क्या आपने दिव्या मित्तल का नाम सुना है? वह कुछ दिन पहले तक मिर्जापुर की डीएम हुआ करतीं थी, लेकिन उनका तबादला पहले बस्ती जिले में हुआ और अब वह ‘वेटिंग लिस्ट’ में हैं। दावा यह है कि उनका तबादला उनके बेहतर कामों के रहते हुआ, लहुरिया दाह गांव के लोगों का कहना है कि उनके कामों से कुछ राजनीतिक लोगों को दिक्कत महसूस होने लगी थी।
यह मामला उत्तर प्रदेश के लहुरिया दाह गांव में मौजूद पानी के संकट से जुड़ा था। यहां के लोगों का कहना है कि वह पानी की समस्या को लेकर प्रशासन से लेकर एमपी-एमएलए तक गुहार लगा चुके थे लेकिन मसला हल नहीं हो रहा था।
पहली बार 76 वर्षीय अंजारिया यादव ने उत्तर प्रदेश के लहुरिया दाह गांव में जब नल से पानी बहता देखा तब उनकी तरह पूरा गांव जानता था कि किसे धन्यवाद देना है। गांव के लोगों ने इसका पूरा क्रेडिट डीएम दिव्या मित्तल को दिया।
क्या है पूरा मामला, क्यों किया गया ट्रांसफर?
लहुरिया दाह, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मिर्ज़ापुर जिले का एक गांव है। यहां के लोगों का कहना है कि वे अब तक टैंकरों पर निर्भर थे या पानी लगभग 1 किमी दूर झरने से लाना पड़ता था। गांव में एक कुआं था जिसकी मरम्मत दिव्या मित्तल के यहां आने के बाद की गई।
30 अगस्त के दिन गांव में पाइप से पानी पहुंचने के बाद, दिव्या मित्तल (39) ने एक छोटा सा “जल पूजन” आयोजित किया, जहां उन्होंने पहली बार बहते पानी वाला नल खोला। कुछ दिनों बाद 1 सितंबर दिव्या मित्तल का राज्य सरकार ने Waiting List में डालने से पहले पूर्वी यूपी के बस्ती जिले में ट्रांसफर कर दिया। इस मामले की जानकारी के लिए जब इंडियन एक्सप्रेस ने यूपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी से बात करने की कोशिश की तो उनकी ओर से किसी तरह का जवाब नहीं आया।
“इस गांव में शादी तक नहीं करते थे लोग लेकिन आज सब बदल गया”
जल पूजन के एक छोटे से कार्यक्रम के बाद दिव्या मित्तल ने ट्वीट किया,“आज मेरा दिल भरा हुआ है। लहुरिया दह में मेरी और वहां के लोगों की आंखों से पानी बह रहा है. आजादी के 75 साल बाद भी गांव के लोगों को पानी तक पहुंच नहीं थी… जब मैं पहली बार वहां गई तो गांव वालों के सामने अपनी बोतल से पानी पीने की हिम्मत नहीं हुई. टैंकरों से पानी जारी करने के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया। लोग अपनी बेटियों की शादी इस गांव में नहीं करते थे।”
दिव्या मित्तल ने आगे लिखा,”“लेकिन कल यह बदल गया। नौ महीने के समर्पित काम के बाद हमारी टीम उन चुनौतियों को पार कर लिया जिन्हें लोग असंभव कहते थे, आज, ‘हर घर जल’ योजना के जरिए गांव के हर घर में पानी पहुंच रहा है,आज जैसे दिन सभी संघर्षों को सार्थक बनाते हैं, साथ मिलकर हम बदलाव ला सकते हैं जय हिन्द! जय भारत!”
नेताओं को दिव्या मित्तल से हुई दिक्कत
गांव में पानी आने के बाद हुए जल पूजन कार्यक्रम के बाद स्थानीय भाजपा नेता और पार्टी के जिला उपाध्यक्ष विपुल सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर दिव्या मित्तल की शिकायत की थी।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए विपुल सिंह ने कहा, “लहुरिया गांव में सदियों से पानी की समस्या है और टैंकरों को तैनात करना पड़ता है। ‘हर घर जल योजना’ के तहत ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने यहां योजना का शुभारंभ किया और गांव तक पानी पहुंच गया, यह सुनिश्चित करना जिला मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी है कि योजना लागू हो और गांवों तक पानी पहुंचे, लेकिन उद्घाटन तो सरकार के ही किसी व्यक्ति से कराना होगा. यही प्रोटोकॉल है और संस्कृति भी. स्थानीय विधायक, सांसद व अन्य को आमंत्रित नहीं किया गया, यह गलत है।”
ग्राम प्रधान ने बताई नेताओं की सच्चाई
देवहट (जिसमें लहुरिया दाह भी आता है) के ग्राम प्रधान कौशलेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा, “विकास के लिए ज़्यादातर फंड उस गांव में टैंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराने पर किया जाता है, यहां आने वाले एक टैंकर की कीमत 800 रुपये है और आम तौर पर हर दिन आठ-दस टैंकरों की जरूरत होती है, गर्मियों में जरूरत बढ़कर 10-15 तक पहुंच जाती है। देवहाट ग्राम सभा वर्तमान में 20 लाख रुपये के कर्ज में है क्योंकि हम निजी टैंकरों से पानी के लिए भुगतान कर रहे हैं।”
वह आगे कहते हैं, “प्रधान बनने के बाद सांसद, विधायक, मंत्री सभी को मैंने पत्र लिखे हैं लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी. झूठे वादे किये गये, नई डीएम आईं और मैंने उन्हें लिखा और वह पिछले साल 2 नवंबर को यहां आईं। उन्होने वादा किया कि वह हमें पानी देंगी और आज आप देख सकते हैं कि हर घर में नल और पानी का कनेक्शन है।”
यह लहुरिया दाह गांव मिर्ज़ापुर लोकसभा क्षेत्र और छानबे विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। दोनों भाजपा सहयोगी अपना दल (एस) के सहयोग से भाजपा के पास हैं, जहां मिर्ज़ापुर की सांसद केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल हैं, वहीं छानबे की विधायक रिंकी कोल हैं।
ट्रांसफर होने के बाद दिव्या मित्तल का ट्वीट
ट्रांसफर आदेश आने के बाद दिव्या मित्तल ने ट्वीट किया, “आज घर पर सामान पैक करते समय मेरे हाथ और दिल भारी महसूस हो रहे हैं। सरकारी नौकरी में घूमना-फिरना नौकरी का हिस्सा है, लेकिन मिर्ज़ापुर ने मुझे जो प्यार दिया है, उसे मैं कभी नहीं भूल पाउंगी।”
आईआईएम बैंगलोर से एमबीए और आईआईटी दिल्ली से बी.टेक करने वाली दिव्या मित्तल ने सिविल सेवाओं में शामिल होने के लिए लंदन में एक विदेशी डेरिवेटिव व्यापारी के रूप में अपनी नौकरी छोड़ दी थी।