यूपी की आजमगढ़ लोकसभा सीट पर और रामपुर सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार जीत चुके हैं। दोनों सीटें सपा का गढ़ मानी जाती थीं, लेकिन बीजेपी ने यहां पर इस बार कब्जा जमा लिया है। रामपुर से बीजेपी उम्मीदवार घनश्याम लोधी चुनाव जीते हैं तो वहीं आजमगढ़ से निरहुआ ने जीत हासिल की है।
इन सीटों पर सपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। आजमगढ़ में शुरूआती रुझानों में धर्मेंद्र यादव आगे चल रहे थे लेकिन बाद में भाजपा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने बढ़त बना ली। धर्मेंद्र यादव और निरहुआ के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा था। भाजपा उम्मीदवार करीब 13 हजार वोटों से आगे चल रहे थे। यहां बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली तीसरे स्थान पर रहे।
हार के बाद धर्मेंद्र यादव ने कहा- “मैं अपनी हार के लिए बसपा-भाजपा के गठबंधन को बधाई दूंगा जो प्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रपति के चुनाव में सामने आया और आजमगढ़ के चुनावों में पहले से चल रहा था। उन दोनों (बसपा और भाजपा के) लोगों को अपनी खुशी का इजहार करना चाहिए”।
रामपुर में भाजपा उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी और सपा प्रत्याशी के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा था, लेकिन यहां भी भाजपा के घनश्याम लोधी ने जीत हासिल कर ली है। जीत की घोषणा करते हुए रामपुर के जिलाधिकारी रविन्द्र मादंड ने कहा- “लगभग 42 हजार से ज्यादा मतों से भाजपा के प्रत्याशी जीते हैं। हमने उनको जीत का सर्टिफिकेट भी प्रदान किया है और पुलिस को निर्देशित किया है कि उनको घर छोड़ कर आएं और यह भी सुनिश्चित करें कि किसी भी प्रकार का जुलूस न निकाला जाए”।
वहीं आजमगढ़ से बसपा उम्मीदवार ने अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा- “मैं अपनी हार स्वीकार करता हूं। हमारी पार्टी प्रमुख मायावती ने जो कुछ भी संभव था वो किया। मैं लोगों के फैसले को स्वीकार करता हूं। हमारा संदेश जनता तक नहीं पहुंच सका और हमारे प्रयासों में कुछ कमी रह गई। हम 2024 में फिर से लड़ेंगे।
रामपुर सीट- रामपुर से पहले आजम खान सांसद थे। उन्होंने बीजेपी की जया प्रदा को हराया था। रामपुर में 2019 के लोकसभा चुनाव में 63.19 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2014 में इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि 2009 में जया प्रदा यहां से सांसद बनीं थीं, तब वो सपा में ही थीं, लेकिन 2019 में वो बीजेपी में गईं और आजम खिलाफ भाजपा ने जया प्रदा को मैदान में उतारा था, हालांकि आजम खान यहां से काफी मतों से जीते थे।
हाल में हुए यूपी विधानसभा चुनावों में जब आजम खान विधायक चुने गए तो उन्होंने सांसदी से इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। यहां से भाजपा ने इस बार घनश्याम सिंह लोधी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बसपा और कांग्रेस ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है।
आजमगढ़ सीट- इसी सीट से पहले अखिलेश यादव सांसद थे, उनसे पहले उनके पिता मुलायम सिंह यादव सांसद थे, अब यहां से उन्होंने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने भोजपुरी गायक निरहुआ तो बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस यहां भी चुनाव नहीं लड़ रही है।
2019 के चुनाव में इस सीट पर 57.56 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। तब भी अखिलेश के सामने निरहुआ को ही बीजेपी ने उतारा था, लेकिन तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।