उत्तराखंड में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर मंगलवार (10 मई) को होने वाले विशेष और ऐतिहासिक सत्र के लिए उत्तराखंड शासन और विधानसभा सचिवालय ने पूरी तरह कमर कस ली है। इस विशेष सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को विश्वास मत हासिल करना है। इस सत्र को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए जहां जिला प्रशासन ने देहरादून में शाम से ही धारा-144 लगा दी है। पूरा विधानसभा और उसके आसपास का क्षेत्र छावनी में तब्दील कर दिया गया है। विधानसभा को किले में तब्दील कर दिया गया है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है।

वहीं दूसरी ओर विश्वास मत के दौरान सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के मुताबिक विधानसभा में मत देने वाले विधायकों की गिनती उत्तराखंड शासन के प्रमुख सचिव (विधायी और संसदीय कार्य) जयदेव सिंह करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पहले अपने आदेश में प्रमुख सचिव विधानसभा को विश्वास मत के दौरान पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त करने की बात कही थी। परंतु केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह बताया कि उत्तराखंड विधानसभा में प्रमुख सचिव विधानसभा का कोई पद नहीं है। अत: नया पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड शासन के प्रमुख सचिव विधायी और संसदीय कार्य को विश्वास मत के दौरान पर्यवेक्षक बनाने के आदेश दिए हैं। विधानसभा के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रमुख सचिव (विधायी और संसदीय कार्य) और विधानसभा के सचिव की देखरेख में विश्वास मत की प्रक्रिया संपन्न होगी।

देहरादून में विधानसभा की ओर जाने वाले हर रास्ते पर बैरिकेट्स लगाए गए हैं और भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। देहरादून के जिलाधिकारी रविनाथ रमन ने बताया कि सोमवार (9 मई) शाम चार बजे से ही देहरादून में शांति और कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए धारा-144 लगा दी गई है। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सदानंद दाते ने बताया कि कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए राज्य की पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षाबल भी तैनात किए गए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय सुरक्षा बल की रैपिड एक्शन फोर्स की एक कंपनी, पीएसी की चार कंपनियां और उत्तराखंड की सिविल पुलिस के छह सौ ज्यादा जवान विधानसभा और उसके आसपास सुरक्षा के तैनात रहेंगे।

विधानसभा के इस विशेष सत्र को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए प्रशासन सख्ती से काम कर रहा है। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने विधानसभा में प्रदेश के आला अधिकारियों की बैठक ली। इस बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने आलाधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन कराने के निर्देश दिए। इस उच्चस्तरीय बैठक में तय किया गया कि इस विशेष सत्र में विधानसभा परिसर के भीतर कोई भी वाहन प्रवेश नहीं करेगा। विधानसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सभी विधायक भी विधानसभा के मुख्यद्वार से पैदल विधानसभा परिसर में जाएंगे। कोई भी विधायक, अधिकारी और कर्मचारी विधानसभा परिसर में मोबाइल फोन तक भी नहीं ले जा सकेंगे और न ही कोई अधिकारी या कर्मचारी जेब में माचिस रखकर भी विधानसभा परिसर में नहीं घुस सकेगा। मीडिया कर्मियों को भी पहली बार विधानसभा के सत्र में प्रवेश करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है। मीडिया वालों के लिए विधानसभा परिसर के मुख्यद्वार के बाहर बैठने के लिए प्रशासन ने एक पंडाल लगाया है।

विधानसभा अध्यक्ष ने आलाधिकारियों के साथ सोमवार को पूरे विधानसभा परिसर का दौरा किया। विधानसभा में बिजली, पीने के पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए। विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों से कहा कि विधायकों को किसी भी प्रकार की परेशानी विधानसभा परिसर में पहुंचने में न हो, इस बात का खास खयाल रखा जाए। बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों को खास हिदायत दी कि विधानसभा के अधिकारियों, कर्मचारियों और सत्र में व्यवस्थाओं से जुडेÞ कर्मचारियों, अधिकारियों के अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति विधानसभा परिसर में प्रवेश न कर पाए। बैठक में विधानसभा के सचिव जगदीश चंद्रा, गृह विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत पवार, पुलिस महानिदेशक एमए गणपति, अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, सूचना सचिव विनोद शर्मा, राज्य संपत्ति अधिकारी विनय शंकर पांडेय, देहरादून के जिलाधिकारी रविनाथ रमन और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सदानंद दाते समेत शासन-प्रशासन के आलाधिकारी मौजूद थे।