उत्तराखंड में 2022 विधानसभा चुनाव से 7 महीने पहले कांग्रेस में संगठन स्तर पर व्यापक फेरबदल किए गए हैं। कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के दिग्गज नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हरीश रावत को विधानसभा चुनाव की संचालन समिति का अध्यक्ष बनाकर उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में उतारा है। भले ही कांग्रेस आलाकमान ने 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह हरीश रावत को सीधे तौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित ना किया हो परंतु उन्हें चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने यह संकेत दिया है कि वह 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का मुख्यमंत्री का चुनावी चेहरा होंगे चाहे भले ही कांग्रेस विधानमंडल दल के नवनियुक्त नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने यह कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं उतारेगी और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव होंगे और पार्टी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में उनके नाम पर चुनाव लड़ेगी।
इससे साफ साबित होता है कि कांग्रेस पार्टी में भी भाजपा की तरह मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर बवाल मचा हुआ है। भाजपा के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कहते हैं उसी तरह से कांग्रेस में हरीश रावत विरोधी खेमा सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम पर चुनाव लड़ने की बात करता है। उत्तराखंड कांग्रेस में पार्टी आलाकमान ने जो फेरबदल किया उसमें हरीश रावत का पलड़ा कांग्रेस के प्रांतीय नेताओं पर भारी पड़ा है। प्रीतम सिंह प्रदेश अध्यक्ष पद से हटना नहीं चाहते थे।
दरअसल 13 जून को नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की मौत के बाद राज्य में कांग्रेस की राजनीति के समीकरण एकदम बदल गए। पार्टी हाईकमान ने नेता प्रतिपक्ष के पद पर प्रीतम सिंह को बिठाया और हरीश रावत के कहने पर गढ़वाल के ब्राह्मण नेता पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को पार्टी का अध्यक्ष बनाया। साथ ही हरीश रावत को 2022 के विधानसभा चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है और उन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया। यह माना जाता है कि जिस नेता को जो राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार समिति की जिम्मेदारी सौंपते हैं वहीं मुख्यमंत्री का चेहरा होता है इसलिए हरीश रावत को 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा है। इसीलिए पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी हरीश रावत की पसंद गणेश गोदियाल को बनाया गया है।
भले ही हरीश रावत और गोदियाल 2017 के विधानसभा चुनाव हार गए हो परंतु कांग्रेस आलाकमान ने इन दोनों हारे हुए नेताओं पर 2022 के विधानसभा चुनाव में दांव खेलना ही उचित समझा है। पार्टी आलाकमान ने उत्तराखंड के कांग्रेस के अन्य नेताओं की बजाए हरीश रावत पर ज्यादा भरोसा किया है हरीश रावत ने पार्टी का राष्ट्रीय महामंत्री और पंजाब प्रभारी रहते हुए जिस तरह से पंजाब में कांग्रेस की समस्या का हल किया उससे हरीश रावत का कद पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में बहुत ज्यादा बढ़ा है।
कांग्रेस आलाकमान ने 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए विभिन्न 9 कमेटियों का गठन किया है जिनमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी, कोर कमेटी, समन्वय कमेटी, चुनाव घोषणा पत्र कमेटी, चुनाव प्रबंधन कमेटी, चुनाव प्रचार कमेटी ,प्रशिक्षण कार्यक्रम कमेटी, आउटरीच कमेटी और मीडिया कमेटी का गठन किया है। अधिकांश कमेटियों में हरीश रावत के समर्थकों का ही नाम शामिल है। वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के 3 समर्थकों जीत सिंह रावत, तिलक राज बेहड़ और भुवन कापड़ी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है और हरीश रावत के कट्टर समर्थक प्रोफेसर जीतराम आर्य को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। वहीं प्रदेश कोषाध्यक्ष पद पर हरीश रावत विरोधी खेमे के और प्रीतम सिंह समर्थक आर्यद्र शर्मा को कोषाध्यक्ष बनाया गया है।
भाजपा ने कुमाऊं में हरीश रावत की घेराबंदी करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खास राजनीतिक शिष्य पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री तथा नैनीताल संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में रक्षा और पर्यटन जैसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों का राज्यमंत्री बनाया है।
हरीश रावत का कहना है कि वे तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सिपाही हैं। जैसा वे आदेश करेंगे वे उस आदेश का पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि पहली जिम्मेदारी हम कांग्रेसियों की राज्य की जनता को भाजपा की कथित डबल इंजन सरकार से मुक्ति दिलाना है।