हरदोई की रैली में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने एक ऐसा बयान दिया था जिसको लेकर सूबे की सियासत गरमाई हुई है। पीएम मोदी ने साइकिल का कनेक्शन अहमदाबाद ब्लास्ट से जोड़ा तो अखिलेश यादव ने भी इस पर पलटवार किया। दरअसल, ‘साइकिल’ समाजवादी पार्टी का सिंबल है।

पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना की और 1993 में यूपी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को इसके सिंबल के रूप में साइकिल का निशान मिला। सपा ने 256 सीटों पर चुनाव लड़ा और 109 पर जीत हासिल की, इसके बाद ​​मुलायम सिंह यादव दूसरी बार सूबे के मुख्यमंत्री बने।

मुलायम इससे पहले 1989 से 1991 तक मुख्यमंत्री रहे थे, लेकिन तब वे जनता दल का हिस्सा थे, जिसका चुनाव चिन्ह व्हील था। मुलायम इससे पहले दूसरी पार्टियों के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था, जिसका चुनाव चिन्ह बरगद का पेड़ था।

कैसे चुना गया चुनाव चिन्ह साइकिल

मुलायम 1996 तक सात बार विधायक चुने गए। 1992 में सपा की स्थापना से पहले, मुलायम ने ‘बैलों की जोड़ी’ और ‘कांधे पर हल लिए किसान’ जैसे सिंबल पर भी चुनाव लड़ा। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल कहते हैं, “जब 1993 के विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव चिन्ह चुनने की बात आई, तो नेताजी (मुलायम) और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने मौजूद विकल्पों में से साइकिल को चुना।”

वे कहते हैं, “ऐसा इसलिए था, क्योंकि उस दौर में, साइकिल किसानों, गरीबों, मजदूरों और मध्यम वर्ग का वाहन था और साइकिल चलाना सस्ता और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा था।” पटेल ने कहा कि सपा ने तब से सभी चुनाव साइकिल के निशान पर लड़ा है। अपनी पार्टी के विस्तार के दौरान, मुलायम और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव अक्सर साइकिल की सवारी करते थे। मुलायम मुख्यमंत्री बनने के बाद भी प्रचार के दौरान साइकिल चलाते रहे।

पटेल ने बताया कि पिछली अखिलेश यादव सरकार के दौरान, राज्य भर के शहरों में साइकिल ट्रैक बनाए गए थे। छात्राओं और मजदूरों को साइकिल वितरित की गई थी। सपा के चुनाव चिह्न को लेकर पीएम मोदी के बयान पर पटेल ने कहा, “प्रधानमंत्री इस तरह की टिप्पणियों से जुमलेबाजी करते हैं। उनकी सरकार को महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की कोई चिंता नहीं है।”