उत्तर प्रदेश में प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भुलई भाई के नाम से लोकप्रिय 106 वर्षीय नारायण से फोन पर बात की और हालचाल जाना। भुलई भाई भाजपा के सबसे वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं। वह 70 सालों से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं। जनसंघ के दिनों से राजनीति में हैं। फोन कॉल के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को जीत की बधाई दी और कहा कि वे उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं। आइए जानते हैं भुलई भाई के बारे में :

श्यामा प्रसाद मखर्जी और दीन दयाल उपध्याय के साथ किया काम- भुलई भाई जनसंघ में साल 1950 में विजयदशमी के दिन शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय जैसे कद्दावर नेताओं के साथ भी काम किया। भाजपा बनने के बाद भुलई भाई इसके कार्यकर्ता बन गए।

नौरंगिया से विधायक बने- भुलई भाई ने देवरिया के नौरंगिया (वर्तमान में कुशीनगर के खड्डा) से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने थे। वह दीन दयाल उपाध्याय से प्रभावित होकर राजनीति में कदम रखा। जब भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई थी, तब वे एमए कर रहे थे। बाद में वह एक शिक्षा अधिकारी बन गए।

नौकरी छोड़कर राजनीति में रखा कदम- साल 1974 में भुलई भाई ने अपनी नौकरी छोड़ दी और राजनीति में कदम रखकर देश और समाज के लिए कुछ करने की ठानी। इसी साल भारतीय जनसंघ ने उन्हें नौरंगिया विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। 1977 में वे दूसरी बार विधायक चुने गए। भुलाई भाई की पहचान उनका भगवा गमछा है।

कोरोना की पहली लहर के दौरान पीएम मोदी ने की थी बात- अप्रैल 2020 में कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे फोन पर बात की थी और आशीर्वाद मांगा था। पिछले साल अक्टूबर में गृह मंत्री अमित शाह ने लखनऊ में भाजपा के पूर्व विधायकों को सम्मानित किया था, जिसमें भुलई भाई को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। राजनाथ सिंह ने भी पिछले साल विजय दशमी पहले उनसे मुलाकात की थी। राजनाथ का उनसे 1977 से जुड़ाव है, जब दोनों उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य थे।