पूछताछ की है।

वहीं, पुलिस कस्टडी के दौरान छांगुर बाबा ने मीडिया के कई सवालों के जवाब दिए। साथ गंभीर आरोप भी लगाए। छांगुर ने कहा कि उसे फंसाने की साजिश की जा रही है।

छांगुर बाबा ने मीडिया से कहा कि वसीउद्दीन, मोहम्मद अहमद और संतोष सिंह यह लोग मुझे फंसा रहे हैं। यह लोग मुझसे 60 लाख रुपये की मांग कर रहे हैं।

जब छांगुर बाबा से मीडिया कर्मियों ने पूछा कि आपने धर्म परिवर्तन कराया? इस सवाल के जवाब में छांगुर ने हमने कभी भी धर्म परिवर्तन नहीं कराया है। मेरे ऊपर जो भी आरोप लगे हैं, वो सभी झूठ हैं।

छांगुर बाबा ने कहा कि मेरे ऊपर जो भी आरोप लग रहे हैं, वो पूरी तरह से झूठे और निराधार हैं। मैं बेगुनाह हूं। छांगुर से जब पूछा गया कि लोग आपके खिलाफ गवाही क्यों दे रहे हैं? इस सवाल पर उसने कहा कि लोग पैसा लेकर गवाही दे रहे हैं।

UP ATS ने पिछले महीने छांगुर बाबा को किया था गिरफ्तार

छांगुर बाबा को पिछले महीने उत्तर प्रदेश एटीएस ने गिरफ़्तार किया था। एटीएस ने छांगुर बाबा पर धर्मांतरण रैकेट चलाने का आरोप लगाया है और कहा है कि इसकी जांच की जा रही है।

छांगुर बाबा के सहयोगी का घर गिराए जाने को लेकर बलरामपुर के ज़िलाधिकारी पवन अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि जांच में ये पाया गया है कि ये इमारत अवैध रूप से सरकारी ज़मीन पर बनाई गई थी। इसके बाद कार्रवाई की गई। इस संबंध में और काग़ज़ात की जांच की जा रही है।

बलरामपुर के उतरौला में गिराई गई इमारत नीतू रोहरा के नाम पर है, जो मुंबई की रहने वाली हैं। नीतू रोहरा को भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने पांच जुलाई को गिरफ़्तार किया था। नीतू रोहरा को छांगुर बाबा की करीबी बताया जाता है। पुलिस के मुताबिक, नीतू रोहरा उर्फ़ नसरीन ने छांगुर बाबा की मुरीद बनने के बाद इस्लाम अपना लिया था।

कौन है छांगुर बाबा?

छांगुर बाबा बलरामपुर ज़िले के उतरौला तहसील के अंतर्गत रेहरा माफ़ी गांव का रहने वाला है। उसका जन्म इसी गांव में हुआ था। छांगुर बाबा के तीन और भाई हैं, जिनमें से तीन अभी भी गांव में रहते हैं। भाइयों में सबसे बड़े छांगुर बाबा का बचपन ग़रीबी में बीता। उन्होंने कई साल तक भीख मांगकर जीवन यापन किया।

बीबीसी हिंदी ने गांव के वर्तमान प्रधान मंशाराम यादव के हवाले से बताया कि उसका एक भाई अभी भी भिक्षा मांगने का काम करता है। गांव के लोग बताते हैं कि छांगुर बाबा साइकिल से नग और अंगूठी बेचने का काम करते थे।

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कई सालों तक ये काम करने के बाद वे मुंबई चले गए और बाद में अपने आप को पीर घोषित कर दिया। छांगुर बाबा दो बार 2005-2010 और 2015-2020 तक अपने गांव रेहरा माफ़ी के प्रधान भी रहे। कस्बे के चांद औलिया दरगाह के पास उन्होंने अपनी एक बैठक भी बना ली थी। वहीं पर मुरीदों का आना जाना था।

प्रधान मंशाराम यादव का कहना है कि साल 2020 के बाद बाबा ने गाड़ी वगैरह ख़रीदी। जिस घर को गिराया गया है, उसके निर्माण को लेकर वसीउद्दीन उर्फ़ बब्बू से छांगुर बाबा का विवाद शुरू हुआ था। पैसे के लेन-देन से विवाद बढ़ा और दोनों के बीच झगड़ा हुआ था। स्थानीय लोगों के मुताबिक, निर्माण में तय रकम को लेकर विवाद बढ़ा था। वहीं, धर्म परिवर्तन की अफवाह से पुलिस घर में घुस गई। पढ़ें…पूरी खबर।