उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की दो सीटों के लिए 11 अगस्त को मतदान होने वाले हैं। समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य अहमद हसन के निधन और बीजेपी के ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई थी। विधानसभा चुनाव में ठाकुर जयवीर सिंह विधायक चुने गए, इसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वहीं बीजेपी ने दोनों सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि समाजवादी पार्टी ने भी आदिवासी नेता को उम्मीदवार बनाया है।
समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद चुनाव के लिए कीर्ति खोल को उम्मीदवार बनाया है। कीर्ति कोल मिर्जापुर की छानबे विधानसभा सीट से पूर्व विधायक भाई लाल कोल की बेटी है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कीर्ति कोल छानबे विधानसभा से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार भी रही थीं, लेकिन चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कीर्ति कोल आदिवासी समाज से आती हैं और राष्ट्रपति चुनाव में द्रोपदी मुर्मू के खिलाफ वोट देकर समाजवादी पार्टी ने आदिवासी उम्मीदवार को उतार कर एक संदेश देने की कोशिश की है।
समाजवादी पार्टी ने अपने टि्वटर हैंडल से ट्वीट कर कीर्ति कोल की उम्मीदवारी की घोषणा की। समाजवादी पार्टी के टि्वटर हैंडल से ट्वीट में लिखा गया, “आगामी उत्तर प्रदेश विधानपरिषद उपचुनाव में श्रीमती कीर्ति कोल जी सपा की अधिकृत उम्मीदवार होंगी। श्रीमती कीर्ति जी मिर्जापुर की छानबे विधानसभा से सपा की प्रत्याशी रह चुकीं हैं और आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं। श्रीमती कोल जी एक अगस्त को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगी।” बता दें कि समाजवादी पार्टी से ओमप्रकाश राजभर का भी नाता टूट चुका है।
बता दें कि बीजेपी ने दोनों सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सैंथवार और कौशांबी से आने वाली महिला मोर्चा की नेता निर्मला पासवान को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने ओबीसी नेता सैंथवार को उतारकर गोरखपुर और उसके आसपास के जिलों को साधने की कोशिश की है। धर्मेंद्र सिंह सैंथवार को योगी आदित्यनाथ का करीबी भी बताया जाता है।
वहीं समाजवादी पार्टी ने पर्याप्त संख्या बल ना होने के कारण भी उम्मीदवार की घोषणा की है। कीर्ति कोल की उम्मीदवारी की घोषणा से समाजवादी पार्टी ने एक संदेश देने की कोशिश की है कि वह आदिवासियों के साथ है। दरअसल राष्ट्रपति चुनाव में सपा ने द्रौपदी मुर्मू को वोट नहीं दिया था, जिसके बाद से सपा पर आरोप लग रहे थे कि वह आदिवासी विरोधी है।