UP Assembly Monsoon Session 2023: यूपी विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस हुई। नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार, महंगाई, आवारा पशुओं के मुद्दे पर सरकार को घेरा। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार किया। सीएम योगी ने कहा कि मुझे नेता विरोधी दल के भाषण को सुनकर यही लगा कि 2014, 2017, 2019 और 2022 का जनादेश है, वो जनता ने वैसे ही नहीं दिया।

इस दौरान सीएम योगी ने दुष्यंत कुमार की पंक्तियों से अखिलेश यादव पर वार किया। योगी ने कहा, ‘तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल यह है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं’। योगी ने कहा कि समाजवादी पार्टी को जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री ने तुलसीदास की चौपाई का भी जिक्र किया, ‘समरथ को नहीं दोष गोसाईं’। उन्होंने कहा कि यह पंक्ति ऐसे ही लोगों पर सही बैठती है, क्योंकि जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच में खाने के आदी हैं वो गरीब, दलित और किसान की पीड़ा को क्या समझेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2024 में विरोधी दल का खाता भी नहीं खुलने वाला है और डबल इंजन की सरकार फिर से रिपीट करेगी। शिवपाल की तरफ इशारा करते हुए योगी ने कहा कि चच्चू अभी से अपना रास्ता तय कर लो। यह (अखिलेश यादव) आपके साथ न्याय नहीं करेंगे, आपकी कीमत नहीं समझेंगे। जब भी आपका नंबर आता है आपको चुपचाप काट दिया जाता है। आपके संघर्ष को कोई ध्यान में नहीं रखता है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिस सांड की आप बात कर रहे हैं न वो खेती बाड़ी का पार्ट होता है। आपके जमाने में ये बूचड़खाने के हवाले होते थे, हमारे समय में ऐसा नहीं है।

योगी ने कहा कि समाजवादी पार्टी को प्रदेश में 4 बार मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला था। आपने इतने समय तक क्या किया? आपने कोई समाधान नहीं निकाला। मुझे बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमारे पहले कार्यकाल ने ही इंसेफेलाइटिस का समाप्त कर दिया। योगी ने कहा कि क्या आयुष्मान भारत की सुविधा में उत्तर प्रदेश के लोग शामिल नहीं हैं? आपके लिए ये जाति, वोट बैंक का मुद्दा हो सकते हैं, लेकिन हमारे लिए यूपी के लोग परिवार हैं। लोगों ने आपको वोट नहीं दिया, उन्होंने आपको एक बार फिर से खारिज कर दिया…2024 में खाता भी नहीं खुलने वाला।

इससे पहले सदन में बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा था कि ये (भाजपा सरकार) चाल, चरित्र और चेहरे से पहचान बनाने का दावा करते थे और आज पहचान बन गई है नफरत, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और महंगाई से…एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था किसानों की मदद के बिना और कृषि क्षेत्र में सुधार के बिना कैसे संभव है?