बसपा अध्यक्ष मायावती असेंबली चुनाव में हुए प्रदर्शन से आहत जरूर हैं लेकिन हार मानने के मूड़ में बिलकुल नहीं दिख रही हैं। उन्होंने पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया है। यह सीट सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सांसद पद से इस्तीफे के कारण रिक्त हुई है।
आजमगढ़ से जमाली 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बसपा से चुनाव लड़ चुके हैं। 2022 असेंबली चुनाव में जमाली ने असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाले AIMIM के झंडे तले मुबारकपुर से चुनाव लड़ा था। लेकिन सपा के हाथों उन्हें मुंह की खानी पड़ी। उसके बाद जमाली ने वापस बसपा का रुख किया।
विधानसभा चुनाव में मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 22 मार्च को सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। यादव लोकसभा में आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उपचुनाव की प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू होगी। इसके लिए सबसे पहला प्रत्याशी मायावती ने मैदान में उतारा है। उनके तेवर देखकर साफ है कि वो हार नहीं मानने वालीं।
जमाली पर क्यों जताया भरोसा
2014 में आजमगढ़ लोकसभा सीट पर मिलायम सिंह यादव ने 3 लाख 40 हजार वोट पाकर जीत हासिल की। बीजेपी के रमाकांत यादव को 2 लाख 77 हजार तो बसपा के उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को 2 लाख 66 हजार वोट मिले थे। जमाली ने उस दौरान उम्मीद से बढ़कर रिजल्ट दिय़ा था, क्योंकि एक तरफ वो मुलायम सिंह जैसे कद्दावर नेता से जूझ रहे थे तो दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी की सुनामी भी उन्हें झेलनी थी।
रविवार को समीक्षा बैठक में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि पार्टी विपरीत हालात में भी सभी भटके हुए लोगों को जोड़ने के लिए प्रयासरत है। मायावती ने कहा कि संगठन में कुछ तब्दीली की गई है लेकिन बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को नहीं बदला जाएगाा। भीम राजभर ही प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। राजभर विधानसभा चुनाव में मऊ विधानसभा क्षेत्र से बसपा के उम्मीदवार थे लेकिन सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार और बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने उन्हें पराजित कर तीसरे नंबर पर कर दिया। इसके बाद राजनीतिक हलकों में संकेत मिल रहे थे कि भीम राजभर को पद से हटाया जा सकता है।