उत्तराखंड से राज्यसभा की एकमात्र सीट को लेकर कांग्रेस और प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) आमने-सामने हैं। पीडीएफ कांग्रेस से राज्यसभा की यह सीट मांग रहा है। वहीं कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में उत्तराखंड की इस इकलौती सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय दावेदार बने हुए हैं। वहीं पीडीएफ के नेता मंत्री प्रसाद नैथानी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस आलाकमान से इस बार उत्तराखंड से राज्यसभा में पीडीएफ के उम्मीदवार को भेजने की मांग की है।
नैथानी ने कहा कि अब तक कांग्रेस ने दो बार राज्यसभा की सीट पर कांग्रेस को समर्थन दिया है और पीडीएफ की वजह से ही कांग्रेस के दो नेता महेंद्र सिंह माहरा और राजबब्बर राज्यसभा पहुचे हैं। और इस बार भी पीडीएफ के समर्थन की वजह से ही कांग्रेस की सरकार उत्तराखंड में बची है। पीडीएफ के इस योगदान को देखते हुए कांग्रेस को इस बार पीडीएफ को राज्यसभा की सीट देनी चाहिए।
उत्तराखंड से राज्यसभा में पहुंचे कांग्रेस नेता राज बब्बर की खुलेआम निंदा करते हुए नैथानी ने कहा कि पीडीएफ के समर्थन से राजबब्बर राज्यसभा में पहुंचे। लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे उत्तराखंड की जनता का हाल जानने तक नहीं आए। न ही उन्होंने राज्यसभा में उत्तराखंड की जनता की समस्याओं को उठाया। उत्तराखंड के जंगलों में पिछले दिनों जो जबरदस्त आग लगी, उसे भी राजबब्बर ने राज्यसभा में एक बार भी नहीं उठाया।
नैथानी ने कहा कि राज बब्बर जैसे बाहरी कांग्रेसी नेताओं को राज्यसभा में भेजने से उत्तराखंड को कोई फायदा नहीं हुआ है। ऐसे बाहरी नेताओं की वजह से ही उत्तराखंड की आवाज राज्यसभा में कमजोर हुई है। उन्होंने कहा कि राज बब्बर ने राज्यसभा का चुनाव जीतने के बाद कभी भी पीडीएफ के नेताओं से बात करना मुनासिब नहीं समझा और न ही उत्तराखंड की समस्या के बारे में कोई चर्चा की। उन्होंने कहा कि इसीलिए इस बार राज्यसभा में पीडीएफ ने उत्तराखंड की आवाज मजबूत करने के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है और कांग्रेस से समर्थन मांगा है। उन्होंने कहा कि अब पीडीएफ किसी भी सूरत में किसी भी बाहरी उम्मीदवार को समर्थन नहीं दे रही है।
नैथानी के इस कड़े रुख के बाद कांग्रेस में हड़कंप मच गया है। अगर राज्यसभा के टिकट के मुद्दे पर पीडीएफ ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया तो कांग्रेस का उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाएगा। और रावत सरकार भी खतरे में पड़ जाएगी। वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि पार्टी हाईकमान जो फैसला करेगा, उसे हम मानेंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि राज्यसभा में किसे भेजा जाए, यह फैसला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी हाईकमान के पास कोई बड़ा चेहरा है, तो उसे दूसरे प्रदेश से राज्यसभा में भेजा जा सकता है। वहीं कांग्रेस के प्रदेश सचिव संजय किशोर और देहरादून महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष पृथ्वी राज चौहान ने कहा कि राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार कांग्रेस हाईकमान को तय करना है। लेकिन यदि उत्तराखंड का कोई स्थानीय नेता राज्यसभा में जाता है तो वह प्रदेश की समस्याओं को ठीक ढंग से संसद में उठा पाएगा।
कांग्रेस के नेता धीरेंद्र प्रताप ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को राज्यसभा में भेजे जाने की मांग पार्टी हाईकमान से की है। प्रताप ने कहा कि जब हरीश रावत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे और नारायण दत्त तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे तब पार्टी हाईकमान ने हरीश रावत को राज्यसभा में भेजा था। इसी तरह इस बार भी पार्टी हाईकमान को यही फार्मूला अपनाकर किशोर उपाध्याय को राज्यसभा में भेजना चाहिए।
उत्तराखंड कांग्रेस इस बार राज्यसभा चुनाव को लेकर पार्टी हाईकमान की ओर से थोपे गए बाहरी उम्मीदवार के खिलाफ एकजुट हो गई है। उत्तराखंड के कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी हाईकमान को साफ संकेत दे दिए हैं कि इस बार उत्तराखंड में बाहरी उम्मीदवार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस तरह कांग्रेस में राज्यसभा के चुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है। पीडीएफ ने राज्यसभा के लिए अपना दावा पेश कर कांग्रेस को और मुसीबत में डाल दिया है। क्योंकि उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार पीडीएफ के छह विधायकों के बूते ही टिकी है। पीडीएफ की बैसाखी के हटते ही हरीश रावत सरकार औंधे मुंह जा गिरेगी।
उत्तराखंड में राज्यसभा की सीट भाजपा नेता और राज्यसभा के सदस्य तरुण विजय के चार जुलाई को खत्म हो रहे कार्यकाल की वजह से खाली हो रही है। इस सीट पर 11 जून को मतदान होना है 24 मई को नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। और 31 मई को नामांकन की आखिरी तिथि है।